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पूर्व विदेश सचिव जयशंकर ने विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाला

एस जयशंकर ने विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है, जयशंकर को चीन एवं अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है.

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Published : May 31, 2019, 9:41 PM IST

जयशंकर बने नए विदेश मंत्री

नई दिल्लीः पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है, वे पहले ऐसे विदेश सचिव हैं जो विदेश मंत्री भी बने हैं.

इससे पहले विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज के कार्यकाल को भी काफी सराहा गया था.

आपको बता दें, जयशंकर को चीन एवं अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. नये विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण देशों के साथ ही पाकिस्तान से निपटने में भारत के रूख को किस प्रकार से आगे बढ़ाते हैं.

नए विदेश मंत्री बने एस जयशंकर

जयशंकर को विदेश सेवा से अवकाशग्रहण करने के 16 महीने बाद यह महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया है. उनके समक्ष जी..20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स संगठन जैसे विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीदों को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी रहेगी.

हालांकि, उनके नेतृत्व में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और यूरोपीय संघ तथा पड़ोसी देशों के साथ व्यापार एवं रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने पर मंत्रालय का मुख्य जोर रहेगा.

जयशंकर के समक्ष एक अन्य चुनौती चीन के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाने पर होगी जो 2017 के मध्य में डोकलाम विवाद के बाद प्रभावित हुए.

बता दें, 64 वर्षीय जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं.

उनके नेतृत्व में मंत्रालय के अफ्रीकी महाद्वीप के साथ सहयोग प्रगाढ़ बनाने पर जोर देने की उम्मीद है जहां चीन तेजी से प्रभाव बढ़ा रहा है.

नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को शामिल किया जाना चौंकाने वाला रहा.

पढ़ेंः नए कृषि मंत्री ने जताया भरोसा, 2022 तक किसानों की आय होगी दोगुनी

अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि भी रहे थे.

देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के . सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे.

इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुयी थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे.

जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी.

जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं.

1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा : आईएफएस: अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं.

64- वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहे हैं.

नई दिल्लीः पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को विदेश मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है, वे पहले ऐसे विदेश सचिव हैं जो विदेश मंत्री भी बने हैं.

इससे पहले विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज के कार्यकाल को भी काफी सराहा गया था.

आपको बता दें, जयशंकर को चीन एवं अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. नये विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण देशों के साथ ही पाकिस्तान से निपटने में भारत के रूख को किस प्रकार से आगे बढ़ाते हैं.

नए विदेश मंत्री बने एस जयशंकर

जयशंकर को विदेश सेवा से अवकाशग्रहण करने के 16 महीने बाद यह महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया है. उनके समक्ष जी..20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स संगठन जैसे विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीदों को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी रहेगी.

हालांकि, उनके नेतृत्व में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और यूरोपीय संघ तथा पड़ोसी देशों के साथ व्यापार एवं रक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने पर मंत्रालय का मुख्य जोर रहेगा.

जयशंकर के समक्ष एक अन्य चुनौती चीन के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाने पर होगी जो 2017 के मध्य में डोकलाम विवाद के बाद प्रभावित हुए.

बता दें, 64 वर्षीय जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं.

उनके नेतृत्व में मंत्रालय के अफ्रीकी महाद्वीप के साथ सहयोग प्रगाढ़ बनाने पर जोर देने की उम्मीद है जहां चीन तेजी से प्रभाव बढ़ा रहा है.

नरेंद्र मोदी मंत्रिपरिषद में पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को शामिल किया जाना चौंकाने वाला रहा.

पढ़ेंः नए कृषि मंत्री ने जताया भरोसा, 2022 तक किसानों की आय होगी दोगुनी

अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि भी रहे थे.

देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के . सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे.

इस समझौते के लिए 2005 में शुरूआत हुयी थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे.

जनवरी 2015 में जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी थी.

जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं.

1977 बैच के भारतीय विदेश सेवा : आईएफएस: अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं.

64- वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहे हैं.

Intro:After the grand oath ceremony on Thursday one thing was clear that surprised entrant S Jaishankar, a career diplomat who retired as Foreign Secretary in 2018 will be given charge in the External Affairs Ministry.


Body:Today, amid presence of Ministry of External Affairs officials S Jaishankar took charge as Foreign Minister in South Block. Present. He will be taking baton from Sushma Swaraj whose stint as External Affairs Minister had won her a lot of accolades.

S Jaishankar had served as Foreign Secretary of India from 2015 to 2018. He had also served as Ambassador of India in U.S, Czech Republic and Singapore. But he is largely credited for playing a significant role in India-U.S nuclear deal during the UPA tenure.


Conclusion:S Jaishankar will be the first non-political member after Manmohan Singh to be part of the cabinet committee on security.

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