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भाजपा, शिवसेना के बीच सत्ता साझेदारी को लेकर कोई करार नहीं हुआ था: गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बयान देकर ये साफ कर दिया कि शिवसेना और बीजेपी के बीच तल्खियां अभी तक दूर नहीं हुई हैं. नितिन गडकरी ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच किसी भी तरह का कोई करार नहीं हुआ है.

नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री.
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Published : Nov 8, 2019, 4:17 PM IST

मुंबई: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान ने यह साफ कर दिया कि शिवसेना-भाजपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चल रहा विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा. शुक्रवार को नितिन गडकरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद साझा करने समेत विभागों के बराबर बंटवारे को लेकर उनकी पार्टी और शिवसेना के बीच कोई करार नहीं हुआ था.

गडकरी के इस कथन से संकेत मिलता है कि सहयोगी शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को साझा नहीं करने के भाजपा के कड़े रुख में कोई नरमी नहीं आई है.

शुक्रवार को यहां पहुंचे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने पहले संकेत दिया कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना और उनकी पार्टी के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

हालांकि, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मेरी जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में विभागों के बराबर बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच में कोई करार हुआ नहीं था.'

उन्होंने कहा, 'यहां तक कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना-भाजपा के बीच इस व्यवस्था पर जोर दिया था कि जिस पार्टी के निर्वाचित विधायकों की संख्या ज्यादा होगी, वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करने की पात्र होगी.'

पढ़ें: महाराष्ट्र में क्या होगा, जानें विशेषज्ञों की राय

शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की अपनी मांग को उचित ठहराने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक कथित वीडियो का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि सभी पदों का बराबर बंटवारा होगा.

हालांकि फडणवीस ने पिछले महीने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा और शिवसेना के बीच किसी तरह का करार नहीं हुआ था. फडणवीस के बयान ने उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को आक्रोशित कर दिया था.

अब गडकरी की ओर से भी यह बयान आने से लग रहा है कि शिवसेना और भाजपा के बीच तल्खियां और बढ़ जाएगी, जो सरकार गठन को लेकर रस्साकशी में उलझे हुए हैं.

गडकरी के दौरे से राजनीतिक खेमे में अटकलें तेज हो गईं हैं कि वह भाजपा-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद की साझेदारी को लेकर दो हफ्तों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने का प्रयास कर सकते हैं. इस गतिरोध के चलते राज्य में सरकार गठन में देरी हो रही है.

गडकरी ने कहा, 'मैं आज किसी नेता से मुलाकात नहीं कर रहा हूं. मैं आज शाम को एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने यहां आया हूं.'

यह साफ नहीं है कि केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आधिकारिक आवास पर शुक्रवार को तय की गई प्रदेश भाजपा नेताओं की कोर समिति की बैठक में शामिल होंगे या नहीं.

हालांकि, गडकरी ने बृहस्पतिवार को इस बात पर जोर दिया था कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद मिलना चाहिए क्योंकि पार्टी ने शिवसेना से ज्यादा सीटें जीती हैं.

पढ़ें: महाराष्ट्र : सरकार बनाने पर सस्पेंस, सेना भवन पहुंचे उद्धव-आदित्य

बता दें, राज्य में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में 105 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी भाजपा और 56 सीटें जीतने वाली उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अब तक साथ-साथ या अलग-अलग, सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है. दोनों दलों में चुनाव नतीजे आने के बाद से मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर खींचतान चल रही है. चुनाव में राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं.

मुंबई: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान ने यह साफ कर दिया कि शिवसेना-भाजपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर चल रहा विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा. शुक्रवार को नितिन गडकरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद साझा करने समेत विभागों के बराबर बंटवारे को लेकर उनकी पार्टी और शिवसेना के बीच कोई करार नहीं हुआ था.

गडकरी के इस कथन से संकेत मिलता है कि सहयोगी शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को साझा नहीं करने के भाजपा के कड़े रुख में कोई नरमी नहीं आई है.

शुक्रवार को यहां पहुंचे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने पहले संकेत दिया कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना और उनकी पार्टी के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

हालांकि, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मेरी जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में विभागों के बराबर बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच में कोई करार हुआ नहीं था.'

उन्होंने कहा, 'यहां तक कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना-भाजपा के बीच इस व्यवस्था पर जोर दिया था कि जिस पार्टी के निर्वाचित विधायकों की संख्या ज्यादा होगी, वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करने की पात्र होगी.'

पढ़ें: महाराष्ट्र में क्या होगा, जानें विशेषज्ञों की राय

शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की अपनी मांग को उचित ठहराने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक कथित वीडियो का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि सभी पदों का बराबर बंटवारा होगा.

हालांकि फडणवीस ने पिछले महीने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा और शिवसेना के बीच किसी तरह का करार नहीं हुआ था. फडणवीस के बयान ने उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को आक्रोशित कर दिया था.

अब गडकरी की ओर से भी यह बयान आने से लग रहा है कि शिवसेना और भाजपा के बीच तल्खियां और बढ़ जाएगी, जो सरकार गठन को लेकर रस्साकशी में उलझे हुए हैं.

गडकरी के दौरे से राजनीतिक खेमे में अटकलें तेज हो गईं हैं कि वह भाजपा-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद की साझेदारी को लेकर दो हफ्तों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने का प्रयास कर सकते हैं. इस गतिरोध के चलते राज्य में सरकार गठन में देरी हो रही है.

गडकरी ने कहा, 'मैं आज किसी नेता से मुलाकात नहीं कर रहा हूं. मैं आज शाम को एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने यहां आया हूं.'

यह साफ नहीं है कि केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आधिकारिक आवास पर शुक्रवार को तय की गई प्रदेश भाजपा नेताओं की कोर समिति की बैठक में शामिल होंगे या नहीं.

हालांकि, गडकरी ने बृहस्पतिवार को इस बात पर जोर दिया था कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद मिलना चाहिए क्योंकि पार्टी ने शिवसेना से ज्यादा सीटें जीती हैं.

पढ़ें: महाराष्ट्र : सरकार बनाने पर सस्पेंस, सेना भवन पहुंचे उद्धव-आदित्य

बता दें, राज्य में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में 105 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी भाजपा और 56 सीटें जीतने वाली उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अब तक साथ-साथ या अलग-अलग, सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है. दोनों दलों में चुनाव नतीजे आने के बाद से मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर खींचतान चल रही है. चुनाव में राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं.

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  • भाजपा, शिवसेना के बीच सत्ता साझेदारी को लेकर कोई करार नहीं हुआ था: गडकरी



मुंबई, आठ नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री पद साझा करने समेत विभागों के बराबर बंटवारे को लेकर उनकी पार्टी और शिवसेना के बीच कोई करार नहीं हुआ था।



गडकरी के इस कथन से संकेत मिलता है कि सहयोगी शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को साझा नहीं करने के भाजपा के कड़े रुख में कोई नरमी नहीं आई है।



शुक्रवार को यहां पहुंचे भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने पहले संकेत दिया कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना और उनकी पार्टी के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करेंगे।



हालांकि उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मेरी जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में विभागों के बराबर बंटवारे को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच में कोई करार हुआ नहीं था।



उन्होंने कहा, “यहां तक कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना-भाजपा के बीच इस व्यवस्था पर जोर दिया था कि जिस पार्टी के निर्वाचित विधायकों की संख्या ज्यादा होगी, वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करने की पात्र होगी।”



शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की अपनी मांग को उचित ठहराने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक कथित वीडियो का इस्तेमाल कर रही है जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं कि सभी पदों का बराबर बंटवारा होगा।



हालांकि फडणवीस ने पिछले महीने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा और शिवसेना के बीच किसी तरह का करार नहीं हुआ था। फडणवीस के बयान ने उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को आक्रोशित कर दिया था।



अब गडकरी की ओर से भी यह बयान आने से लग रहा है कि शिवसेना और भाजपा के बीच तल्खियां और बढ़ जाएगी जो सरकार गठन को लेकर रस्साकशी में उलझे हुए हैं।



गडकरी के दौरे से राजनीतिक खेमे में अटकलें तेज हो गईं हैं कि वह भाजपा-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद की साझेदारी को लेकर दो हफ्तों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने का प्रयास कर सकते हैं। इस गतिरोध के चलते राज्य में सरकार गठन में देरी हो रही है।



गडकरी ने संवाददाताओं से कहा, “मैं आज किसी नेता से मुलाकात नहीं कर रहा हूं। मैं आज शाम को एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने यहां आया हूं।”



यह साफ नहीं है कि केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आधिकारिक आवास पर शुक्रवार को तय की गई प्रदेश भाजपा नेताओं की कोर समिति की बैठक में शामिल होंगे या नहीं।



हालांकि गडकरी ने बृहस्पतिवार को इस बात पर जोर दिया था कि भाजपा को मुख्यमंत्री पद मिलना चाहिए क्योंकि पार्टी ने शिवसेना से ज्यादा सीटें जीती हैं।



राज्य में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में 105 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी भाजपा और 56 सीटें जीतने वाली उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अब तक साथ-साथ या अलग-अलग, सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है।



दोनों दलों में चुनाव नतीजे आने के बाद से मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर खींचतान चल रही है।



चुनाव में राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं।


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