नई दिल्ली: बहुप्रतीक्षित वाहन कबाड़ नीति (स्क्रैप पॉलिसी) को कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है. सूत्रों का कहना है कि इस नीति में 2005 से पहले विनिर्मित वाहनों के लिए पंजीकरण और फिटनेस नियमों को कड़ा किया जा सकता है.
एक अनुमान के अनुसार देश में 2005 से पहले विनिर्मित दो करोड़ वाहन देश की सड़कों पर दौड़ रहे हैं. इस कदम का मकसद ऐसे वाहनों को हतोत्साहित करना है.
नए प्रदूषण उत्सर्जन नियमों के हिसाब से देखा जाए, तो ऐसे वाहनों से प्रदूषण उत्सर्जन 10 से 25 गुना अधिक होता है.
पिछले सप्ताह सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि उन्होंने प्रस्तावित नीति पर कैबिनेट को मंजूरी दे दी है और इस पर जल्द फैसले की उम्मीद है.
सूत्रों ने अनुसार, भारत का वाहन बाजार काफी तेजी से बढ़ा है. यदि पुराने प्रदूषण नियमों की तुलना नए उत्सर्जन नियमनों से की जाए, तो 2005 से पहले के वाहन नए नियमों के तहत 10 से 25 गुना तक अधिक उत्सर्जन कर रहे हैं. यदि ऐसे
वाहनों का रखरखाव काफी सावधानी से भी किया जाए, तो भी उनसे होने वाला उत्सर्जन काफी अधिक रहेगा.
सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित नीति के तहत ऐसे वाहनों के लिए कई अनुपालन नियम सख्त किए जा सकते हैं. मसलन ऐसे निजी वाहनों के लिए पंजीकरण शुल्क बढ़ाया जा सकता है. साथ ही परिवहन वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणन शुल्क में
बढ़ोतरी हो सकती हैं. इस नीति में ऐसे वाहनों को हतोत्साहित करने के प्रावधान हो सकते हैं.
सूत्रों ने कहा कि परिवहन वाहनों के लिए प्रस्तावित कड़े नियमों के तहत हर साल फिटनेस प्रमाणन को अनिवार्य किया जा सकता है. इससे बड़ी संख्या में वाहन कबाड़ नीति की ओर रुख करेंगे.
सूत्रों ने कहा कि सरकार की योजना एसी-सीएफसी के सुरक्षित तरीके से निपटान का तंत्र लाने की भी है.यह एक तरल रेफ्रिजरेंट होता है जिसमें क्लोरोफ्लोरोकॉर्बन (सीएफसी) होता है. इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है जो ओजोन को नुकसान पहुंचाती है.
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इसके अलावा नीति में एयरबैग्स से हवा निकालने के लिए एक प्रणाली भी होगी. सूत्रों ने बताया कि इस नीति में पुराने वाहनों को कबाड़ करने पर नया वाहन खरीदने वालों लोगों को डीलरों की ओर से रियायत भी मिलेगी. यह छूट वाहन कबाड़ करने वाले प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी.
परिवहन मंत्रालय दो साल में फिटनेस की व्यवस्था को आटोमेटेड करने की योजना बना रहा है जिसमें कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं होगा. इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
(पीटीआई इनपुट)