जयपुर : राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी के भीतर भी खलबली मचा दी है. सांसद बेनीवाल ने गुरुवार को वर्तमान राजनीतिक हालातों पर प्रतिक्रिया देते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच आंतरिक गठजोड़ के आरोप दोहराए हैं.
बेनीवाल ने ट्वीट के जरिए आरोप लगाया है कि वसुंधरा राजे लगातार अल्पमत वाली अशोक गहलोत सरकार को बचाने का प्रयास कर रही हैं. कांग्रेस पार्टी में उनके करीबी विधायकों से वह लगातार संपर्क में हैं. बेनीवाल ने दावा किया कि वसुंधरा राजे ने सीकर और नागौर जिले के एक-एक जाट विधायकों को दूरभाष पर सचिन पायलट खेमे में नहीं जाने की सलाह दी. इस पर वह दोनों विधायक मध्य रास्ते से अशोक गहलोत की बाड़ेबंदी में लौट आए. बेनीवाल ने कहा कि इस बात का हमारे पास पुख्ता प्रमाण है.
इन बातों का किया जिक्र
सांसद हनुमान बेनीवाल ने माथुर आयोग, सीपी कोठारी को रीको का निदेशक बनाने और लोकायुक्त की सिफारिश से जुड़े कई मामलों का हवाला देते हुए कहा कि वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत ने एक दूसरे के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालते हुए एक दूसरे को बचाया है. ऐसे में दोनों के आंतरिक गठजोड़ से राजस्थान की जनता को नुकसान हुआ है.
बेनीवाल पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि सीपी कोठारी को रीको का निदेशक बनाने के मामले में लोकायुक्त ने तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे को मामले में मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी. इस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं सांसद ने कहा कि भाजपा नेताओं ने राजे पर 22 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. तब गहलोत ने माथुर आयोग का गठन किया. मगर न्यायालय के समक्ष कमजोर पैरवी करके उन्होंने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
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बाड़ेबंदी लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान
बेनीवाल ने कहा कि अशोक गहलोत द्वारा सरकार के मंत्रियों में सत्ता पक्ष के कई विधायकों की लगातार बाड़ेबंदी की जा रही है, जिससे जनता के काम रुक गए हैं. साथ ही सरकार का अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है. ऐसे में जनता शासन से पूर्ण रूप से त्रस्त आ चुकी है. इस प्रकार का कृत्य लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है, जिसके जिम्मेदार स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. वहीं उन्होंने कहा कि विधायक खरीद-फरोख्त को लेकर गहलोत ने भाजपा पर जो आरोप लगाए वो निराधार हैं.