रतलाम : वर्षों से कंजरों की चोरी, लूट और डकैती की वारदात से प्रभावित आलोट क्षेत्र में बीते कुछ सालों में ग्रामीणों से एक अनोखा और अनचाहा टैक्स वसूला जाता है. जिसे चौकीदारी टैक्स या सेफ्टी टैक्स भी कहा जाता है. यह टैक्स ग्रामीणों से और कोई नहीं बल्कि चोरी और लूट की वारदात करने वाले बदमाश ही वसूल करते हैं.
एक तरफ जहां मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बदमाशों और माफिया को प्रदेश से जड़ से उखाड़ फेंकने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी ओर रतलाम जिले के आलोट क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए कंजर समाज के बदमाश आतंक का पर्याय बन चुके हैं. वर्षों से चले आ रहे कंजरों के इस आतंक के खिलाफ अब ग्रामीण और किसान एकजुट हो चुके हैं और इस समस्या के संपूर्ण समाधान के लिए अब ग्रामीण आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं.
ग्रामीणों के विद्युत मोटर, मोटर साइकिल, गाय और भैंस चुरा लेने और उसके बाद दलालों के माध्यम से रुपयों की वसूली करने वाले कंजर गांव में चोरी की कोई वारदात नहीं करने की एवज में प्रत्येक किसान से अनाज और रुपयों की मांग करते हैं. वहीं, हफ्ता वसूली नहीं देने वाले किसानों के साथ मारपीट और उनके सामान चोरी करने की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. यही वजह है कि अब ग्रामीणों और कंजरों के बीच में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
कंजर समाज का आतंक जारी
मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ क्षेत्र के कई जिलों में अपराधिक प्रवृत्ति के कंजर समाज का आतंक अब भी जारी है. मध्य प्रदेश शासन और सामाजिक न्याय विभाग ने कंजर समाज को अपराध छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए विभिन्न योजनाएं भी चला रखी है. लेकिन आलोट क्षेत्र के राजस्थान से लगे हुए हिस्से में आज भी कंजर समाज के लोग चोरी और लूट जैसी अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं.
फिल्मों की तर्ज पर वसूलते हैं सेफ्टी टैक्स
राजस्थान क्षेत्र के चोमेला, पाटन और टोकड़ा क्षेत्र में कंजरों के डेरे बहुतायत तौर पर बसे हुए हैं. जहां से वे मध्य प्रदेश के आलोट और आगर मालवा क्षेत्र में चोरी और लूट की वारदात करते हैं. लेकिन 70 और 80 के दशक में आई कई फिल्मों की तर्ज पर यहां गांव के लोगों से बकायदा यह बदमाश वारदात नहीं करने की एवज में सेफ्टी टैक्स वसूलते हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि आलोट क्षेत्र के करीब 100 से अधिक गांव में कंजरों का आतंक है. जहां आए दिन कंजर हफ्ता वसूली करने पहुंच जाते हैं. यह बदमाश इसे चौकीदारी प्रथा बताते हैं और कहते हैं कि ग्रामीणों को फसल और सामान की सुरक्षा की एवज में रुपये देने होंगे, अन्यथा गांव में चोरी की घटनाएं होने लगेंगी. कंजरों के आतंक से परेशान अधिकांश ग्रामीण सेफ्टी टैक्स के रुपये देते हैं और फसल आने पर अनाज भी. वहीं क्षेत्र में किसी भी सामान की चोरी होने पर कंजरों से जुड़े हुए दलाल सक्रिय हो जाते हैं और चोरी हुए सामान को वापस दिलाने के लिए कंजरों से ही डील करवाते हैं.
क्या कहना है पुलिस का?
खास बात यह है कि यह सब आलोट थाना पुलिस की नाक के नीचे वर्षों से चला रहा है. लेकिन पुलिस भी इस व्यवस्था और प्रथा से अब तक अनभिज्ञ है. जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील पाटीदार का कहना है कि पुलिस वारदात की शिकायत मिलने पर कार्रवाई करती है. समय-समय पर कंजर प्रभावित क्षेत्रों की पेट्रोलिंग भी की जाती है. लेकिन कई मामले पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते हैं, जिसके लिए लोगों में जागरुकता लाने की जरूरत है.
कंजरों के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन
आलोट क्षेत्र के लिए नासूर बन चुकी इस समस्या के चलते ही बीते दिनों कंजरों की वारदात से त्रस्त कलसिया गांव के ग्रामीणों ने राजस्थान के उन्हेल थाना क्षेत्र स्थित कंजरों के ठिकानों पर धावा बोल दिया और उनके परिवार के सदस्यों को पकड़कर आलोट ले आए. लेकिन अपरहण की विभिन्न धाराओं में राजस्थान पुलिस द्वारा छह किसानों पर प्रकरण दर्ज कर लिया गया. जिसके बाद क्षेत्र के ग्रामीणों का आक्रोश फूटा और हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने राजस्थान बॉर्डर और आलोट थाने पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया.
ईटीवी भारत की टीम ने जब इस क्षेत्र में पहुंचकर इस समस्या और अनोखी टैक्स प्रथा के बारे में जाना तो ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस की निष्क्रियता के चलते ही उन्हें मजबूरी में अपनी फसल और सामान की सुरक्षा के लिए चौकीदारी टैक्स देना पड़ता है. लेकिन इस बार ग्रामीण समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए आंदोलित हो गए हैं.