नई दिल्ली : भारत के सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त मौका देने का मामला केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग के 'सक्रिय विचार' के तहत शुक्रवार को प्रस्तुत किया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि अतिरिक्त अवसर के लिए याचिका के संबंध में केंद्र एक प्रतिकूल स्टैंड नहीं ले रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में निर्णय तीन या चार सप्ताह के भीतर होने की संभावना थी. तुषार मेहता ने कहा कि अतिरिक्त मौका देने के लिए नियमों में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है.
सॉलिसिटर जनरल ने कोरोना से संबंधित कठिनाइयों के कारण अतिरिक्त अवसर की मांग करने वाले सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों द्वारा याचिका को जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ के समक्ष रखा.
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने प्रस्तुत किया कि महामारी की स्थिति के कारण अक्टूबर 2020 में आयोजित प्रारंभिक परीक्षाओं में कई उम्मीदवार उपस्थित नहीं हो सके और वे ठीक से परीक्षा की तैयारी भी नहीं कर सके.
इंस्ट्रक्टिंग काउंसिल एडवोकेट अनुश्री कपाड़िया ने स्पष्ट किया कि याचिका अंतिम प्रयास करने वाले उम्मीदवारों तक सीमित नहीं थी और उन सभी उम्मीदवारों को कवर करने के लिए व्यापक थी, जिन्हें कोविड-19 के कारण परीक्षा में आने और तैयारी करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था.
पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी और केंद्र को नोटिस जारी किया
बता दें कि 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया था कि वे उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने पर विचार करें, जो 2020 में (अधिकतम निर्धारित आयु के चलते) अंतिम बार परीक्षा देना चाहते हैं.
यह निर्देश न्यायमूर्ति खानविल्कर के नेतृत्व वाली पीठ ने अक्टूबर 2020 में यूपीएससी परीक्षा स्थगित करने की याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज करते हुए दिया था.