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महामारी से कमजोर लड़ाई की वजह खराब नीति : पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी

भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से बचाव के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, कई स्थानों पर प्रशासनिक और सरकारी विफलता का जिक्र भी हो रहा है. ताजा घटनाक्रम में महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने सरकार की आर्थिक नीति को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण शहरीकरण हो रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में बड़ी संख्या में लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ा है.

grandson of gandhi on tackling pandemic
महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी ने की सरकार की आलोचना
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Published : Oct 18, 2020, 8:14 PM IST

अहमदाबाद : गोपालकृष्ण गांधी ने कहा है कि अगर भारत ने अलग आर्थिक नीति अपनाई होती तो भारत कोरोना वायरस महामारी से बेहतर तरीके से निपट सकता था. उनका कहना है कि वर्तमान आर्थिक नीति के कारण बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहा है और किसान शहरों का रुख करने के लिए बाध्य हैं. वह गुजरात विद्यापीठ के 101वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे. बता दें कि गोपालकृष्ण गांधी सेवानिवृत्त राजनयिक और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं.

पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर गांधी ने दिया बल

गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि गांधी ने देश की आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि इससे औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा मिला है. जिससे 'बड़ी आबादी इधर से उधर' हुई है और बड़ी संख्या में किसान शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए हैं. गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि उदारीकण, निजीकरण या वैश्वीकरण की आर्थिक नीति से बड़ी संख्या में आबादी इधर से उधर हुई है न कि उसका पुनर्वास हुआ है. जिस तरीके से शहरों की आबादी बढ़ रही है उसने आज महामारी (कोविड-19) का तेजी से प्रसार किया है.'

हमारे पास ज्यादा संख्या में होते अस्पताल और नर्स

महामारी के प्रसार के संबंध में गोपालकृष्ण गांधी ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या शहरों की तरफ आबादी के जाने से महामारी नहीं बढ़ेगी? हमें अपनी आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि अगर हमने अलग नीति अपनाई होती तो हमारे पास ज्यादा संख्या में अस्पताल, नर्सों के लिए हॉस्टल, प्रयोगशाला तकनीशियन होने चाहिए थे न कि सरकारी स्तर पर बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं और सामाजिक स्तर पर बड़ी संख्या में मंदिर, मस्जिद होने चाहिए थे.'

पढ़ें: देश कोरोना संक्रमण के मामले में सामुदायिक प्रसारण के दौर में : हर्षवर्धन

किसानों ने देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का किया समाधान

गोपालकृष्ण गांधी महात्मा गांधी के पौत्र भी हैं. उन्होंने कहा कि यह महामारी 100 वर्षों के बाद आई है लेकिन कौन जानता है कि हर वर्ष एक नया वायरस आ जाए.' उन्होंने कहा कि इस कारण गरीब लोगों को उन लोगों के कारण भुगतना पड़ता है जो महामारी के दौरान त्योहार के नाम पर सामाजिक दूरी के नियम, मास्क पहनने और साफ-सफाई आदि की बात भूल जाते हैं. गांधी ने कहा कि किसानों ने हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान किया लेकिन सरकार की तरफ से अपनाई गई नीतियों के कारण वे शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए.

अहमदाबाद : गोपालकृष्ण गांधी ने कहा है कि अगर भारत ने अलग आर्थिक नीति अपनाई होती तो भारत कोरोना वायरस महामारी से बेहतर तरीके से निपट सकता था. उनका कहना है कि वर्तमान आर्थिक नीति के कारण बड़े पैमाने पर शहरीकरण हो रहा है और किसान शहरों का रुख करने के लिए बाध्य हैं. वह गुजरात विद्यापीठ के 101वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे. बता दें कि गोपालकृष्ण गांधी सेवानिवृत्त राजनयिक और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं.

पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर गांधी ने दिया बल

गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि गांधी ने देश की आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि इससे औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा मिला है. जिससे 'बड़ी आबादी इधर से उधर' हुई है और बड़ी संख्या में किसान शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए हैं. गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि उदारीकण, निजीकरण या वैश्वीकरण की आर्थिक नीति से बड़ी संख्या में आबादी इधर से उधर हुई है न कि उसका पुनर्वास हुआ है. जिस तरीके से शहरों की आबादी बढ़ रही है उसने आज महामारी (कोविड-19) का तेजी से प्रसार किया है.'

हमारे पास ज्यादा संख्या में होते अस्पताल और नर्स

महामारी के प्रसार के संबंध में गोपालकृष्ण गांधी ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या शहरों की तरफ आबादी के जाने से महामारी नहीं बढ़ेगी? हमें अपनी आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि अगर हमने अलग नीति अपनाई होती तो हमारे पास ज्यादा संख्या में अस्पताल, नर्सों के लिए हॉस्टल, प्रयोगशाला तकनीशियन होने चाहिए थे न कि सरकारी स्तर पर बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं और सामाजिक स्तर पर बड़ी संख्या में मंदिर, मस्जिद होने चाहिए थे.'

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किसानों ने देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का किया समाधान

गोपालकृष्ण गांधी महात्मा गांधी के पौत्र भी हैं. उन्होंने कहा कि यह महामारी 100 वर्षों के बाद आई है लेकिन कौन जानता है कि हर वर्ष एक नया वायरस आ जाए.' उन्होंने कहा कि इस कारण गरीब लोगों को उन लोगों के कारण भुगतना पड़ता है जो महामारी के दौरान त्योहार के नाम पर सामाजिक दूरी के नियम, मास्क पहनने और साफ-सफाई आदि की बात भूल जाते हैं. गांधी ने कहा कि किसानों ने हमारे देश की खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान किया लेकिन सरकार की तरफ से अपनाई गई नीतियों के कारण वे शहरों की तरफ जाने के लिए बाध्य हुए.

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