नई दिल्ली : हाथरस की घटना के बाद पूरे देश में दलितों को लेकर बवाल मचा हुआ है. एक वास्तविकता यह भी है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में कई पद पिछले 6 महीने से रिक्त हैं. उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष का भी पद 2019 नवंबर से रिक्त है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग पिछले 6 महीने से खाली पड़ा है मगर केंद्र सरकार ने अभी तक न तो इसके अध्यक्ष की नियुक्ति की, न ही उपाध्यक्ष और न ही तीनों सदस्यों की.
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष ही नहीं
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को लेकर केंद्र सरकार की गंभीरता का आलम यह है कि 31 मई को इस आयोग के पूर्व अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया, उपाध्यक्ष एल मुरुगन और तीन सदस्यों को मिलाकर बनने वाले आयोग के सभी सदस्यों के कार्यकाल खत्म हो गए थे और इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए सरकार के पास सूचना भेज दी गई थी. 6 महीने बीत जाने के भी नियुक्ति नहीं हो पाई है. उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग की हालात भी कुछ ऐसे ही है. नवंबर माह से ही यह बगैर अध्यक्ष के काम कर रहा है.
7000 शिकायतें पेंडिंग
उत्तर प्रदेश में भारत की कुल आबादी के 22% दलित यानी लगभग 23 करोड़ दलित समुदाय रहते हैं. प्रतिदिन अगर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के पास हजारों की संख्या में आवेदन और शिकायतें आती हैं. उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल थे, जिनका नवंबर में कार्यकाल खत्म हो गया था. उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग में इस साल के जून माह तक 7000 शिकायतें पेंडिंग पड़ी थीं.
हाथरस के दोषियों को सजा मिलेगी : राम शंकर कठेरिया
ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया (जिनका कार्यकाल 31 मई को खत्म हुआ था) से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मामले में वह कुछ नहीं कह सकते क्योंकि उनका कार्यकाल 31 मई को खत्म हो चुका है. हाथरस घटना पर प्रतिक्रया देते हुए उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ और इस घटना की सच्चाई के लिए जो कदम उठाए गए हैं, वह सराहनीय हैं और मुझे लगता है कि सच्चाई जरूर सामने आएगी. दोषियों को सजा मिलेगी.