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मोदी सरकार 2.0 : भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती, जा सकती है नौकरी

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में भ्रष्ट कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने सभी विभागों से उनके कर्मचारियों की कामकाज की समीक्षा करने को कहा है. पढ़ें पूरी खबर...

नरेंद्र मोदी
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Published : Jun 21, 2019, 7:16 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 8:53 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाया है. इसके तहत केंद्र ने भ्रष्ट एवं नकारा कर्मचारियों के बाहर का रास्ता दिखाने के लिए बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों एवं अपने सभी विभागों से अपने कर्मियों के सेवा रिकार्ड की समीक्षा करने को कहा है.

कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से प्रत्येक श्रेणी के कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा 'पूरे नियम कायदे' से करने के साथ यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जबरन सेवानिवृत्ति की कार्रवाई में मनमानी न हो.

इसमें कहा गया है, 'सभी मंत्रालयों / विभागों से आग्रह है कि वे सार्वजनिक उपक्रमों / बैंकों और स्वायत्त संस्थानों समेत अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले विभागों के कर्मचारियों के कामकाज की 'कायदे कानून और सही भावना' के अनुसार समीक्षा करें.'

कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालयों या विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक सरकारी कर्मचारी को जनहित में समय से पहले सेवानिवृत्त करने जैसी निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन हो और ऐसा निर्णय मनमाना नहीं हो....'

etvbharat modi
बैठक के दौरान पीएम मोदी.

निर्देश के अनुसार सभी सरकारी संगठनों को को प्रत्येक महीने के 15 तारीख को निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट देने को कहा गया है. इसकी शुरूआत 15 जुलाई 2019 से होगी.

पढ़ें-'ट्रंप और शी से भी ज्यादा ताकतवर हुए नरेन्द्र मोदी'

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मूल नियम 56 (जे), (आई) और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 48 के तहत जारी कार्मिक मंत्राालय के दिशानिर्देशों के अंतर्गत बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्र सरकार के विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों का सेवा रिकार्ड की समीक्षा की जाएगी.

ये नियम सरकार को जनहित में उस सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है जिसकी ईमानदारी संदेहास्पद है और जो काम के मामले में कच्चे हैं.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में जनहित में सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद विभाग के 15 अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त किया. इस महीने की शुरूआत में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 12 अधिकारियों को भी सेवा से बर्खास्त किया गया था.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि सार्वजनिक जीवन और सरकारी सेवाओं से भ्रष्टाचार को हटाने का अभियान चलाया जाएगा.

नई दिल्ली: सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाया है. इसके तहत केंद्र ने भ्रष्ट एवं नकारा कर्मचारियों के बाहर का रास्ता दिखाने के लिए बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों एवं अपने सभी विभागों से अपने कर्मियों के सेवा रिकार्ड की समीक्षा करने को कहा है.

कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से प्रत्येक श्रेणी के कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा 'पूरे नियम कायदे' से करने के साथ यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जबरन सेवानिवृत्ति की कार्रवाई में मनमानी न हो.

इसमें कहा गया है, 'सभी मंत्रालयों / विभागों से आग्रह है कि वे सार्वजनिक उपक्रमों / बैंकों और स्वायत्त संस्थानों समेत अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले विभागों के कर्मचारियों के कामकाज की 'कायदे कानून और सही भावना' के अनुसार समीक्षा करें.'

कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि मंत्रालयों या विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक सरकारी कर्मचारी को जनहित में समय से पहले सेवानिवृत्त करने जैसी निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन हो और ऐसा निर्णय मनमाना नहीं हो....'

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बैठक के दौरान पीएम मोदी.

निर्देश के अनुसार सभी सरकारी संगठनों को को प्रत्येक महीने के 15 तारीख को निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट देने को कहा गया है. इसकी शुरूआत 15 जुलाई 2019 से होगी.

पढ़ें-'ट्रंप और शी से भी ज्यादा ताकतवर हुए नरेन्द्र मोदी'

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मूल नियम 56 (जे), (आई) और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 48 के तहत जारी कार्मिक मंत्राालय के दिशानिर्देशों के अंतर्गत बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्र सरकार के विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों का सेवा रिकार्ड की समीक्षा की जाएगी.

ये नियम सरकार को जनहित में उस सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है जिसकी ईमानदारी संदेहास्पद है और जो काम के मामले में कच्चे हैं.

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में जनहित में सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद विभाग के 15 अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त किया. इस महीने की शुरूआत में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 12 अधिकारियों को भी सेवा से बर्खास्त किया गया था.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि सार्वजनिक जीवन और सरकारी सेवाओं से भ्रष्टाचार को हटाने का अभियान चलाया जाएगा.

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GOVT-CORRUPTION-REVIEW
Govt asks banks, PSUs to review staff's service records to weed out corrupt, non-performing ones
         New Delhi, Jun 21 (PTI) The Centre has asked banks, PSUs and all its departments to review service records of employees working under them to weed out corrupt and non-performing ones.
         The Personnel Ministry has written to secretaries of all central government departments asking them to carry out the review of all categories of employees in "letter and spirit" and to ensure that decision to retire a public servant is not "arbitrary".
         "All ministries/departments are requested to undertake the periodic reviews in
letter and spirit, including in public sector undertakings (PSUs)/banks and autonomous institutions, under their administrative control," it said.
         The ministries or departments should ensure that the prescribed procedure like
forming of opinion to retire a government employee prematurely in public interest is
strictly adhered to, and that the decision is not an arbitrary one, and is not based on
collateral grounds, the Personnel Ministry said.
         All government organisations have been asked to furnish a report to the Ministry in a prescribed format by 15th day of each month starting from July 15, 2019, the directive said.
         The service records of employees working under banks, PSUs and central government departments will be reviewed as per the Personnel Ministry guidelines under Fundamental Rule 56 (J), (I) and Rule 48 of Central Civil Service (Pension) Rules 1972, a senior official said.
         These rules allows government to retire a public servant in public interest "whose integrity is doubtful" and those "found to be ineffective" in working, he said.
         The central government had recently retired 15 officers of Indian Revenue Service (Customs and Central Excise) in public interest under these rules. Earlier this month, 12 officers of Indian Revenue Service (Income Tax) were also dismissed from service.
         The mission to eliminate corruption from public life and government services will be implemented with greater zeal, President Ram Nath Kovind had said on Thursday, suggesting harsher steps may be on anvil to check graft.
         Addressing both the Houses of P0arliament, he had said the government will make zero tolerance policy against corruption more comprehensive and effective. PTI AKV AKV
SOM
SOM
06211401
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Last Updated : Jun 21, 2019, 8:53 PM IST
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