नई दिल्ली : रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की राह साफ हो गई है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मंदिर उसी स्थान पर 400 स्क्वॉयर मीटर भूभाग में तैयार किया जाएगा.
इस मामले पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि शांति बनी रहने दें और इस केस को बंद कर दें. अदालत ने यह भी कहा कि एक कमेटी गठित की जाए, जो छह हफ्ते के भीतर मंदिर निर्माण का काम पूरा करे. साथ ही कोर्ट ने कहा कि आस पास के इलाके में कोई भी कॉमर्शियल काम न हो. साथ ही पार्किंग के लिए भी फिलहान जगह देने को मना किया है.
बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने 200 स्क्वॉयर मीटर जगह देने की बात कही थी, जिस पर सहमति नहीं बन पाई थी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायलय में जानकारी दी कि वहां पर 200 स्क्वॉयर मीटर क्षेत्र का भूभाग मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए तैयार है.
रविदास मंदिर दक्षिण दिल्ली के तुगलकाबाद में स्थित है. इसे हटाने पर राजधानी में इसका काफी विरोध हुआ था.
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इस मामले में वकील मनोज गिरी ने बताया कि 12350 वर्ग यार्ड पर मंदिर का पहले से कबजा है. इस दलील को कोर्ट में रखने के बाद रविदास मंदिर क्षेत्रफल 200 स्कॉयर मीटर से बढ़ा कर 400 स्कॉयर मीटर में बनवाए जाने का आदेश पारित किया गया है.
वहीं कांग्रेसी नेता प्रदीप जैन ने कहा कि सरकार की मंशा साफ थी, वो संत रविदास को छोटे से कमरे में रखना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात सुनी और अब 400 स्क्वॉयर मीटर क्षेत्र में मंदिर बनाया जाएगा.
मंदिर की देख रेख करने वाली कमेटी दिल्ली पीसीसी के अध्यक्ष राकेश लिलोठिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समाज के लिए अच्छा कदम बताया है.