रायपुर : भारतीय संविधान ने 70 साल पूरे कर लिए हैं. बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में गठित प्रारुप समिति ने भारत की जनता के लिए जो संविधान बनाया था, उसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. भारत ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान अंगीकार किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस संविधान की प्रति आप हिन्दी में पढ़ते हैं, उसका श्रेय किसे जाता है.
डॉक्टर घनश्याम गुप्त ने भारतीय संविधान को हिन्दी में हम तक पहुंचा है. आजादी के पहले 1946 में संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी, इस बैठक में ही कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव रखा कि संविधान का हिन्दी में भी अनुवाद हो, जिससे आम लोगों की पहुंच आसान हो सके. 1947 में अनुवाद समिति की पहली बैठक हुई. इसके बाद दूसरी बैठक में घनश्याम सिंह गुप्त को इस समिति का सर्वमान्य अध्यक्ष चुना गया. 41 सदस्यीय इस समिति में कई भाषाविद् और कानून के जानकार शामिल थे. 24 जनवरी 1950 को घनश्याम गुप्त ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान की हिन्दी प्रति सौंपी.
बापू से थी करीबी
आजादी के संघर्ष के दौरान ही घनश्याम गुप्त और महात्मा गांधी के करीबी संबंध थे. बापू भाषा के ज्ञान के लिए अक्सर घनश्याम गुप्ता की तारीफ किया करते थे. अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान गांधी जी घनश्याम गुप्ता के घर रुके भी थे. उस वक्त कांग्रेस पार्टी में भी उनकी अच्छी पैठ थी. वे सीपी-बरार स्टेट की विधानसभा के लगभग 15 साल तक अध्यक्ष रहे थे.
![Ghanshyam Gupta translated Constitution from English to Hindi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/5809402_ghanshayam.jpg)
- घनश्याम गुप्त का जन्म 22 दिसंबर 1885 को दुर्ग में हुआ था.
- प्रारंभिक शिक्षा दुर्ग और और रायपुर में हुई.
- इसके बाद उन्होंने जबलपुर और इलाहाबाद में उच्च शिक्षा ग्रहण की.
- आजादी के बाद भी वे लगातार नारी शिक्षा, सामाजिक चेतना के लिए काम करते रहे और धर्मांतरण को रोकने के लिए भी वे लगातार मुखर रहे.घनश्याम गुप्त (फाइल फोटो)
- 13 जून, 1976 को ये संविधान पुरुष चिर निद्रा में सो गए.
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नहीं मिला उचित स्थान
छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे इस महापुरुष ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिन्दी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया और इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो गए. अफसोस इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र को उस तरह याद नहीं किया जाता जिसका वे हकदार थे. प्रदेश के ज्यादातर लोगों को उनके विषय में पता भी नहीं है.
ETV भारत गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र घनश्याम गुप्त को नमन कर रहा है.