हैदराबाद : भारत में प्रतिदिन कहीं न कहीं हत्या होती ही है. इतनी बड़ी आबादी वाले देश में हत्या होने पर स्थानीय स्तर पर तो लोग उत्तेजित होते हैं मगर राष्ट्रव्यापी बहस का विषय कुछेक हत्याएं ही बन पाती हैं. पढ़िए, ऐसी ही कुछ सनसनीखेज हत्याएं.
तंदूर हत्या का मामला : दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुशील शर्मा को 2003 में अपनी पत्नी व महिला कांग्रेस की दिल्ली इकाई की पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष रही नैना साहनी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था. यह हत्या जुलाई 1995 में हुई थी. दोनों शादी करने से कुछ समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहे थे. 2 जुलाई, 1995 को शर्मा ने कथित तौर पर नैना को फोन पर किसी से बात करते हुए देखा. सुशील शर्मा को देखते ही नैना ने फोन रख दिया. सुशील शर्मा ने फोन से री डायल किया तो नैना के पूर्व सहपाठी और कांग्रेस के सहयोगी ने फोन उठाया. इसके बाद सुशील शर्मा ने हंगामा किया, लेकिन नैना इंकार करती रही. गुस्से में, सुशील शर्मा ने नैना को गोली मार दी. फिर उसकी लाश को अपने रेस्त्रां ले गया और लाश को उसने छोटे टुकड़ों में काट दिया और उसे तंदूर में जलाने की कोशिश की. यह मामला उसी साल कोर्ट में चला गया और 2003 में उसे मौत की सजा मिली. 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने सुशील शर्मा के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया.
नीरज ग्रोवर हत्या का मामला : इस मामले में मीडिया का ध्यान इस वजह से गया कि यह बहुत ही चौंकाने वाला केस था. मुंबई स्थित प्रोडक्शन हाउस के लिए काम करने वाले नीरज को मई 2008 में मृत पाया गया था. उनके शरीर को टुकड़ों में काट दिया गया था और तीन कचरा बैग में भरकर जंगल में आग लगा दी गई थी. उनकी एक दोस्त मारिया सुसाइराज ने पुलिस शिकायत दर्ज की कि वह लापता हैं लेकिन बाद में पता चला कि वह हत्या में शामिल थी. पता चला कि मारिया के प्रेमी लेफ्टिनेंट एम.एल. जेरोम मैथ्यू ने गुस्से में नीरज को मार डाला था. उसे शक था कि मारिया का उसके साथ संबंध था.
शीना बोरा : शीना बोरा की चौंकाने वाली हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. शीना की हत्या के लिए उसकी मां इंद्राणी मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन इसके बाद भी इंद्राणी ने कभी दो बच्चे होने की बात स्वीकार नहीं की और शीना को अपनी बहन होने का दावा किया. हत्या का एक कारण इंद्राणी और उसके पति पीटर मुखर्जी के वित्तीय लेन-देन भी थे.
नीतीश कटारा मर्डर केस : ऑनर किलिंग के एक मामले में नीतीश कटारा की हत्या राजनेता डीपी यादव के बेटे विकास द्वारा की गई थी. नीतीश का विकास की बहन भारती यादव के साथ अफेयर था. विकास ने कभी भी उनके प्यार को मंजूर नहीं किया. एक शादी के दौरान विकास और नीतीश की मुलाकात हुई. विकास ने नीतीश को अपनी गाड़ी में बैठाकर ले गया और उसे मार डाला. रिपोर्ट्स के अनुसार, विकास द्वारा नीतीश को बुरी तरह पीटा गया था. नीतीश का पाचन तंत्र बाहर आ गया था और पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया गया था. विकास वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
ठाणे सामूहिक हत्या : 28 फरवरी, 2016 को आत्महत्या करने से पहले हसनैन वेयरकर ने अपने परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी. जांच के अनुसार, वेयरकर का कई वर्षों से अपने माता-पिता के साथ तनावपूर्ण संबंध था और 2013 के बाद से वित्तीय परेशानियों ने उसके परिवार के साथ संबंध खराब कर दिए. वेयरकार एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा था. लगभग 68 लाख रुपये का कर्ज था. उसने परिवार के सोने के गहने गिरवी रख दिए थे और परिवार के कई सदस्यों से उधार लिया था.
निठारी कांड : 2007 में भारतीयों को नोएडा के निठारी गांव में एक भयानक झटका लगा. मोनिंदर सिंह पंढेर के घर में मृत बच्चों और वयस्कों के शरीर पाए गए थे. जब जांच शुरू की गई, तो यह पता चला कि पंढेर और उसका सेवादार सुरेंद्र कोली बच्चों के साथ बलात्कार के बाद हत्या कर रहे थे. कभी-कभी नाबालिगों के शरीर के अंगों को खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. एक मामले में उन्होंने इसे पकाया भी था. 2009 में, पंधेर को एक मामले में आरोपों से बरी कर दिया गया था, लेकिन अभी भी अन्य मामले में सह-अभियुक्त है. उसकी मौत की सजा को समाप्त कर दिया गया है. 15 मामलों में से कोली को पांच में दोषी ठहराया गया है. इस बीच, इस साल जनवरी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.
जेसिका लाल : 1999 में पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने दक्षिणी दिल्ली के महरौली में सोशलाइट बीना रमानी के स्वामित्व वाले रेस्तरां में शराब परोसने से इनकार करने के बाद जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. मामला हत्या के तुरंत बाद सुर्खियों में आया, जब मनु शर्मा को एक ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था. एक राष्ट्रव्यापी विरोध के बाद, एक फास्ट ट्रैक ट्रायल के माध्यम से दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषी पाया और उन्हें मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
आरुषि-हेमराज हत्याकांड : आरुषि तलवार और हेमराज. दो नाम जिन्होंने मई 2008 में पूरे देश को हिला दिया था. आरुषि की हत्या उसके घरेलू कार्यकर्ता हेमराज के साथ की गई थी. प्रारंभिक जांच में, आरोपी सूची में बहुत सारे नाम दिखाई दिए. सनसनीखेज मीडिया कवरेज हुए. आरुषि और संदिग्धों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगे. नवंबर 2013 में, आरुषि के माता-पिता को हत्या का दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन कई आलोचकों ने तर्क दिया कि निर्णय कमजोर सबूतों पर आधारित था. तलवार दंपती ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी, जिसमें उन्हें 2017 में बरी कर दिया गया. उनके खिलाफ सबूतों को असंतोषजनक बताया गया और उन्हें संदेह का लाभ दिया.
संजय और गीता चोपड़ा की हत्या : इस मामले ने 1970 के दशक के भारत को सन्न कर दिया था. अगस्त 1978 में, कुलजीत सिंह उर्फ रंगा खुस और जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला ने दो किशोरों की हत्या की. दोनों एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी के बच्चे थे. रंगा और बिल्ला मुंबई के दो खतरनाक अपराधी थे, जिन्हें उसी समय मुंबई की आर्थर रोड जेल से रिहा किया गया था. गीता और संजय चोपड़ा का अपहरण नई दिल्ली में फिरौती के लिए किया गया था, लेकिन उनके पिता के नौसैनिक होने का पता चलने पर रंगा और बिल्ला ने मार दिया. कथित तौर पर हत्या से पहले गीता का बलात्कार किया गया था, लेकिन फोरेंसिक सबूत इसकी पुष्टि नहीं कर सके. दोनों अपहरणकर्ताओं को मौत की सजा सुनाई गई थी और 1982 में फांसी दी गई थी.
प्रमोद महाजन की हत्या : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रमोद महाजन को उनके छोटे भाई प्रवीण ने प्रमोद के घर में ही दिन के उजाले में गोली मार दी थी. हत्या ने सभी को सदमे में छोड़ दिया. प्रवीण ने पहले अपने भाई को मार डाला और फिर पास के एक पुलिस स्टेशन में चला गया और कहा, मैं प्रवीण हूं ... मैंने प्रमोद को गोली मार दी. अदालत की सुनवाई के दौरान प्रवीण ने कहा था, प्रमोद ने मुझे एक पालतू कुत्ते की तरह रखा था. प्रवीण को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी लेकिन मार्च 2010 में एक संदिग्ध ब्रेन हैमरेज से उसकी मौत हो गई.