हैदराबाद : भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में बड़ी संख्या में आपदाएं आती रहती हैं. देश के 12 फीसदी से (40 मिलियन हेक्टेयर) अधिक हिस्सों में बाढ़ और नदी के कटाव का खतरा है. वहीं 7,516 किलोमीटर में से 5,700 किलोमीटर तटीय क्षेत्रों में चक्रवात और सुनामी का खतरा है. असम में इन दिनों बाढ़ आई है, इस बाढ़ से कई लाख लोग प्रभावित हैं.
भारत में 1953 से 2018 में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ष पर एक नजर
पैमाना | कुल आंकड़े | सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ष | आंकड़ा |
प्रभावित क्षेत्र (मि.हे.) | 474 मि.हे. | 1978 | 17.5 मि.हे. |
प्रभावित लोग | 2125.006 मिलियन | 1978 | 70.450 मिलियन |
फसलों को नुकसान | |||
प्रभावित क्षेत्र (मि.हे.) | 258.533 मि.हे. | 2005 | 12.299 मि.हे. |
फसलों की कीमत | 1,14,933.808 करोड़ रुपये | 2015 | 17043.95 करोड़ रुपये |
मानव क्षति | 1,09,374 | 1977 | 11,316 |
आर्थिक नुकसान | 400097.02 करोड़ रुपये | 2015 | 57291.1 करोड़ रुपये |
बाढ़ के नुकसान के आंकड़ों पर केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट (1953-2018)
भारत में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र
पूर्व
- असम - ब्रह्मपुत्र और बराक घाटियां
- मणिपुर - मध्य जिले
- त्रिपुरा - पश्चिम
- पश्चिम बंगाल - डुअर्स, हुगली बेसिन, गंगा और दामोदर से सटे क्षेत्र
- बिहार - गंगा घाटी, कोसी घाटी
- उड़ीसा - मध्य तटीय जिले, निचले महानदी बेसिन
- झारखंड - दामोदर घाटी
उत्तर
- उत्तर प्रदेश - गंगा के बाढ़ के मैदान, घाघरा, गोमती, शारदा, राप्ती बेसिन
- पंजाब - सतलज-रवि बेसिन
- हिमाचल प्रदेश - घाटी
- जम्मू-कश्मीर - कश्मीर घाटी
पश्चिम
- राजस्थान - लूणी, चंबल के साथ फ्लैश फ्लड
- गुजरात- निचला माही, नर्मदा, तापी
- महाराष्ट्र - लोअर वैनगंगा, पेंगंगा
दक्षिण
- कर्नाटक - तुंगा, भद्रा के ऊपरी हिस्से
- आंध्र प्रदेश- कृष्णा, गोदावरी, उत्तरी तटीय जिलों के निचले इलाके
- तमिलनाडु - कावेरी डेल्टा
- केरल - पश्चिम की बहती नदियों में पहाड़ियों के साथ
बाढ़ के प्रमुख कारण
- कम समय में असामान्य रूप से उच्च वर्षा, बहाव में तेजी से वृद्धि लाती है.
- नदियां या अन्य जल किनारों से बहते हैं.
- पहाड़ियों के अत्यधिक वनों की कटाई से बाढ़ का बहाव कम हो सकता है.
- जल निकासी की अपर्याप्त सुविधाओं से पानी रुक सकता है.
- नदियों के मार्ग में परिवर्तन.
- तटीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवात भी बाढ़ का कारण बन सकते हैं.
असम मे क्यों आता है इतना बाढ़
नदियों के विशाल जाल की वजह से असम बाढ़ और कटाव जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है, जिसका राज्य के समग्र विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. असम में बाढ़ के लिए स्थलाकृति एक प्रमुख भूमिका निभाती है. अधिकांश नदियां अत्यधिक बल के साथ राज्य में बहती हैं और लगातार बारिश के दौरान दो गुना बढ़ जाती हैं, जिससे यह तटबंधों को तोड़ देती है. विशेषकर मॉनसून के दौरान, ब्रह्मपुत्र और बराक दोनों खतरे के स्तर से ऊपर बहते हैं. जैसे-जैसे जल प्रवाह नीचे की ओर बढ़ता है, उस दौरान भारी वर्षा भी बाढ़ में योगदान करती है.
ब्रह्मपुत्र और बराक नदी में 50 से अधिक संख्या में सहायक नदियां मिलती हैं, जो हर साल मॉनसून की अवधि में बाढ़ की तबाही का कारण बनती हैं.
उच्च अवसादन और खड़ी ढलान के कारण ब्रह्मपुत्र अत्यधिक अस्थिर नदी है. इसके अतिरिक्त पूरा क्षेत्र भूकंप प्रवण क्षेत्र है और उच्च वर्षा का अनुभव करता है. इसके साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी किनारों को काटने में कुख्यात है.
जलवायु परिवर्तन और पूर्वी हिमालय से बहने वाली नदियां ब्रह्मपुत्र में मिलती हैं जिससे इसके जलस्तर में तेजी से वृद्धि होती है.
अरुणाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर वनों की कटाई ने असम में चीजों को और जटिल बना दिया है.
अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे पड़ोसी राज्यों से बहने वाली नदियों द्वारा फ्लैश बाढ़ के कारण भी राज्य में बाढ़ की समस्या और अधिक बढ़ जाती है.
असम के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र
असम के 34 जिलों में से 17 गंभीर रूप से बाढ़ प्रभावित हैं. भारत के राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के अनुसार, राज्य के लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र- 32 लाख हेक्टेयर के करीब बाढ़-ग्रस्त क्षेत्र हैं.
राज्य का बाढ़ प्रवण क्षेत्र जैसे कि राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (RBA) द्वारा आकलन किया गया है, राज्य के कुल क्षेत्रफल 78.523 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 31.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ ग्रस्त है, जो असम के कुल भूमि क्षेत्र का 39.58% है. यह देश के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का लगभग 9.40% है. यह दर्शाता है कि असम का बाढ़ प्रभावित क्षेत्र देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के राष्ट्रीय चिन्ह का चार गुना है.
असम में 1953 से 2018 में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ष पर एक नजर
पैमाना | कुल आंकड़े | सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ष | आंकड़ा |
प्रभावित क्षेत्र (मि.हे.) | 51.887 मि.हे. | 1988 | 3.820 मि.हे. |
प्रभावित लोग | 173.237 मिलियन | 2004 | 12.637 मिलियन |
फसलों को नुकसान | |||
प्रभावित क्षेत्र (मि.हे.) | 25.662 मि.हे | 2005 | 9.840 मि.हे |
फसलों की कीमत | 2609.011 करोड़ | 1998 | 463.304 करोड़ |
मानव क्षति | 3146 | 2004 | 497 |
आर्थिक नुकसान | 14543.016 करोड़ | 2017 | 4164.810 |