बठिंडा : गेहूं का सीजन करीब आ रहा है और किसानों ने धान की कटाई करके गेहूं बोने की तैयारी कर ली है. बठिंडा में धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने का मामला सामने आया है.
बड़ा सवाल यह है कि पराली जलाने के लिए कौन जिम्मेदार है, सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए कोई सुविधा नहीं दे रही है, जिस वजह से किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
किसानों पर हर साल पराली के मुद्दे पर मुकदमा दायर किया जाता है. किसानों का कहना है कि भले ही सरकार उनके खिलाफ मुकदमा दायर करे, लेकिन उनके पास पराली जलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
किसानों ने मांग की कि सरकार को पराली न जलाने के लिए किसानों को 250 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देनी चाहिए या किसानों को कोई और रास्ता प्रदान करना चाहिए.
हालांकि, सरकार और प्रशासन किसानों से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पराली नहीं जलाने का आग्रह कर रहे हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि उनका परिवार और उनके बच्चे भी प्रदूषित पर्यावरण के शिकार हैं, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं है.