नई दिल्ली: चंद्रयान -2 को आंध्र प्रदेश के लॉन्च होने के बाद पूर्व वैज्ञानिक डॉ एस एम अहमद ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लॉन्च व्हीकल सिस्टम में देखे गए 'तकनीकी स्लैग' को ठीक करने के प्रयासों की सराहना की.
ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में, पूर्व-इसरो वैज्ञानिक ने कहा कि तय सीमा के भीतर लॉन्च की तैयारी को पूरा करना एक 'सुखद आश्चर्य' है.
उन्होंने कहा कि जीएसएलवी एमके- III रॉकेट में एक रोड़ा होने की सूचना के बाद वैज्ञानिकों ने 56 वें मिनट में अभियान को रोक दिया.
'इसरो ने लैंडर- विक्रम को चंद्र सतह पर नरम लैंडिंग निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.'
माना जाता है कि यह उपग्रह अनचाहे चंद्र दक्षिण ध्रुव का पता लगाने वाला है.'विक्रम' भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन), ऑर्बिटर और प्रज्ञान रोवर के साथ भी संवाद करेगा.
चंद्रयान 2 का रोवर प्रज्ञान नाम का एक छह पहियों वाला रोबोट वाहन है जो अपने कामकाज के लिए सौर ऊर्जा के माध्यम से काम करेगा. यह लैंडर के साथ संवाद कर सकता है.
मिशन के लिए शामिल किए गए उपकरणों के बारे में बोलते हुए डॉ अहमद ने दावा किया कि इसमें उन्नत स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया गया हैं.
उनहोंने कहा कि हम नासा के 13 स्वदेशी उपकरण और एक रिट्रोफ्लेक्टर का उपयोग कर रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि चंद्रयान 1 का प्राथमिक लक्ष्य चंद्रमा तक पहुंचने था. लेकिन यह मिशन भारत द्वारा विकसित, डिजाइन और कार्यान्वित की गई उन्नत स्वदेशी तकनीक के बारे में है.
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इसरो निकट भविष्य में ग्रहों की खोज में एक 'बड़ा खिलाड़ी' बन जाएगा.
चंद्रयान 2 एक भारतीय चंद्र मिशन है जो साहसपूर्वक वहां जाएगा जहां पर इसेस पहले कोई भी देश पहले कभी नहीं गया है