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सीएए को लेकर ईयू में फ्रांस ने किया भारत का समर्थन

यूरोपीय संघ की 751 सदस्यीय संसद में तकरीबन 600 सांसदों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए गए. इस पर संस्थापक सदस्य देशों में शामिल फ्रांस ने कहा है कि यह भारत का एक आतंरिक मामला है.

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Published : Jan 27, 2020, 8:00 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 4:35 AM IST

पीएम मोदी और एमनुअल मैक्रों
पीएम मोदी और एमनुअल मैक्रों

नई दिल्ली : फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने सोमवार को कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) के संस्थापक सदस्य देशों में शामिल फ्रांस का मानना है कि नया नागरिकता कानून (सीएए) भारत का एक आतंरिक राजनीतिक विषय है.

यूरोपीय संघ की 751 सदस्यीय संसद में तकरीबन 600 सांसदों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद यह कहा गया है.

दरअसल, इन प्रस्तावों में कहा गया है कि इस कानून का लागू होना भारत की नागरिकता व्यवस्था में एक खतरनाक बदलाव को प्रदर्शित करता है.

सूत्रों ने कहा कि फ्रांस के लिए सीएए भारत का आंतरिक राजनीतिक विषय है और यह कई मौकों पर कहा गया है.

उन्होंने कहा कि यूरोपीय संसद सदस्य देशों एवं यूरोपीय आयोग की एक स्वतंत्र संस्था है.

उल्लेखनीय है कि संसद द्वारा पिछले महीने पारित नया कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के चलते भारत आए गैर मुस्लिमों के लिए नागरिकता का प्रावधान करता है.

नए कानून के खिलाफ भारत में व्यापक रूप से प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी पार्टियां, नागरिक अधिकार समूह और कार्यकर्ताओं का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के आधारभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.

पढ़ें- ईयू संसद को लोकतांत्रिक रूप से चुने सांसदों के अधिकार पर सवाल नहीं उठाना चाहिए : आधिकारिक सूत्र

यूरोपीय संसद में सीएए के खिलाफ प्रस्तावों पर विदेश मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीएए भारत का पूरी तरह से एक आंतरिक विषय है और इस कानून को संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद लोकतांत्रिक तरीके से अंगीकार किया गया है.

ईयू संसद में प्रस्तावों के भारत के विरोधी होने को विस्तार से बताते हुए कहा, 'हर समाज जो कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक नागरिकता प्रदान करने के मार्ग का अनुसरण करता है वह संदर्भ और अर्हता, दोनों पर विचार करता है। यह भेदभाव नहीं है.'

नई दिल्ली : फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने सोमवार को कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) के संस्थापक सदस्य देशों में शामिल फ्रांस का मानना है कि नया नागरिकता कानून (सीएए) भारत का एक आतंरिक राजनीतिक विषय है.

यूरोपीय संघ की 751 सदस्यीय संसद में तकरीबन 600 सांसदों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद यह कहा गया है.

दरअसल, इन प्रस्तावों में कहा गया है कि इस कानून का लागू होना भारत की नागरिकता व्यवस्था में एक खतरनाक बदलाव को प्रदर्शित करता है.

सूत्रों ने कहा कि फ्रांस के लिए सीएए भारत का आंतरिक राजनीतिक विषय है और यह कई मौकों पर कहा गया है.

उन्होंने कहा कि यूरोपीय संसद सदस्य देशों एवं यूरोपीय आयोग की एक स्वतंत्र संस्था है.

उल्लेखनीय है कि संसद द्वारा पिछले महीने पारित नया कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के चलते भारत आए गैर मुस्लिमों के लिए नागरिकता का प्रावधान करता है.

नए कानून के खिलाफ भारत में व्यापक रूप से प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी पार्टियां, नागरिक अधिकार समूह और कार्यकर्ताओं का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के आधारभूत सिद्धांतों के खिलाफ है.

पढ़ें- ईयू संसद को लोकतांत्रिक रूप से चुने सांसदों के अधिकार पर सवाल नहीं उठाना चाहिए : आधिकारिक सूत्र

यूरोपीय संसद में सीएए के खिलाफ प्रस्तावों पर विदेश मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीएए भारत का पूरी तरह से एक आंतरिक विषय है और इस कानून को संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद लोकतांत्रिक तरीके से अंगीकार किया गया है.

ईयू संसद में प्रस्तावों के भारत के विरोधी होने को विस्तार से बताते हुए कहा, 'हर समाज जो कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक नागरिकता प्रदान करने के मार्ग का अनुसरण करता है वह संदर्भ और अर्हता, दोनों पर विचार करता है। यह भेदभाव नहीं है.'

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 18:10 HRS IST




             
  • नया नागरिकता कानून भारत का आंतरिक मामला : फ्रांसीसी राजनयिक सूत्र



नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) यूरोपीय संघ (ईयू) के संस्थापक सदस्य देशों में शामिल फ्रांस का मानना है कि नया नागरिकता कानून (सीएए) भारत का एक आतंरिक राजनीतिक विषय है। फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने सोमवार को यह कहा।



यूरोपीय संघ की 751 सदस्यीय संसद में तकरीबन 600 सांसदों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद यह कहा गया है।



दरअसल, इन प्रस्तावों में कहा गया है कि इस कानून का लागू होना भारत की नागरिकता व्यवस्था में एक खतरनाक बदलाव को प्रदर्शित करता है।



सूत्रों ने कहा कि फ्रांस के लिए सीएए भारत का आंतरिक राजनीतिक विषय है और यह कई मौकों पर कहा गया है।



उन्होंने कहा कि यूरोपीय संसद सदस्य देशों एवं यूरोपीय आयोग की एक स्वतंत्र संस्था है।



उल्लेखनीय है कि संसद द्वारा पिछले महीने पारित नया कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के चलते भारत आए गैर मुस्लिमों के लिए नागरिकता का प्रावधान करता है।



नये कानून के खिलाफ भारत में व्यापक रूप से प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्षी पार्टियां, नागरिक अधिकार समूह और कार्यकर्ताओं का कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के आधारभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।



यूरोपीय संसद में सीएए के खिलाफ प्रस्तावों पर विदेश मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।



हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीएए भारत का पूरी तरह से एक आंतरिक विषय है और इस कानून को संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद लोकतांत्रिक तरीके से अंगीकार किया गया है।



ईयू संसद में प्रस्तावों के भारत के विरोधी होने को विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘हर समाज जो कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक नागरिकता प्रदान करने के मार्ग का अनुसरण करता है वह संदर्भ और अर्हता, दोनों पर विचार करता है। यह भेदभाव नहीं है।’’


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 4:35 AM IST
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