नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, उनके भतीजे अजीत पवार और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है.प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाला मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी (NCP) के नेता प्रमुख शरद पवार ,उनके भतीजे अजीत पवार और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.
उन्होंने कहा कि पुलिस की एफआईआर के साथ साथ प्रवर्तन निदेशालय की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर), केंद्रीय एजेंसी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई है.
मामला मुंबई पुलिस की प्राथमिकी पर आधारित है जिसमें बैंक के पूर्व अध्यक्षों, महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और सहकारी बैंक के 70 पूर्व पदाधिकारियों का नाम शामिल था.
गौरतलब है कि इस मामले का पंजीकरण ऐसे समय में हुआ है जब अगले महीने राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं.
माना जा रहा है कि इस मामले मे आरोपियों को जल्द ही एजेंसी द्वारा अपने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया जाएगा.
ईडी मामले के आरोपियों में दिलीपराव देशमुख, ईशरलाल जैन, जयंत पाटिल, शिवाजी राव, आनंद राव अडसूल, राजेंद्र शिंगाने और मदन पाटिल शामिल हैं.
बता दें कि ईडी ने इस साल अगस्त में दर्ज की गई मुंबई पुलिस की प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आपराधिक आरोपों को खारिज कर दिया, जो खुद राज्य आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा इसी तरह की शिकायत के आधार पर दायर की गई थी.
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गौरतलब है कि आर्थिक अपराध शाखाई ( EOW) को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और एस के शिंदे की पीठ के बाद मामला दर्ज करने के लिए कहा था, मामले में आरोपियों के खिलाफ विश्वसनीय सबूत थे.
पुलिस एफआईआर के अनुसार, राज्य के सरकारी खजाने को कथित रूप से 1 जनवरी, 2007 और 31 दिसंबर, 2017 के बीच MSCB घोटाले के कारण 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
एफआईआर के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों, तत्कालीन निदेशकों और MSCB के वरिष्ठ अधिकारियों, जिला केंद्रीय बैंक और पेन कोऑपरेटिव बैंक के निदेशकों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है.
पुलिस की एफआईआर में अन्य आरोपियों में राज्य के 34 जिलों में किसान और वर्कर्स पार्टी (PWP) के नेता जयंत पाटिल और तत्कालीन निदेशक और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.
उन्हें पुलिस ने धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी देने), 409 (लोक सेवक द्वारा ट्रस्ट का आपराधिक उल्लंघन, या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा), 406 (आपराधिक उल्लंघन के लिए सजा), 465 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) के साथ-साथ महाराष्ट्र सहकारी समितियों (MCS) अधिनियम के तहत एक अर्ध-न्यायिक जांच आयोग द्वारा दायर एक चार्जशीट के निरीक्षण ने अजीत पवार को उनके निर्णय, कार्य और नीलामी को दोषी ठहराया था.
जानकारी दे दें कि अजीत पवार ने 10 नवंबर, 2010 से 26 सितंबर, 2014 तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था.
NABARD ऑडिट रिपोर्ट में चीनी कारखानों और कताई मिलों को ऋण के वितरण में आरोपी द्वारा कई बैंकिंग कानूनों और आरबीआई दिशानिर्देशों का उल्लंघन, और इस तरह के ऋणों की चुकौती और वसूली पर डिफ़ॉल्ट रूप से दिखाया गया था.
एक कार्यकर्ता, सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में इस मामले पर (EWO) के साथ एक शिकायत दर्ज की थी और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था,
NABARD द्वारा बताई गई कमियों के मद्देनजर, आरबीआई ने मई 2011 में MSCB निदेशक मंडल को हटाकर इस मामलों की देखभाल के लिए एक प्रशासक नियुक्त करने का निर्देश दिया था.
हाई कोर्ट ने कहा था कि नाबार्ड की निरीक्षण रिपोर्ट, शिकायत और MCS अधिनियम के तहत आरोप पत्र से लगता है कि मामले में आरोपियों के खिलाफ विश्वसनीय साक्ष्य मौजूद हैं.