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सावन का चौथा सोमवार , भक्तों के लिए है विशेष फलदायी

आज सावन का चौथा सोमवार है और इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है.उज्जैन के महाकाल मंदिर में भस्म आरती हुई.

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Published : Jul 27, 2020, 10:05 AM IST

नई दिल्ली/भोपाल/ देवघर: आज सावन का चौथा सोमवार है. सावन में सोमवार का विशेष महत्व होता है. शिव के शीर्ष पर चंद्रमा विराजमान है और जटा से गंगा निकलती है. ऐसे में जो मस्तक पर विराजमान हो वो खास होता है. सोम 'चंद्रमा' को कहते हैं. सोमवार का महत्व अपने आप में ही विशेष है.

आज सावन की चौथी सोमवारी है और आज के दिन बाबा मंदिर में लाखों की संख्या में जनसैलाब उमड़ती थी लेकिन कोरोना के कारण मेला नहीं लगाया गया है और सीमित पुरोहित ही बाबा भोले की पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं, श्रद्धालुओ के दर्शन के लिए ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई है.

वीडियो

लोक कथाओं के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और प्रत्येक सोमवार को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. आज के दिन पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी, जो पृथ्वी पर नहीं है. इसलिए आज के दिन बाबा भोले की जल और बेलपत्र से पूजा अर्चना करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

आज शुक्ल सप्तमी भी है और सोमवारी भी जो भक्तों के लिए काफी कल्याणकारी है. आज बाबा भोले की पूजा-अर्चना करने से धन, वैभव, आरोग्यता से लोग परिपूर्ण होते हैं.

उज्जैन में बाबा महाकाल की भस्म आरती

दूसरी तरफ उज्जैन में अलसुबह 4:00 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती हुई. तड़के सुबह भगवान महाकालेश्वर का दूध-दही से अभिषेक किया गया. जिसके बाद ढोल-नगाड़ों और मंदिर की घंटियों के साथ विधि-विधान से पुजारियों ने महाकाल की भस्म आरती की. इस मौके पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया था. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस बार आरती में श्रद्धालु शामिल नहीं हो सके.

वीडियो देखें-

महाकालेश्वर मंदिर के देर रात 2:30 बजे पट खोले गए. जिसके बाद बाबा महाकाल को जल चढ़ाया गया और फिर विशेष प्रकार के फलों के रस से पंचामृत अभिषेक कर पूजन के बाद भांग का विशेष श्रृंगार कर भस्म आरती की गई. जिसके बाद पुजारियों ने बाबा महाकाल से मध्यप्रदेश के साथ ही विश्व के कल्याण की कामना की.

वीडियो देखें-

आम दिनों में सावन सोमवार पर मंदिर परिसर का नंदीहाल, गणेश मंडपम और कार्तिक हाल श्रद्धालुओं से भरा रहता था, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस बार श्रद्धालु सावन में बाबा महाकाल के दर्शन नहीं कर पाए और पूरा मंदिर परिसर खाली रहा. बता दें कि बाबा महाकाल के दरबार में देश के साथ ही दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं.

महाकाल मंदिर उज्जैन

नई दिल्ली/भोपाल/ देवघर: आज सावन का चौथा सोमवार है. सावन में सोमवार का विशेष महत्व होता है. शिव के शीर्ष पर चंद्रमा विराजमान है और जटा से गंगा निकलती है. ऐसे में जो मस्तक पर विराजमान हो वो खास होता है. सोम 'चंद्रमा' को कहते हैं. सोमवार का महत्व अपने आप में ही विशेष है.

आज सावन की चौथी सोमवारी है और आज के दिन बाबा मंदिर में लाखों की संख्या में जनसैलाब उमड़ती थी लेकिन कोरोना के कारण मेला नहीं लगाया गया है और सीमित पुरोहित ही बाबा भोले की पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं, श्रद्धालुओ के दर्शन के लिए ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई है.

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लोक कथाओं के अनुसार सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और प्रत्येक सोमवार को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. आज के दिन पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी, जो पृथ्वी पर नहीं है. इसलिए आज के दिन बाबा भोले की जल और बेलपत्र से पूजा अर्चना करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

आज शुक्ल सप्तमी भी है और सोमवारी भी जो भक्तों के लिए काफी कल्याणकारी है. आज बाबा भोले की पूजा-अर्चना करने से धन, वैभव, आरोग्यता से लोग परिपूर्ण होते हैं.

उज्जैन में बाबा महाकाल की भस्म आरती

दूसरी तरफ उज्जैन में अलसुबह 4:00 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती हुई. तड़के सुबह भगवान महाकालेश्वर का दूध-दही से अभिषेक किया गया. जिसके बाद ढोल-नगाड़ों और मंदिर की घंटियों के साथ विधि-विधान से पुजारियों ने महाकाल की भस्म आरती की. इस मौके पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया था. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इस बार आरती में श्रद्धालु शामिल नहीं हो सके.

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महाकालेश्वर मंदिर के देर रात 2:30 बजे पट खोले गए. जिसके बाद बाबा महाकाल को जल चढ़ाया गया और फिर विशेष प्रकार के फलों के रस से पंचामृत अभिषेक कर पूजन के बाद भांग का विशेष श्रृंगार कर भस्म आरती की गई. जिसके बाद पुजारियों ने बाबा महाकाल से मध्यप्रदेश के साथ ही विश्व के कल्याण की कामना की.

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आम दिनों में सावन सोमवार पर मंदिर परिसर का नंदीहाल, गणेश मंडपम और कार्तिक हाल श्रद्धालुओं से भरा रहता था, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इस बार श्रद्धालु सावन में बाबा महाकाल के दर्शन नहीं कर पाए और पूरा मंदिर परिसर खाली रहा. बता दें कि बाबा महाकाल के दरबार में देश के साथ ही दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं.

महाकाल मंदिर उज्जैन
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