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जानें, अयोध्या में कहां है 'स्वर्ग' जाने का द्वार ? - विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण

उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगरी में एक मोहल्ला ऐसा है, जिसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है. इसकी मान्यता वाल्मीकि पुराण और विष्णु पुराण से मिलता है. महंत उमेश दास से स्वर्गद्वार के बारे में ईटीवी संवाददाता ने खास बातचीत की.

प्रतिकात्मक फोटो
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Published : Sep 30, 2019, 4:21 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 2:44 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्वर्गद्वार के नाम से एक ऐसा मोहल्ला है, जिसकी मान्यता विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण में मिलती है. इसी स्वर्गद्वार में रहने वाले महंत उमेश दास ने बताया कि क्यों इसे स्वर्ग द्वार कहा जाता है और इसके पीछे का रहस्य क्या है.

महंत उमेश दास ने बताया कि इस स्वर्गद्वार की स्थापना विश्वामित्र ने की थी. विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु की सेवा से खुश होकर वरदान मांगने को कहा, जिस पर राजा त्रिशंकु ने सशरीर स्वर्ग प्राप्ति का वरदान मांगा. महर्षि विश्वामित्र ने इसके लिए विशेष यज्ञ कराया, जिस स्थान में यज्ञ हुआ, उसी स्थान को स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

देखें स्वर्ग जाने के द्वार पर इटीवी भारत की यह रिपोर्ट

राजा त्रिशंकु को भेजा गया स्वर्ग
महंत ने बताया कि विश्वामित्र ने काल की गणना के अनुसार सरयू की सहस्त्रधारा से पूर्व की ओर 200 धनुष और फिर दक्षिण की ओर 200 धनुष की जमीन का माप किया.

पढ़ें-देश के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि का उल्लास, मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु

बकौल महंत उमेश दास, विश्वामित्र ने उसी क्षेत्र में यज्ञ शुरू किया. इसी स्थान से त्रिशंकु को स्वर्ग भेजा गया. उसके बाद से आज तक इसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्वर्गद्वार के नाम से एक ऐसा मोहल्ला है, जिसकी मान्यता विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण में मिलती है. इसी स्वर्गद्वार में रहने वाले महंत उमेश दास ने बताया कि क्यों इसे स्वर्ग द्वार कहा जाता है और इसके पीछे का रहस्य क्या है.

महंत उमेश दास ने बताया कि इस स्वर्गद्वार की स्थापना विश्वामित्र ने की थी. विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु की सेवा से खुश होकर वरदान मांगने को कहा, जिस पर राजा त्रिशंकु ने सशरीर स्वर्ग प्राप्ति का वरदान मांगा. महर्षि विश्वामित्र ने इसके लिए विशेष यज्ञ कराया, जिस स्थान में यज्ञ हुआ, उसी स्थान को स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

देखें स्वर्ग जाने के द्वार पर इटीवी भारत की यह रिपोर्ट

राजा त्रिशंकु को भेजा गया स्वर्ग
महंत ने बताया कि विश्वामित्र ने काल की गणना के अनुसार सरयू की सहस्त्रधारा से पूर्व की ओर 200 धनुष और फिर दक्षिण की ओर 200 धनुष की जमीन का माप किया.

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बकौल महंत उमेश दास, विश्वामित्र ने उसी क्षेत्र में यज्ञ शुरू किया. इसी स्थान से त्रिशंकु को स्वर्ग भेजा गया. उसके बाद से आज तक इसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

Intro:अयोध्या में स्वर्ग दार से जुड़े हुए विजुअल्स डेस्क की डिमांड परBody:अयोध्या के सरयू घाट अयोध्या entry-point स्वर्गद्वार हनुमानगढ़ी संबंधित रिजल्टConclusion:दिनेश मिश्रा अयोध्या
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Last Updated : Oct 2, 2019, 2:44 PM IST
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