लखनऊः उत्तर प्रदेश में भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्वर्गद्वार के नाम से एक ऐसा मोहल्ला है, जिसकी मान्यता विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण में मिलती है. इसी स्वर्गद्वार में रहने वाले महंत उमेश दास ने बताया कि क्यों इसे स्वर्ग द्वार कहा जाता है और इसके पीछे का रहस्य क्या है.
महंत उमेश दास ने बताया कि इस स्वर्गद्वार की स्थापना विश्वामित्र ने की थी. विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु की सेवा से खुश होकर वरदान मांगने को कहा, जिस पर राजा त्रिशंकु ने सशरीर स्वर्ग प्राप्ति का वरदान मांगा. महर्षि विश्वामित्र ने इसके लिए विशेष यज्ञ कराया, जिस स्थान में यज्ञ हुआ, उसी स्थान को स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.
राजा त्रिशंकु को भेजा गया स्वर्ग
महंत ने बताया कि विश्वामित्र ने काल की गणना के अनुसार सरयू की सहस्त्रधारा से पूर्व की ओर 200 धनुष और फिर दक्षिण की ओर 200 धनुष की जमीन का माप किया.
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बकौल महंत उमेश दास, विश्वामित्र ने उसी क्षेत्र में यज्ञ शुरू किया. इसी स्थान से त्रिशंकु को स्वर्ग भेजा गया. उसके बाद से आज तक इसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.