श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पांच अगस्त को यहां अपने आवास पर एक बैठक बुलाई है. अनुच्छेद 370 निरस्त करने की पहली वर्षगांठ पर होने वाली इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है.
कश्मीर घाटी के भारत सरकार समर्थक नेताओं ने फारूक अब्दुल्ला की तरफ से मिले निमंत्रण की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि यह बैठक पिछले साल पांच अगस्त के बाद घाटी की स्थिति और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए राजनीतिक प्रतिक्रिया पर निर्णय लेने के लिए बुलाई गई है.
'विशेष दर्जा हटाने से न तो विकास हुआ, न ही आतंकवाद खत्म हुआ'
फारूक अब्दुल्ला ने गत रविवार को दावा किया कि जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त करने से न तो इसका विकास हुआ और न ही आतंकवाद का खात्मा हुआ, जैसा नई दिल्ली में कुछ निहित स्वार्थों ने दावा किया था.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण और उसके बाद पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर की रिहाई से कोई सबक नहीं लिया क्योंकि उन्हें लगता है कि वे बुद्धिमानों से भी बुद्धिमान हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर से किसी की भी राय लिए बिना विशेष दर्जा रद्द करने का फैसला लिया. उन्होंने कहा, 'यह एक दिन में राज्यसभा में पारित हुआ और दूसरे दिन लोकसभा में.'
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कहा गया कि कश्मीर अब भारत का हिस्सा होगा. जबकि हम तिरंगा थामे हुए हमेशा से भारत का हिस्सा थे.
अब्दुल्ला ने वेबिनार में कहा कि जम्मू-कश्मीर विशेष राज्य के दर्जे का लाभ ले रहा थो जो मुस्लिम बहुल राज्य को मुस्लिम पाकिस्तान राष्ट्र को अस्वीकार कर हिंदू बहुलता वाले भारत में शामिल होने पर दिया गया था.
पिछले साल पांच अगस्त को, केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्रदत्त विशेष राज्य का दर्जा रद्द कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था.
अब्दुल्ला ने कहा कि जिस विकास का वादा किया गया, वह नहीं हुआ और उन्होंने इस क्रम में कठुआ-बनिहाल रेल लिंक तथा कारगिल और कश्मीर घाटी को जोड़ने वाली सुरंग का उदाहरण दिया.
साथ ही उन्होंने कहा, 'हम कभी भी अलगाववादी नहीं थे न ही अलगाववाद को बढ़ावा दिया.'
उन्होंने कहा, 'क्या बदल गया था जिसने उन्हें ऐसा फैसला लेने पर मजबूर किया? इसे रद्द करना भाजपा का एजेंडा था और इसलिए उसने इसे इस तरह से पेश किया कि खूब विकास होगा, उद्योगपति आएंगे और पूरा खाका बदल जाएगा. हां, मानचित्र बदल गया क्योंकि महाराजा का कश्मीर रातभर में कहीं गायब हो गया और हम केंद्रशासित प्रदेश हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है. केंद्रशासित प्रदेश राज्य बनते हैं लेकिन राज्य कभी केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनते.'
उन्होंने नेताओं को हिरासत में रखने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, 'कल्पना कीजिए कि तिरंगे की शान बनाए रखने के लिए मेरी पार्टी के मंत्री समेत शीर्ष नेता उग्रवाद की भेंट चढ़ गए. क्या उन्होंने कश्मीर में लोगों का दिल जीत लिया...जो लोग 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे, उन्हें जेल में डाल दिया गया और बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया गया जबकि कुछ अब भी नजरबंद हैं.'
अब्दुल्ला ने कहा, 'क्या हम भारत के दुश्मन हैं. मुझे इन नेताओं पर अफसोस है और मैं सोचता हूं कि वे इस राष्ट्र को किस दिशा में ले जा रहे हैं. इस देश का क्या भविष्य होगा? हमने बर्बादी का रास्ता शुरू कर दिया है क्योंकि हम लोगों को नहीं जीत पा रहे हैं.'
(भाषा इनपुट के साथ)