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बिहार में सिर्फ सब्जी की खेती से लाखों की कमाई, अपनाते हैं देसी तरीका

यहां के किसान सब्जी उगाने के लिए किसी भी प्रकार के खाद का इस्तेमाल नहीं करते. फिर भी यहां सब्जी की खेती अच्छी मात्रा में होती है, जिसकी बाजार में खूब मांग है. पढ़ें पूरी खबर....

सब्जियों की खेती
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Published : Aug 12, 2019, 5:10 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 6:40 PM IST

खगड़ियाः बिहार में जहां एक तरफ किसान अपनी फसल और उसकी मिलने वाली कम कीमत से परेशान है. वहीं, दूसरी तरफ खगड़िया में एक ऐसा गांव है, जहां के किसान सिर्फ सब्जियों की खेती करते हैं और खुशहाल हैं.

जिले के चौथम प्रखंड में तिलौंच नाम का एक गांव है. इस गांव की खासियत ये है कि यहां हर तरह की हरी सब्जियां उगती हैं. यह गांव पूरे जिले को सब्जी खिलाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि यहां के किसान खेती के लिए किसी भी तरह के खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

सिर्फ देसी तरीके अपनाते हैं और अच्छी मात्रा में सब्जी उगाते हैं.

सब्जियों की खेती पर आश्रित गांव

क्या है किसानों का कहना
सब्जी उगाने वाले किसानों ने बताया कि वो लोग लौकी, बैगन, भिंडी, मिर्ची, करैला, तोरई और अन्य कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं. ये खेती मौसम के ऊपर भी निर्भर करती है. जिस तरह का मौसम आने वाला रहता है, उसी तरह की सब्जी की तैयारी करते हैं.

जैसे अभी बारिश का समय चल रहा है, तो इसमें लौकी, मिर्ची और भिंडी की फसल अच्छी होगी. इसलिए किसानों ने ज्यादा से ज्यादा इसकी खेती की है. इसके बाद आने वाले मौसम में हम ओल की खेती करने वाले हैं.

पढ़ेंः बकरीदः बाघा बार्डर पर बीएसफ और पाक रेंजर ने नहीं दिया एक दूसरे को मिठाई

पूरा गांव ही सब्जी पर निर्भर
बिहार में सबसे ज्यादा संख्या किसानों की है और इनकी आय फसलों से ही होती है. चाहे वो मक्का हो गेंहू हो या चावल. ऐसे में तिलौंच गांव पूरे जिला के लिए उदाहरण बना हुआ है.

क्योंकि इस गांव के एक या दो किसान नहीं बल्कि लगभग सभी किसान सिर्फ सब्जी की ही खेती करते हैं. इसी खेती से इनता पूरा परिवार चलता है और यह खुशहाल हैं.

पढ़ेंः कर्नाटक के रिहायशी इलाके के छत पर नजर आया मगरमच्छ

कभी-कभी होता है नुकसान

etvbhartabihar
सब्जियों की खेती
इन सभी किसानों का कहना है कि देसी तरीके से सब्जी की खेती करने की वजह से बाजार में सब्जियों की मांग बहुत है. सब्जी तैयार होते ही हर तरफ से मांग होने लगती है. जिस वजह से सब्जी खराब होने से पहले ही निकल जाती है.

चुंकि मांग ज्यादा है इसलिए पैसों के लिए भी नहीं सोचना पड़ता. जो बाजार में रेट चल रहा होता है वो किसानों को आसानी से मिल जाता है. वहीं, इन किसानों ने बताया कि कभी कभार ओला वृष्टि हो जाने से सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं. तब काफी नुससान होता है. ऐसी स्थिति में सरकार से भी कोई मदद नहीं मिलती.

खगड़ियाः बिहार में जहां एक तरफ किसान अपनी फसल और उसकी मिलने वाली कम कीमत से परेशान है. वहीं, दूसरी तरफ खगड़िया में एक ऐसा गांव है, जहां के किसान सिर्फ सब्जियों की खेती करते हैं और खुशहाल हैं.

जिले के चौथम प्रखंड में तिलौंच नाम का एक गांव है. इस गांव की खासियत ये है कि यहां हर तरह की हरी सब्जियां उगती हैं. यह गांव पूरे जिले को सब्जी खिलाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि यहां के किसान खेती के लिए किसी भी तरह के खाद का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

सिर्फ देसी तरीके अपनाते हैं और अच्छी मात्रा में सब्जी उगाते हैं.

सब्जियों की खेती पर आश्रित गांव

क्या है किसानों का कहना
सब्जी उगाने वाले किसानों ने बताया कि वो लोग लौकी, बैगन, भिंडी, मिर्ची, करैला, तोरई और अन्य कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं. ये खेती मौसम के ऊपर भी निर्भर करती है. जिस तरह का मौसम आने वाला रहता है, उसी तरह की सब्जी की तैयारी करते हैं.

जैसे अभी बारिश का समय चल रहा है, तो इसमें लौकी, मिर्ची और भिंडी की फसल अच्छी होगी. इसलिए किसानों ने ज्यादा से ज्यादा इसकी खेती की है. इसके बाद आने वाले मौसम में हम ओल की खेती करने वाले हैं.

पढ़ेंः बकरीदः बाघा बार्डर पर बीएसफ और पाक रेंजर ने नहीं दिया एक दूसरे को मिठाई

पूरा गांव ही सब्जी पर निर्भर
बिहार में सबसे ज्यादा संख्या किसानों की है और इनकी आय फसलों से ही होती है. चाहे वो मक्का हो गेंहू हो या चावल. ऐसे में तिलौंच गांव पूरे जिला के लिए उदाहरण बना हुआ है.

क्योंकि इस गांव के एक या दो किसान नहीं बल्कि लगभग सभी किसान सिर्फ सब्जी की ही खेती करते हैं. इसी खेती से इनता पूरा परिवार चलता है और यह खुशहाल हैं.

पढ़ेंः कर्नाटक के रिहायशी इलाके के छत पर नजर आया मगरमच्छ

कभी-कभी होता है नुकसान

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सब्जियों की खेती
इन सभी किसानों का कहना है कि देसी तरीके से सब्जी की खेती करने की वजह से बाजार में सब्जियों की मांग बहुत है. सब्जी तैयार होते ही हर तरफ से मांग होने लगती है. जिस वजह से सब्जी खराब होने से पहले ही निकल जाती है.

चुंकि मांग ज्यादा है इसलिए पैसों के लिए भी नहीं सोचना पड़ता. जो बाजार में रेट चल रहा होता है वो किसानों को आसानी से मिल जाता है. वहीं, इन किसानों ने बताया कि कभी कभार ओला वृष्टि हो जाने से सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं. तब काफी नुससान होता है. ऐसी स्थिति में सरकार से भी कोई मदद नहीं मिलती.

Intro:बिहार में जंहा एक तरफ किसान अपनी फसल और फसलों की मिलने वाली कीमतों से परेशान है तो वंही दूसरी तरफ खगडिया में एक ऐसा गांव है जो सिर्फ सब्जियों की खेती करता है और हर खुसी के साथ रहता है। खगडिया जिला के चौथम प्रखंड में पड़ने वाला गांव का नाम तिलौंच है।इस गांव की खासियत ये है कि हर तरह की हरी सब्जियां उगता है और पूरे जिला को खिलता है।इसमें भी सब से बड़ी बात ये है कि यंहा के किसान किसी तरह के खाद का इस्तेमाल नही करते सिर्फ और सिर्फ देशी तरीका अपनाते है और अच्छी मात्रा में फसल उगाते है।


Body:बिहार में जंहा एक तरफ किसान अपनी फसल और फसलों की मिलने वाली कीमतों से परेशान है तो वंही दूसरी तरफ खगडिया में एक ऐसा गांव है जो सिर्फ सब्जियों की खेती करता है और हर खुसी के साथ रहता है। खगडिया जिला के चौथम प्रखंड में पड़ने वाला गांव का नाम तिलौंच है।इस गांव की खासियत ये है कि हर तरह की हरी सब्जियां उगता है और पूरे जिला को खिलता है।इसमें भी सब से बड़ी बात ये है कि यंहा के किसान किसी तरह के खाद का इस्तेमाल नही करते सिर्फ और सिर्फ देशी तरीका अपनाते है और अच्छी मात्रा में फसल उगाते है।
सब्जी उगाने वाले किसानों का कहना है कि हम लौकी,बैगन,भिंडी,मिर्ची और भी तरह तरह की सब्जियों की खेती करते है। ये खेती मौसम के ऊपर भी निर्भर करती है । जिस तरह का मौसम आने वाला रहता है उस तरह के हम सब्जी की तैयारी करते है जैसे अभी बारिश का समय चल रहा था इसमें लौकी मिर्ची और भिंडी की फसल अच्छी होगी।इसलिए हम लोग ज्यादा से ज्यादा इसकी खेती किये है इसके बाद आने वाले मौसम में ओल की खेती करने वाले है।

पूरा गांव ही सब्जी पर निर्भर
ये बताने वाली बात नही है कि बिहार में और बिहार के सभी जिले में ज्यादा जनंसख्या जो है वो किसानों की है।इनकी जो आय होती है वो फसलों से ही होती है चाहे वो मक्का हो गेंहू हो या चावल हो ऐसे में तिलौंच गांव पूरे जिला के लिए उदहारण का प्रमाण बना हुआ है क्यों कि इस के एक किसान या दो किसान नही पूरे के पूरे किसान सिर्फ और सिर्फ सब्जी की खेती करते है और अच्छी मात्रा में करते है।इन सभी किसानों का कहना है कि देशी तरीके से सब्जी की खेती करने के वजह से बाजार में सब्जियों की मांग बहुत है और सब्जी तैयार होते ही हर तरफ से मांग होने लगती है जिस वजह से सब्जी खराब होने से पहले ही निकल जाती है।चुकी मांग ज्यादा है इसलिए पैसों के लिए भी नही सोचना पड़ता जो बाजार में रेट चल रहा होता है वो हमलोग को आसानी से मिल जाती है।


Conclusion:
Last Updated : Sep 26, 2019, 6:40 PM IST
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