कोटा : राजस्थान के कोटा से करीब छह हजार से ज्यादा बच्चे 430 बसों में अपने-अपने गृह राज्यों को लौट गए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश सबसे पहला राज्य था, जिसने अपने बच्चों को बस भेजकर बुलाया. इस क्रम में मध्य प्रदेश और गुजरात भी शामिल हैं. साथ ही यूनियन टेरिटरी दमन व दीव के साथ दादर व नागर हवेली के बच्चे भी अपने घरों को लौट गए हैं. इन सब बच्चों ने अपनी-अपनी सरकारों को उनके गृह जिलों में पहुंचाने के लिए धन्यवाद दिया. अब वह अपने परिजनों के पास हैं और अपनी पढ़ाई ठीक से कर सकते हैं.
यहां उनकी एंजाइटी और डिप्रेशन के चलते पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. इसी क्रम में अब असम के बच्चों की भी घर वापसी होगी, लेकिन बिहार और झारखंड की सरकारें अपने बच्चों को ले जाने के लिए पहले ही मना कर चुकीं हैं.
ये बच्चे लगातार अपनी सरकार से अपील कर रहे हैं कि उन्हें यहां से लेकर जाएं. इनके साथ पश्चिमी बंगाल, ओडिशा, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और महाराष्ट्र के भी बच्चे हैं.
कोटा में फंसे 20 हजार बच्चे
हालांकि, इनमें राजस्थान के भी अन्य जिलों के बच्चे कोटा में फंसे हुए हैं. इन छात्रों की संख्या करीब 20 हजार है, जो कि बिहार के करीब 6500, झारखंड के 3000, हरियाणा और महाराष्ट्र के दो-दो हजार, नॉर्थ ईस्ट और पश्चिमी बंगाल के एक-एक हजार छात्र हैं. इसके अलावा बचे हुए छात्र दिल्ली, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश के साथ राजस्थान के हैं.
कोटा में रुके हुए छात्रों का कहना है कि यहां पर पढ़ाई नहीं हो पा रही है. ऐसे में वह डिप्रेशन में है. साथ ही घर वाले भी लगातार उनकी चिंता करते हैं. बार-बार उनसे बात होती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें भी अपने परिजनों की चिंता सता रही है. कोविड-19 के चलते वे किस हालात में है, कैसे हैं.
इसी तरह से छत्तीसगढ़ की छात्रा सोनाली पवार का कहना है कि हमें पढ़ाई में दिक्कत आ रही है. रहने की भी दिक्कत आ रही है, यहां पर खाने की भी समस्या हमारे सामने खड़ी हो चुकी है. हमारी सरकार को कुछ करना चाहिए. हम घर तक पहुंच जाएं. हमारी सरकार को इस पर कदम उठाना चाहिए, हमारी पढ़ाई खराब हो रही है.
जल्द से जल्द भेजें बसें
झारखंड की छात्रा मेघा का कहना है कि पहले हॉस्टल में बड़ी संख्या में छात्राएं रहती थीं. अब काफी कम लोग ही हॉस्टल में बचे हैं. मेरे पिता भी परमिशन के लिए झारखंड में ट्राई कर रहे हैं. झारखंड सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है कि वहां से कोई बस भेजी जाए. जबकि असम बहुत दूर है, वहां के बच्चों को भी कोटा से भेजा जा रहा है. हमें यहां पर इनसिक्योरिटी और एंजाइटी हो रही है, हमें डर भी लग रहा है. जल्द से जल्द झारखंड सरकार यहां बसें भेजें, ताकि हम सब घर चले जाएं.
कोटा में केस बढ़ने से चिंता कर रहे हैं परिजन
बिहार के छात्र अंकित का कहना है कि उन्हें पूरी मात्रा में खाना नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा कोटा में केस बढ़ने से उनके परिजन भी लगातार चिंता कर रहे हैं. हम सभी स्टूडेंट्स दूसरे व्यक्ति पर डिपेंडेंट है. हमें खाना हो या रहना सब दूसरे के भरोसे ही है. इसके चलते हमें समस्याएं काफी हो रही है. बिहार सरकार से मैं कहना चाहता हूं कि हमें जल्दी से जल्दी बुलवा लिया जाए.