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युवक ने दीवार पर लिखा- 'जब तक अन अधिकृत कश्मीर मुद्दे का हल नहीं होगा, उधार बंद है', जानें कारण

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Published : Jul 22, 2019, 8:16 AM IST

दीवारों, ट्रकों और गाड़ियों के पीछे आपने कई मजेदार स्लोगन लिखे हुए देखे होंगे लेकिन हिमाचल प्रदेश की एक कैंटीन में एक युवक ने ऐसा स्लोगन लिखा है कि पढ़ने वालों को बड़ा दिलचस्प लगता है. जानें क्या लिखा है युवक ने और क्या है उनका मकसद...

दीवार पर लिखे हुए संदेश की तस्वीर. (डिजाइन फोटो)

शिमलाः अक्सर आपने ट्रकों और गाड़ियों के पीछे लिखे स्लोगन पढ़े होंगे. यह काफी रोचक होते हैं. कुछ तो काफी तथ्यपूर्ण भी होते हैं. इसी तरह के स्लोगन और विचारों की भरमार सोशल मीडिया पर भी सुबह-शाम रहती है. कभी यह स्लोगन काफी हास्यप्रद तो कभी बेहद ही तर्कपूर्ण होते हैं. ठीक ऐसा ही स्लोगन आपको हिमाचल के हमीरपुर की कैंटीन में लिखा हुआ नजर आएगा. यहां चार साल पहले यह स्लोगन लिखा गया है.

स्लोगन है कि 'जब तक अन अधिकृत कश्मीर मुद्दे का हल नहीं होगा, उधार बंद है' इन लाइनों को पहली नजर में देखने और पढ़ने पर आप मुस्करा भी देंगे.

पहली नजर में शायद आप यह भी सोच लें कि यह उधार न देने का बढ़िया बहाना है लेकिन जब आप इन लाइनों को लिखने वाले शख्स से मिलेंगे तो आपकी धारणा बदल जाएगी.

पढ़ेंः खुलासा: POK भागने की फिराक में था आतंकी माजिद बाबा

इस कैंटीन में चाय पीने के बाद जब ईटीवी भारत के कैमरे की नजर इन लाइनों पर गई तो हमारी टीम की लिखने वाले से मिलने की इच्छा हुई.

कैंटीन संचालक अनुज से हुई बातचीत

कैंटीन संचालक अनुज ने कहा कि वह सेना में भर्ती होना चाहते थे लेकिन किसी कारण ऐसा नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि लेकिन उनका भाई भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है और देश की सीमा पर तैनात है.

यह जानकर खुशी हुई कि नशे के दलदल में धंस रहे इस पीढ़ी में आज भी ऐसे युवा मौजूद हैं, जो देश के लिए सोच रहे हैं. दीवार पर संदेश ही सही लेकिन यह भी देश भक्ति का परिचय है.

शिमलाः अक्सर आपने ट्रकों और गाड़ियों के पीछे लिखे स्लोगन पढ़े होंगे. यह काफी रोचक होते हैं. कुछ तो काफी तथ्यपूर्ण भी होते हैं. इसी तरह के स्लोगन और विचारों की भरमार सोशल मीडिया पर भी सुबह-शाम रहती है. कभी यह स्लोगन काफी हास्यप्रद तो कभी बेहद ही तर्कपूर्ण होते हैं. ठीक ऐसा ही स्लोगन आपको हिमाचल के हमीरपुर की कैंटीन में लिखा हुआ नजर आएगा. यहां चार साल पहले यह स्लोगन लिखा गया है.

स्लोगन है कि 'जब तक अन अधिकृत कश्मीर मुद्दे का हल नहीं होगा, उधार बंद है' इन लाइनों को पहली नजर में देखने और पढ़ने पर आप मुस्करा भी देंगे.

पहली नजर में शायद आप यह भी सोच लें कि यह उधार न देने का बढ़िया बहाना है लेकिन जब आप इन लाइनों को लिखने वाले शख्स से मिलेंगे तो आपकी धारणा बदल जाएगी.

पढ़ेंः खुलासा: POK भागने की फिराक में था आतंकी माजिद बाबा

इस कैंटीन में चाय पीने के बाद जब ईटीवी भारत के कैमरे की नजर इन लाइनों पर गई तो हमारी टीम की लिखने वाले से मिलने की इच्छा हुई.

कैंटीन संचालक अनुज से हुई बातचीत

कैंटीन संचालक अनुज ने कहा कि वह सेना में भर्ती होना चाहते थे लेकिन किसी कारण ऐसा नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि लेकिन उनका भाई भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है और देश की सीमा पर तैनात है.

यह जानकर खुशी हुई कि नशे के दलदल में धंस रहे इस पीढ़ी में आज भी ऐसे युवा मौजूद हैं, जो देश के लिए सोच रहे हैं. दीवार पर संदेश ही सही लेकिन यह भी देश भक्ति का परिचय है.

Intro:जब तक अन अधिकृत कश्मीर मुद्दे का हल का नहीं होगा। उधार बंद है!
हमीरपुर।
अक्सर आपने ट्रकों और गाड़ियों के पीछे लिखे स्लोगन पढ़े होंगे यह काफी रोचक होते हैं कुछेक काफी तथ्य पूर्ण भी होते हैं इसी तरह के स्लोगन और विचारों की भरमार सोशल मीडिया पर भी सुबह शाम रहती है। कभी यह स्लोगन काफी हास्यप्रद कभी बेहद ही तर्कपूर्ण होते हैं।
ऐसे में भागदौड़ भरी जिंदगी और सोशल मीडिया के इस जमाने में इन स्लोगन पर नजर टिक जाना अपने आप में बड़ी बात है। आपकी नजर तभी टिक पाएगी यदि कुछ आपको बहुत अलग लिखा हुआ नजर आएगा। ठीक है ऐसा ही स्लोगन आपको पुलिस लाइन हमीरपुर की कैंटीन में लिखा हुआ नजर आएगा यहां पर 4 साल पहले यह स्लोगन लिखा गया है। स्लोगन है जब तक अन अधिकृत कश्मीर मुद्दे का हल का नहीं होगा। उधार बंद है। इन लाइनों को पहली नजर में देखने और पढ़ने पर आप मुस्करा भी देंगे।पहली नजर मे शायद आप यह भी सोच लें कि यह उधार न देने का भी बढ़िया बहाना है लेकिन जब आप इन लाइनों को लिखने वाले शक्स मिलेंगे तो आपकी धारणा बदल जाएगी इस कैंटीन में चाय पीने के बाद जब नजर इन लाइनों पर गई तो लिखने वाले से मिलने की इच्छा हुई और कैंटीन के मालिक से भी बात की। कैंटीन संचालक काफी युवा लड़का निकला नाम है अनुज। उससे सवाल क्या भैया क्या सोचकर यह लाइने लिखी हैं। युवक ने भी बड़ी सहजता से जवाब देते हुए कहा कि आर्मी में जाने की इच्छा थी और हर कोई भारतीय सोचता है कि कश्मीर मुद्दे का हल हो सेना में तो नहीं जा सका जहां काम कर रहा हूं वही दिल में जो संदेश है दीवार पर लिख दिया था कि हर आने जाने वाला इसको पढ़ सके। अनुज ने कहा कि उसका भाई भी भारतीय सेना में जवान है और देश की सीमा पर तैनात है यह जानकर खुशी हुई कि नशे में दलदल धंस रहे इस जनरेशन में आज भी ऐसे युवा मौजूद है जो देश के लिए सोच रहे हैं। दीवार पर संदेश ही सही लेकिन यह भी देश भक्ति का परिचायक है कम से कम उन घिसी पिटी लाइनों से दो बहुत ऊपर है जो सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के आम चुनावों में इस्तेमाल होती है।




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