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यहीं हुई थी गांधी-नेहरू की पहली मुलाकात

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसे ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 21वीं कड़ी.

जवाहरलाल नेहरू और गांधी (साभार-यूट्यूब @rajyasabhatv)
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Published : Sep 5, 2019, 12:00 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 12:33 PM IST

लखनऊ: नवाबों का शहर लखनऊ तमाम इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है. लखनऊ शहर को अगर ऐतिहासिक शहर कहा जाता है, तो इसमें किसी तरह की कोई अतिशयोक्ति नहीं है. यहां बापू से जुड़ी ऐसे तमाम यादें हैं, जिसे लखनऊ अपने अंदर समेटे है.

यह शहर गवाह है देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहली ऐतिहासिक मुलाकात का. शायद कम ही लोग यह जानते होंगे कि गांधी-नेहरू की छोटी सी ही सही, पर पहली मुलाकात लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने हुई थी. मौका था कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन. साल था 1916.

गांधी नेहरू की भेंट और लखनऊ से गांधी के रिश्ते पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

राष्ट्रपिता गांधी लखनऊ करीब एक दर्जन बार आए थे. लेकिन जवाहरलाल नेहरू से उनकी मुलाकात रेलवे स्टेशन पर पहली बार हुई. यह मुलाकात काफी साधारण ही रही. 26 दिसम्बर 1916 को लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन था. इसमें जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से अपने पिता पंडित मोतीलाल नेहरू के साथ यहां पर पहुंचे थे. यहीं पर पहली बार गांधी से नेहरू का परिचय हुआ था. इसके बाद चाचा नेहरू राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से इस कदर प्रभावित हुए कि उनके बताए रास्ते पर ही चलने लगे.

ये भी पढ़ें: लखनऊ के जनाना पार्क से गांधी का था कुछ ऐसा रिश्ता

इन दोनों महान विभूतियों ने देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान दिया. इस अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू ने एक साथ लोगों को संबोधित किया था. यही वह मौका था जब नेहरू ने गांधी के साथ देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का फैसला लिया था.

ये भी पढ़ें: इस शहर के जर्रे-जर्रे में बसे हैं बापू, आज भी मौजूदगी का एहसास कराता है हरिजन गुरूद्वारा

जानकार बताते हैं कि जिस अधिवेशन को लखनऊ अधिवेशन का नाम दिया गया, दरअसल यह अधिवेशन फैजाबाद में आयोजित हुआ था, लेकिन फैजाबाद छोटी जगह थी, नाम प्रसिद्ध नहीं था, ऐसे में इसे लखनऊ अधिवेशन का नाम दिया गया था.

ये भी पढ़ें: ऐतिहासिक है गोरखपुर का चौरा-चौरी कांड, गांधी ने वापस लिया था असहयोग आंदोलन

इन दोनों महापुरुषों के ऐतिहासिक मुलाकात का गवाह चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने बना गांधी पार्क है, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा भी लगी हुई है.

लखनऊ: नवाबों का शहर लखनऊ तमाम इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है. लखनऊ शहर को अगर ऐतिहासिक शहर कहा जाता है, तो इसमें किसी तरह की कोई अतिशयोक्ति नहीं है. यहां बापू से जुड़ी ऐसे तमाम यादें हैं, जिसे लखनऊ अपने अंदर समेटे है.

यह शहर गवाह है देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहली ऐतिहासिक मुलाकात का. शायद कम ही लोग यह जानते होंगे कि गांधी-नेहरू की छोटी सी ही सही, पर पहली मुलाकात लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने हुई थी. मौका था कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन. साल था 1916.

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राष्ट्रपिता गांधी लखनऊ करीब एक दर्जन बार आए थे. लेकिन जवाहरलाल नेहरू से उनकी मुलाकात रेलवे स्टेशन पर पहली बार हुई. यह मुलाकात काफी साधारण ही रही. 26 दिसम्बर 1916 को लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन था. इसमें जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से अपने पिता पंडित मोतीलाल नेहरू के साथ यहां पर पहुंचे थे. यहीं पर पहली बार गांधी से नेहरू का परिचय हुआ था. इसके बाद चाचा नेहरू राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से इस कदर प्रभावित हुए कि उनके बताए रास्ते पर ही चलने लगे.

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इन दोनों महान विभूतियों ने देश की स्वतंत्रता में अहम योगदान दिया. इस अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू ने एक साथ लोगों को संबोधित किया था. यही वह मौका था जब नेहरू ने गांधी के साथ देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का फैसला लिया था.

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जानकार बताते हैं कि जिस अधिवेशन को लखनऊ अधिवेशन का नाम दिया गया, दरअसल यह अधिवेशन फैजाबाद में आयोजित हुआ था, लेकिन फैजाबाद छोटी जगह थी, नाम प्रसिद्ध नहीं था, ऐसे में इसे लखनऊ अधिवेशन का नाम दिया गया था.

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इन दोनों महापुरुषों के ऐतिहासिक मुलाकात का गवाह चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने बना गांधी पार्क है, जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा भी लगी हुई है.

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Last Updated : Sep 29, 2019, 12:33 PM IST
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