नई दिल्ली : मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि सुधार कानून के खिलाफ पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर मंगलवार को तीन विधेयक पारित कर दिये. पंजाब के किसान संगठनों ने भी अमरिंदर सरकार के सामने यह मांग रखी थी, जिसे मानते हुए मुख्यमंत्री ने यह कदम उठाया है.
तीन कानूनों के मुकाबले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तीन विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020, किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (पदोन्नति और सुविधा-विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (विशेष प्रावधान और पंजाब संशोधन) विधेयक 2020 पारित कर दिये हैं.
मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिये लाए गए तीन कानूनों का विरोध देश भर के किसान संगठनों द्वारा लगातार जारी है. पंजाब और हरियाणा में विशेष कर किसान आंदोलित हैं और जगह-जगह प्रदर्शन भी कर रहे हैं. ऐसे में पंजाब पहला राज्य है, जिसने खुल कर कृषि कानूनों का विरोध करने के बाद उनके खिलाफ कानून लाने की बात कही थी और आज विधेयक पारित किये हैं.
हालांकि, इन विधेयकों को कानून में परिवर्तित कर अमली जामा पहनाना कैप्टन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. पंजाब के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को कहा कि उन्हें अपनी सरकार को बर्खास्त किये जाने की चिंता नहीं है और वह इस्तीफा देने से भी नहीं डरते हैं.
वहीं किसान संगठनों ने पंजाब सरकार की पहल को सराहा तो जरूर की है, लेकिन एमएसपी के लिये लाये गए कानून में जो बात कही गई है उसमें संशोधन की सलाह भी दी है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती के संयोजक वीएम सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि एमएसपी से कम कीमत पर यदि कोई बेचने पर किसान को मजबूर करता है, तो उसे तीन साल तक कि सजा का प्रावधान इस विधेयक में है, लेकिन इसमें से मजबूर शब्द को हटाया जाना चाहिये.
कानून यह हो कि तय एमएसपी से कम कीमत पर किसी भी खरीद को अपराध माना जाए और ऐसी परिस्थिति में सजा का प्रावधान हो. वीएम सिंह ने उम्मीद जताई कि अन्य राज्य सरकारें भी इसी तर्ज पर किसानों के हित में विधेयक लाएंगी.
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भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी ने पंजाब सरकार द्वारा दो दिन के विशेष विधानसभा सत्र बुलाये जाने और उसमें केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ विधेयक पारित किये जाने को एक राजनीतिक नौटंकी करार दिया. उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों से गेहूं और धान की 98% खरीद एमएसपी पर जब सरकार पहले से ही कर रही है, तो अमरिंदर सिंह गेहूं और धान के लिये एमएसपी कानून ला कर क्या दिखाना चाहते हैं.
यदि कैप्टन सरकार किसानों की इतनी ही हिमायती है, तो उन्हें दलहन और तिलहन पर भी एमएसपी की गारंटी देनी चाहिये. वहीं किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने पंजाब सरकार के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि कम से कम किसानों के हित में एक राज्य की सरकार ने एमएसपी गारंटी देने की शुरुआत की है.
अन्य राज्यों को भी इनसे सीख लेनी चाहिये और केंद्र को किसानों की मांग को समझना चाहिये. इस विरोध को रोकने का एकमात्र तरीका है कि केंद्र सरकार भी एमएसपी गारंटी कानून लाने पर विचार करे.
पंजाब सरकार ने किसानों को खुश करने के लिये भले ही विधेयक पारित कर दिया हो, लेकिन कैप्टन सरकार की असली परीक्षा आगे होने वाली है. विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें इन विधेयक को को राज्य कानून में परिवर्तित करने के लिये राज्यपाल और राष्ट्रपति के सहमती की जरूरत पड़ेगी. इसके अलावा मामला सप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच सकता है.