नई दिल्ली: वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्रा और पी.के. मिश्रा को प्रधानमंत्री के क्रमश: प्रमुख सचिव और अतिरिक्त सचिव के रूप में सेवा विस्तार दे दिया गया है. उनकी नई नियुक्ति 31 मई से प्रभावी है. दोनों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है.
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने यह कहते हुए मंगलवार को दोनों अधिकारियों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी कि दोनों की नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक या अगले आदेश तक बरकरार रहेगी.
पढ़ें: प्लेन हाईजैक की धमकी, कारोबारी को उम्रकैद की सजा और ₹5 करोड़ का जुर्माना
मिश्रा 2006 से 2009 के बीच ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) के अध्यक्ष रह चुके हैं और 2009 में ही रिटायर हुए. ट्राई के पूर्व अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं और उत्तर प्रदेश कैडर के हैं. मिश्रा उत्तर प्रदेश से हैं और राजनीति शास्त्र एवं लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर हैं. मिश्रा की अध्यक्षता में ट्राई ने अगस्त 2007 में सिफारिश की थी कि स्पेक्ट्रम की नीलामी की जानी चाहिए. मिश्रा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले की सुनवाई में दिल्ली की एक अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश हो चुके हैं.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान नृपेंद्र मिश्रा को प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव के तौर पर नियुक्त किए जाने पर काफी हंगामे का सामना करना पड़ा था. तब विपक्ष ने हंगामा किया था कि ट्राई कानून के मुताबिक इसका अध्यक्ष रिटायर होने के बाद केंद्र या राज्य सरकारों से जुड़े किसी पद पर नहीं बैठ सकता है. हालांकि अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस कानून को अध्यादेश के जरिए संशोधित किया और मिश्रा को नियुक्ति दी.