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भारतीय वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक से बैगन के पौधे में उगाया टमाटर

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने देश में पहली बार ग्राफ्टिंग तकनीक से ऐसी पौध को विकसित किया है, जिससे एक ही पौधे में अलग-अलग सब्जियां उगी हों. वाराणसी के शहंशाहपुर में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ही शोध किया है.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान
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Published : Feb 7, 2021, 10:36 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शहंशाहपुर में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में शोध के बाद एक ऐसे पौधे को तैयार किया गया है, जिसमें दो अलग-अलग पौधे लग रहे हैं और एक ही पौधे में दो तरह की सब्जियां मिल रही हैं. यह कमाल ग्राफ्टिंग विधि से हुआ है और बैगन के पौधे में टमाटर को मर्ज कर एक साथ एक ही जड़ में दो तरह की सब्जियां उगाई जा रही हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में पहली बार इस तरह का प्रयोग हुआ है. जिसके सफल होने के बाद कम जगह और खर्च में बेहतर खेती करने का उपाय भी सामने आया है.

भारतीय वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक से बैगन के पौधे में उगाया टमाटर

दरअसल, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान लगातार नई-नई सब्जियों और फलों की प्रजातियों पर शोध करता रहता है और कृषि के बेहतर एडवांस तकनीक पर भी यहां के वैज्ञानिक अपने तरीके से कार्य करते हैं. जिसके फलस्वरूप ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग 2013-14 में शुरू हुआ. इसका सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा. खासकर उन इलाकों के किसानों को, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है.

फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है. जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं और घर में ही सब्जी उगाकर खाना चाहते हैं या फिर टेरिस गार्डन के शौकीन लोगों के लिए यह खास माना जा रहा है.

इतना ही नहीं इस प्रयोग के सफल होने के बाद अब आलू के साथ टमाटर और बैंगन की जॉइंट खेती का प्रयोग भी शुरू हो गया है. जिसके सफल होने के बाद एक नई उपलब्धि हासिल होगी.

ऐसे होता है कार्य
वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक शोध करके एक ही पौधे में दो सब्जियों को पैदा कर रहे हैं. ग्राफ्टिंग विधि के द्वारा पहले बैगन के पौधे में कलम विधि से टमाटर के पौधे को साथ मर्ज करके उसे एक ही पौधे में उगाया जा रहा है.

इस शोध को करने वाले संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आनंद बहादुर सिंह ने बताया कि ऐसे विशेष पौधे तैयार करने के लिए 24-28 डिग्री तापमान में 85 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता और बिना प्रकाश के नर्सरी अवस्था में तैयार किया जाता है. ग्राफ्टिंग के 15-20 दिन बाद इसे प्रक्षेत्र में बोया जाता है. ठीक मात्रा में उर्वरक, पानी और कांट छांट के बाद ये पौधे रोपाई के 60-70 दिन बाद फल देते हैं.

सेहत के लिए बेहद फायदेमंद
सब्जियों में ऐसे ही काफी पोषक तत्व माने जाते हैं. बैगन में आयरन और टमाटर में कैल्शियम के साथ अन्य कई तरह के फायदे मिलते हैं, लेकिन इस तकनीक से एक ही पौधे में दो तरह की सब्जियां उगाया जाना आपकी सेहत के लिए और भी ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें- इंदौर में पक्षियों के लिए बन रहा देश का पहला टाउनशिप

वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इसे लेकर जांच जारी है कि यह सब्जियां सेहत के लिए कितनी फायदेमंद साबित हो सकती हैं, लेकिन प्रारंभिक स्टेज में जो नतीजे सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं, क्योंकि बैंगन की जड़ में टमाटर को कलम करके उगाया जाना दोनों सब्जियों में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ा रहा है, जो शरीर के लिए फायदेमंद ही साबित होंगी. फिलहाल इसे लेकर अभी और शोध जारी है और आने वाले दिनों में और भी बेहतर नतीजे सामने आ सकते हैं.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शहंशाहपुर में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में शोध के बाद एक ऐसे पौधे को तैयार किया गया है, जिसमें दो अलग-अलग पौधे लग रहे हैं और एक ही पौधे में दो तरह की सब्जियां मिल रही हैं. यह कमाल ग्राफ्टिंग विधि से हुआ है और बैगन के पौधे में टमाटर को मर्ज कर एक साथ एक ही जड़ में दो तरह की सब्जियां उगाई जा रही हैं.

सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में पहली बार इस तरह का प्रयोग हुआ है. जिसके सफल होने के बाद कम जगह और खर्च में बेहतर खेती करने का उपाय भी सामने आया है.

भारतीय वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक से बैगन के पौधे में उगाया टमाटर

दरअसल, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान लगातार नई-नई सब्जियों और फलों की प्रजातियों पर शोध करता रहता है और कृषि के बेहतर एडवांस तकनीक पर भी यहां के वैज्ञानिक अपने तरीके से कार्य करते हैं. जिसके फलस्वरूप ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग 2013-14 में शुरू हुआ. इसका सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा. खासकर उन इलाकों के किसानों को, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है.

फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है. जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं और घर में ही सब्जी उगाकर खाना चाहते हैं या फिर टेरिस गार्डन के शौकीन लोगों के लिए यह खास माना जा रहा है.

इतना ही नहीं इस प्रयोग के सफल होने के बाद अब आलू के साथ टमाटर और बैंगन की जॉइंट खेती का प्रयोग भी शुरू हो गया है. जिसके सफल होने के बाद एक नई उपलब्धि हासिल होगी.

ऐसे होता है कार्य
वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक शोध करके एक ही पौधे में दो सब्जियों को पैदा कर रहे हैं. ग्राफ्टिंग विधि के द्वारा पहले बैगन के पौधे में कलम विधि से टमाटर के पौधे को साथ मर्ज करके उसे एक ही पौधे में उगाया जा रहा है.

इस शोध को करने वाले संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आनंद बहादुर सिंह ने बताया कि ऐसे विशेष पौधे तैयार करने के लिए 24-28 डिग्री तापमान में 85 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता और बिना प्रकाश के नर्सरी अवस्था में तैयार किया जाता है. ग्राफ्टिंग के 15-20 दिन बाद इसे प्रक्षेत्र में बोया जाता है. ठीक मात्रा में उर्वरक, पानी और कांट छांट के बाद ये पौधे रोपाई के 60-70 दिन बाद फल देते हैं.

सेहत के लिए बेहद फायदेमंद
सब्जियों में ऐसे ही काफी पोषक तत्व माने जाते हैं. बैगन में आयरन और टमाटर में कैल्शियम के साथ अन्य कई तरह के फायदे मिलते हैं, लेकिन इस तकनीक से एक ही पौधे में दो तरह की सब्जियां उगाया जाना आपकी सेहत के लिए और भी ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है.

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वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इसे लेकर जांच जारी है कि यह सब्जियां सेहत के लिए कितनी फायदेमंद साबित हो सकती हैं, लेकिन प्रारंभिक स्टेज में जो नतीजे सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं, क्योंकि बैंगन की जड़ में टमाटर को कलम करके उगाया जाना दोनों सब्जियों में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ा रहा है, जो शरीर के लिए फायदेमंद ही साबित होंगी. फिलहाल इसे लेकर अभी और शोध जारी है और आने वाले दिनों में और भी बेहतर नतीजे सामने आ सकते हैं.

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