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लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने संभाली सेना की 15वीं कोर की कमान

लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू को कश्मीर स्थित 15वीं कोर (चिनार कोर) की कमान सौंप दी. बता दें कि यह भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित कोर है. अपने विदाई समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने सेना को धन्यवाद दिया. पढ़ें पूरी खबर...

लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू
लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू
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Published : Mar 1, 2020, 5:36 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 2:02 AM IST

श्रीनगर : लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने रविवार को श्रीनगर स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेना की 15वीं कोर की कमान लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू को सौंप दी. बता दें कि इस कोर को चिनार कोर के नाम से भी जाना जाता है. यह भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित कोर है. कमान संभालने के बाद से कश्मीर में होने वाले सभी सैन्य अभियान लेफ्टिनेंट जनरल राजू के निगरानी में होगा.

गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट ढिल्लों ने आतंकरोधी अभियानों के संचालन का लंबा अनुभव है. ढिल्लों ने अपने कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 370 और पुलवामा आईईडी जैसी घटनाओं को नियंत्रित किया है.

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों का 35 साल का शानदार सैन्य कार्यकाल रहा है. इस दौरान उन्होंने सेना और नागरिकों के बीच आपसी तालमेल बैठाने में अहम भूमिका निभाई है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अपने सैन्य अभियानों के जरिए उन्होंने आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क को खत्म किया और पुलवामा हमले के अपराधियों को 100 घंटे के अंदर खत्म करने के साथ कई आतंकी नेताओं को निष्प्रभावी कर किए हैं.

नियंत्रण रेखा के पार से संघर्ष विराम उल्लंघन पर जवाबी प्रतिक्रिया और आतंकी लॉच पैड को सक्रिय न होने में भूमिका निभाई. उन्होंने घाटी में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. बता दें कि यह बयान गत पांच अगस्त को आया था.

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने घाटी के युवाओं पर भी ध्यान दिया. उन्होंने तालीम से तरक्की कार्यक्रम के माध्यम से घाटी में स्थित कई स्कूलों को ढांचागत रूप से मजबूत बनाया, जिससे आतंकी हमले से बच्चों पर असर न पड़ सके. इसके साथ ही कौशल विकास कार्यक्रम शुरू कराए. सुपर-50 और सुपर-30 जैसे केचिंग कार्यक्रमों को भी युवाओं के लिए उन्होंने संचालित कराया.

पढ़ें : पीओके में लांच पैड आतंकवादियों से 'फुल', लेकिन हम दे रहे हैं कड़ा जवाब : सेना

उन्होंने आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती पर काबू पाने के लिए ऑपरेशन मां चलाया.

बता दें कि ऑपरेशन मां के तहत आतंकी बने स्थानीय युवकों को मुख्यधारा में शामिल करने और उन्हें सरेंडर करने के लिए उनके परिजनों विशेषकर उनकी मां की सहायता ली जाती है. इसी अभियान के तहत मुठभेड़ के दौरान भी स्थानीय आतंकियों को जिंदा पकड़ने का प्रयास किया जाता है.

ढिल्लों ने आम लोगों की मदद के लिए सेना की तरफ से हमसाया और खैरियत दस्ते को तैयार किया.

ढिल्लों ने अपने विदाई समारोह में चिनार के सभी अधिकारियों, जम्मू-कश्मीर पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सीएपीएफ को धन्यवाद दिया.

श्रीनगर : लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों ने रविवार को श्रीनगर स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेना की 15वीं कोर की कमान लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू को सौंप दी. बता दें कि इस कोर को चिनार कोर के नाम से भी जाना जाता है. यह भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित कोर है. कमान संभालने के बाद से कश्मीर में होने वाले सभी सैन्य अभियान लेफ्टिनेंट जनरल राजू के निगरानी में होगा.

गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट ढिल्लों ने आतंकरोधी अभियानों के संचालन का लंबा अनुभव है. ढिल्लों ने अपने कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 370 और पुलवामा आईईडी जैसी घटनाओं को नियंत्रित किया है.

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों का 35 साल का शानदार सैन्य कार्यकाल रहा है. इस दौरान उन्होंने सेना और नागरिकों के बीच आपसी तालमेल बैठाने में अहम भूमिका निभाई है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अपने सैन्य अभियानों के जरिए उन्होंने आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क को खत्म किया और पुलवामा हमले के अपराधियों को 100 घंटे के अंदर खत्म करने के साथ कई आतंकी नेताओं को निष्प्रभावी कर किए हैं.

नियंत्रण रेखा के पार से संघर्ष विराम उल्लंघन पर जवाबी प्रतिक्रिया और आतंकी लॉच पैड को सक्रिय न होने में भूमिका निभाई. उन्होंने घाटी में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. बता दें कि यह बयान गत पांच अगस्त को आया था.

लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने घाटी के युवाओं पर भी ध्यान दिया. उन्होंने तालीम से तरक्की कार्यक्रम के माध्यम से घाटी में स्थित कई स्कूलों को ढांचागत रूप से मजबूत बनाया, जिससे आतंकी हमले से बच्चों पर असर न पड़ सके. इसके साथ ही कौशल विकास कार्यक्रम शुरू कराए. सुपर-50 और सुपर-30 जैसे केचिंग कार्यक्रमों को भी युवाओं के लिए उन्होंने संचालित कराया.

पढ़ें : पीओके में लांच पैड आतंकवादियों से 'फुल', लेकिन हम दे रहे हैं कड़ा जवाब : सेना

उन्होंने आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती पर काबू पाने के लिए ऑपरेशन मां चलाया.

बता दें कि ऑपरेशन मां के तहत आतंकी बने स्थानीय युवकों को मुख्यधारा में शामिल करने और उन्हें सरेंडर करने के लिए उनके परिजनों विशेषकर उनकी मां की सहायता ली जाती है. इसी अभियान के तहत मुठभेड़ के दौरान भी स्थानीय आतंकियों को जिंदा पकड़ने का प्रयास किया जाता है.

ढिल्लों ने आम लोगों की मदद के लिए सेना की तरफ से हमसाया और खैरियत दस्ते को तैयार किया.

ढिल्लों ने अपने विदाई समारोह में चिनार के सभी अधिकारियों, जम्मू-कश्मीर पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सीएपीएफ को धन्यवाद दिया.

Last Updated : Mar 3, 2020, 2:02 AM IST
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