जयपुर : भरतपुर में एक बार फिर से गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की ओर से गुर्जर महापंचायत बुलाई गई है. बयाना क्षेत्र के अड्डा गांव में होने वाली महापंचायत में गुर्जर समाज के लोग पहुंचने लगे हैं. पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद हो गया है. महापंचायत स्थल पर जाने से पहले पुलिस प्रशासन ने बयाना में सभी थाना प्रभारियों, पुलिस अधिकारियों और पुलिस कर्मियों की बैठक ली. साथ ही महापंचायत के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी निर्देश दिए.
समाज के लोगों का कहना है कि 150 गांव के करीब 15 से 20 हजार लोगों के महापंचायत में पहुंचने की उम्मीद है. बयाना के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में भारी संख्या में पुलिस तैनात किया गया है. यहां पर पुलिस के आला अधिकारी सभी थाना प्रभारियों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बैठक कर रहे हैं.
गुर्जर समाज की ओर से सभी तैयारियां पूरी
अड्डा गांव में गुर्जर महापंचायत को लेकर कल देर शाम तक गुर्जर समाज की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. गुर्जर समाज की ओर से यहां पर एक खुले खेत में 100 में 300 फीट का पंडाल लगाया गया है. वहीं कानून व्यवस्था के लिए पुलिस का 600, जीआरपी का 140 और आरपीएफ के 90 जवानों का जाब्ता भी तैनात किया गया है. ये जाब्ता धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, अजमेर और कोटा से मंगाया गया है.
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ये हैं मांगें
- सरकार साल 2011 के समझौते की पालना करे
- 2011 से अब तक की भर्तियों में गुर्जर समाज के अभ्यर्थियों को रिजर्वेशन का लाभ देते हुए भर्ती पूरी करे
- सरकार कर्नल बैंसला से बात करे
- सरकार समीक्षा बैठक आयोजित कर समझौते की पालना करे
दरअसल, मांग समाज से जुड़ी है. ऐसे में सरकार के समक्ष जब महापंचायत होगी तो एकजुटता की मजबूती उसमें दिखना जरूरी है. लिहाजा अब तक कर्नल बैंसला और विजय बैंसला की खिलाफत कर रहे हिम्मत सिंह गुर्जर भी महापंचायत को सफल बनाने में जुट गए हैं. हिम्मत सिंह का कहना है महापंचायत समाज की है किसी व्यक्ति की नहीं और नेहरा क्षेत्र के पंच पटेलों ने जब 80 गांव को आमंत्रित किया है तो हम सब उसमें शामिल होंगे. इस सिलसिले में हिम्मत सिंह ने क्षेत्र के गुर्जर समाज से आने वाले लोगों के साथ बैठकें भी की और आह्वान भी किया कि ज्यादा से ज्यादा लोग महापंचायत में शामिल हों.
गौरतलब है कि गुर्जर समाज वर्ष 2007-08 से आरक्षण के लिए लगातार आंदोलनरत है. इसको लेकर सरकार के साथ कई बार समझौते भी हुए, लेकिन अभी तक गुर्जर आरक्षण को लेकर सरकार और गुर्जर समाज में सहमति नहीं बन पाई है.