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मेक इन इंडिया : एचएएल बनाएगा अपाचे की टक्कर के स्वदेशी सैन्य हेलीकॉप्टर - hal to manufacture fighter helicopters

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने वर्ष 2027 तक 10 से 12 टन के स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. अगर सरकार इस साल मंजूरी देती है, तो हेलीकॉप्टर का पहला प्रारूप 2023 में तैयार कर लिया जाएगा.

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Published : Mar 2, 2020, 10:11 AM IST

Updated : Mar 3, 2020, 3:18 AM IST

नई दिल्ली : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने वर्ष 2027 तक 10 से 12 टन के स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने की महत्वकांक्षी और सामरिक रूप से अहम परियोजना पर काम शुरू कर दिया है. इस परियोजना से मेक इन इंडिया की ओर एक कदम और बढ़ेगा.

एचएएल द्वारा बनाए गए हेलीकॉप्टर अपाचे की तरह दुनिया के बेहतरीन सैन्य हेलीकॉप्टर के टक्कर के होंगे.

एचएएल के प्रबंध निदेशक आर माधवन ने कहा कि इस बड़ी योजना का उद्देश्य आने वाले सालों में करीब चार लाख करोड़ रुपये की लागत से तीनों सेनाओं के लिए किए जाने वाले हेलीकॉप्टर के आयात को रोकना है.

माधवन ने एक साक्षात्कार में बताया कि एचएएल ने हेलीकॉप्टर की प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर ली है और शुरुआती योजना के तहत कम से कम 500 हेलीकॉप्टर बनाने का लक्ष्य है. अगर सरकार इस साल मंजूरी देती है, तो हेलीकॉप्टर का पहला प्रारूप 2023 में तैयार कर लिया जाएगा.

उन्होंने कहा, 'एक अहम योजना जिस पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वह एमआई-17 के बेड़े को बदलने के लिए 10 से 12 टन श्रेणी के हेलीकॉप्टर का निर्माण करना है. यह एक स्वदेशी मंच होगा और करीब 500 हेलीकॉप्टर बनाने की क्षमता होगी. इससे दूसरे देशों से चार लाख करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर आयात करने की जरूरत नहीं होगी.'

माधवन ने बताया कि हेलीकॉप्टर का डिजाइन और प्रारूप तैयार करने के लिए 9,600 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.

एचएएल प्रमख ने कहा कि अगर 2020 में हमें इसकी मंजूरी मिल जाती है, तो हम पहला हेलीकॉप्टर 2027 तक बना लेंगे. इस श्रेणी के 500 हेलीकॉप्टर बनाने की योजना है. यह अहम योजना है जिस पर हम काम कर रहे हैं.'

पढ़ें- वायुसेना के बेड़े में 8 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल

एक रक्षा विशेषज्ञ ने इसे तेजस लड़ाकू विमान के बाद एचएएल को सबसे बड़ी परियोजना करार दिया.

माधवन ने प्रस्तावित परियोजना के बारे में बताया, ' हमने प्राथमिक डिजाइन पर काम कर लिया है. हमने वायुसेना और नौसेना से भी चर्चा की है. 10 से 12 टन के हेलीकॉप्टर के दो मौलिक प्रारूप होंगे. नौसेना के लिए बनाए जाने वाले हेलीकॉप्टर का आकार सेना और वायुसेना के लिए बनाए जाने वाले हेलीकॉप्टर से अलग होगा.'

उन्होंने कहा, 'ध्रुव के मंच से हमने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को विकसित किया, इसी प्रकार 10-12 टन श्रेणी में बनने वाले हेलीकॉप्टर अपाचे हेलीकॉप्टर के बराबर होंगे.'

माधवन ने बताया कि हेलीकॉप्टर में दो इंजन होंगे और पोत पर अपनी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए हेलीकॉप्टर के ब्लेड को मोड़ने की सुविधा होगी. योजना के तहत इन हेलीकॉप्टर की हवाई हमले, परिवहन, लड़ाई के दौरान सामरिक मदद करने, दुश्मनों की तलाश और बचाव कार्यों में भूमिका होगी. हेलीकॉप्टर कई आधुनिक हथियार प्रणाली से लैस होंगे.'

एचएएल प्रमुख ने बताया कि हेलीकॉप्टर को निर्यात करने की असीम संभावनाएं होंगी.

पढ़ें-अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता बढायेगा: धनोआ

उल्लेखनीय है कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर बेड़े में एमआई-17 अहम भूमिका निभाते हैं और उन्हें 2032 तक सेवा से हटाने की योजना है.

एचएएल ने अब तक हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), बहुपयोगी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) और चेतक हेलीकॉप्टर को विकसित किया है.

भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार और सैन्य साजो सामान का आयातक है. सरकार रक्षा उत्पादन के स्वेदशीकरण का प्रयास कर रही है और इसके लिए रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को उदार बनाने सहित कई कदम उठा रही है.

भारतीय वायुसेना विमान निर्माण कंपनी बोइंग से अरबों डॉलर में 22 अपाचे गार्जियन लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीद रही है. इसके अलावा थल सेना हथियारों से लैस छह अपाचे हेलीकॉप्टर खरीद रही है. इससे जुड़ा समझौता पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे में किया गया.

नई दिल्ली : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने वर्ष 2027 तक 10 से 12 टन के स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने की महत्वकांक्षी और सामरिक रूप से अहम परियोजना पर काम शुरू कर दिया है. इस परियोजना से मेक इन इंडिया की ओर एक कदम और बढ़ेगा.

एचएएल द्वारा बनाए गए हेलीकॉप्टर अपाचे की तरह दुनिया के बेहतरीन सैन्य हेलीकॉप्टर के टक्कर के होंगे.

एचएएल के प्रबंध निदेशक आर माधवन ने कहा कि इस बड़ी योजना का उद्देश्य आने वाले सालों में करीब चार लाख करोड़ रुपये की लागत से तीनों सेनाओं के लिए किए जाने वाले हेलीकॉप्टर के आयात को रोकना है.

माधवन ने एक साक्षात्कार में बताया कि एचएएल ने हेलीकॉप्टर की प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर ली है और शुरुआती योजना के तहत कम से कम 500 हेलीकॉप्टर बनाने का लक्ष्य है. अगर सरकार इस साल मंजूरी देती है, तो हेलीकॉप्टर का पहला प्रारूप 2023 में तैयार कर लिया जाएगा.

उन्होंने कहा, 'एक अहम योजना जिस पर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वह एमआई-17 के बेड़े को बदलने के लिए 10 से 12 टन श्रेणी के हेलीकॉप्टर का निर्माण करना है. यह एक स्वदेशी मंच होगा और करीब 500 हेलीकॉप्टर बनाने की क्षमता होगी. इससे दूसरे देशों से चार लाख करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर आयात करने की जरूरत नहीं होगी.'

माधवन ने बताया कि हेलीकॉप्टर का डिजाइन और प्रारूप तैयार करने के लिए 9,600 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.

एचएएल प्रमख ने कहा कि अगर 2020 में हमें इसकी मंजूरी मिल जाती है, तो हम पहला हेलीकॉप्टर 2027 तक बना लेंगे. इस श्रेणी के 500 हेलीकॉप्टर बनाने की योजना है. यह अहम योजना है जिस पर हम काम कर रहे हैं.'

पढ़ें- वायुसेना के बेड़े में 8 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल

एक रक्षा विशेषज्ञ ने इसे तेजस लड़ाकू विमान के बाद एचएएल को सबसे बड़ी परियोजना करार दिया.

माधवन ने प्रस्तावित परियोजना के बारे में बताया, ' हमने प्राथमिक डिजाइन पर काम कर लिया है. हमने वायुसेना और नौसेना से भी चर्चा की है. 10 से 12 टन के हेलीकॉप्टर के दो मौलिक प्रारूप होंगे. नौसेना के लिए बनाए जाने वाले हेलीकॉप्टर का आकार सेना और वायुसेना के लिए बनाए जाने वाले हेलीकॉप्टर से अलग होगा.'

उन्होंने कहा, 'ध्रुव के मंच से हमने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को विकसित किया, इसी प्रकार 10-12 टन श्रेणी में बनने वाले हेलीकॉप्टर अपाचे हेलीकॉप्टर के बराबर होंगे.'

माधवन ने बताया कि हेलीकॉप्टर में दो इंजन होंगे और पोत पर अपनी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए हेलीकॉप्टर के ब्लेड को मोड़ने की सुविधा होगी. योजना के तहत इन हेलीकॉप्टर की हवाई हमले, परिवहन, लड़ाई के दौरान सामरिक मदद करने, दुश्मनों की तलाश और बचाव कार्यों में भूमिका होगी. हेलीकॉप्टर कई आधुनिक हथियार प्रणाली से लैस होंगे.'

एचएएल प्रमुख ने बताया कि हेलीकॉप्टर को निर्यात करने की असीम संभावनाएं होंगी.

पढ़ें-अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता बढायेगा: धनोआ

उल्लेखनीय है कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर बेड़े में एमआई-17 अहम भूमिका निभाते हैं और उन्हें 2032 तक सेवा से हटाने की योजना है.

एचएएल ने अब तक हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), बहुपयोगी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) और चेतक हेलीकॉप्टर को विकसित किया है.

भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार और सैन्य साजो सामान का आयातक है. सरकार रक्षा उत्पादन के स्वेदशीकरण का प्रयास कर रही है और इसके लिए रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को उदार बनाने सहित कई कदम उठा रही है.

भारतीय वायुसेना विमान निर्माण कंपनी बोइंग से अरबों डॉलर में 22 अपाचे गार्जियन लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीद रही है. इसके अलावा थल सेना हथियारों से लैस छह अपाचे हेलीकॉप्टर खरीद रही है. इससे जुड़ा समझौता पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे में किया गया.

Last Updated : Mar 3, 2020, 3:18 AM IST
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