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पाक से लौटी गीता से मिला तेलंगाना का परिवार, नहीं हो सकी पहचान, तलाश जारी

तेलंगाना से एक परिवार गीता से मुलाकात करने के लिए इंदौर आया है और उन्होंने गीता से मुलाकात भी की. मुलाकात के दौरान तेलंगाना का परिवार कई तरह के फोटो भी साथ में लाया था लेकिन, फोटो के आधार पर गीता ने परिवार को पहचानने से मना कर दिया. फोटो के आधार पर गीता ने परिवार को पहचानने से मना कर दिया, प्रशासन तेलंगाना से आए परिजनों का डीएनए करवाएगा.

पाक से लौटी गीता से मिला तेलंगाना का परिवार
पाक से लौटी गीता से मिला तेलंगाना का परिवार
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Published : Dec 25, 2020, 8:32 PM IST

इंदौर। पाकिस्तान से लौटी गीता उसके परिवार से मिलाने के लिए इंदौर पुलिस कई तरह के जतन कर रही है. इसी कड़ी में आज तेलंगाना से एक परिवार गीता से मुलाकात करने के लिए आया और उन्होंने गीता से मुलाकात की है इस दौरान तेलंगाना का परिवार कई तरह के फोटो भी साथ में लाया था लेकिन, फोटो के आधार पर गीता ने परिवार को पहचानने से मना कर दिया. परिवार का मानना है कि गीता हमारी बेटी है, जो काफी पहले हमसे बिछड़ गई थी.

अब परिवार की मांग पर गीता तेलंगाना जाएगी और वहां पर जिस गांव का जिक्र किया जा रहा है, उसको देखेगी वहीं प्रशासन तेलंगाना से आए परिजनों का डीएनए करवाएगा. उसके बाद ही साबित होगा कि तेलंगाना से आया परिवार गीता का परिवार है कि नहीं वहीं यह भी बताया जा रहा है कि अभी दो और परिवार गीता को अपनी बेटी बता चुका है और वह भी जल्द इंदौर आकर अपना पक्ष रखेगा.

इंदौर में रहती है गीता

दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है. संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश की थी. पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है, जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.

पाक से लौटी गीता से मिला तेलंगाना का परिवार

महाराष्ट्र पुलिस भी कर रही मदद

महाराष्ट्र पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है. यात्रा के दौरान औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा में तैनात वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने फोन पर बताया था कि 'हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए.'

मराठवाड़ा या तेलंगाना हो सकता है गीता का मूल निवास

पुरोहित के मुताबिक इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है, जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.

महेश बाबू की जबर्दस्त प्रशंसक है गीता

अधिकारियों ने बताया कि गीता की नाक दांई ओर छिदी है और मूक-बधिर युवती के मुताबिक उसके पैतृक गांव में गन्ना, चावल और मूंगफली की खेती होती है. वह तेलुगु फिल्मों के मशहूर नायक महेश बाबू की जबरदस्त प्रशंसक है और इशारों की जुबान में उसका कहना है कि उसके घर में इडली-डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकते थे. बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका यह भी कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था.

यह भी पढ़ें:

20 परिवार गीता को बता चुके हैं अपनी लापता बेटी

गीता की देखरेख करने वाली संस्था के अधिकारियों के मुताबिक गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है. वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. उस समय उसकी उम्र आठ साल के आस-पास रही होगी. मूक-बधिर लड़की को पाकिस्तान की सामाजिक संस्था ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था.

कैसे सामने आया गीता का मामला ?

  • भारत में गीता के वकील मोमिन मलिक के मुताबिक 18 फरवरी 2007 को पानीपत में समझौता ब्लास्ट हुए था. जो लोग उसमें मरे थे, उनके मुआवजे का केस उन्होंने लड़ा था.
  • पाकिस्तान के ऐसे कई लोग थे जो इस हादसे का शिकार हुए थे. इसलिए मोमिन को पाकिस्तान जाना पड़ा था. इसी दौरान उन्हें गीता के बारे में पता चला.
  • पाकिस्तान के सोशल एक्टिविस्ट अंसार बर्नी ने मोमिन को बताया था कि एक भारतीय बच्ची ईधी फाउंडेशन में है, जो बोल नहीं सकती.

गीता को खोजने के लिए क्या किया?

  • 22 अक्टूबर, 2012 को अंसार बर्नी के भारत आने पर हमने ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उसी दिन गीता का मामला पहली बार उठा था. इस दौरान पंजाब के सोशल एक्टिविस्ट एचएस पवार भी मौजूद थे.
  • मोमिन मलिक ने ऐलान किया था कि जो आदमी भी गीता के बारे में बताएगा उसे एक लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा. इसके बाद मोमिन मलिक ने पाकिस्तान हाईकमीशन को गीता को लेकर लेटर भेजा था.
  • 7 जनवरी, 2015 को हाईकमीशन से मिला और सोशल साइट पर गीता की स्टोरी डाल दी.

कौन है गीता ?

  • गीता 14 साल तक पाकिस्तान में रही. गलती से सीमा पार करने के बाद उसे पाकिस्तान के पंजाब में रेंजर्स ने देखा था.
  • रेंजर्स पहले उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गए थे.
  • बाद में कराची में इसी संगठन के एक शेल्टर होम में उसे भेज दिया गया.
  • कराची में ‘मदर ऑफ पाकिस्तान' के नाम से मशहूर बिलकिस ईदी ने इस लड़की का नाम गीता रखा.

इंदौर। पाकिस्तान से लौटी गीता उसके परिवार से मिलाने के लिए इंदौर पुलिस कई तरह के जतन कर रही है. इसी कड़ी में आज तेलंगाना से एक परिवार गीता से मुलाकात करने के लिए आया और उन्होंने गीता से मुलाकात की है इस दौरान तेलंगाना का परिवार कई तरह के फोटो भी साथ में लाया था लेकिन, फोटो के आधार पर गीता ने परिवार को पहचानने से मना कर दिया. परिवार का मानना है कि गीता हमारी बेटी है, जो काफी पहले हमसे बिछड़ गई थी.

अब परिवार की मांग पर गीता तेलंगाना जाएगी और वहां पर जिस गांव का जिक्र किया जा रहा है, उसको देखेगी वहीं प्रशासन तेलंगाना से आए परिजनों का डीएनए करवाएगा. उसके बाद ही साबित होगा कि तेलंगाना से आया परिवार गीता का परिवार है कि नहीं वहीं यह भी बताया जा रहा है कि अभी दो और परिवार गीता को अपनी बेटी बता चुका है और वह भी जल्द इंदौर आकर अपना पक्ष रखेगा.

इंदौर में रहती है गीता

दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी गीता की देख-रेख कर रही है. मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग द्वारा इस गैर सरकारी संगठन को मूक-बधिर युवती के बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा भी सौंपा गया है. संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित गीता के परिवार की खोज के लिए महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में गीता के बिछड़े परिवार को ढूंढ़ने की कोशिश की थी. पुरोहित ने बताया कि इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है, जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.

पाक से लौटी गीता से मिला तेलंगाना का परिवार

महाराष्ट्र पुलिस भी कर रही मदद

महाराष्ट्र पुलिस भी गीता के परिवार की खोज में उसकी मदद कर रही है. यात्रा के दौरान औरंगाबाद पुलिस की महिला शाखा में तैनात वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक किरण पाटिल ने फोन पर बताया था कि 'हम औरंगाबाद और इसके आस-पास के इलाकों में गुजरे 20 साल के दौरान लापता मूक-बधिर बच्चों का रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. हो सकता है कि हमें गीता के बिछड़े परिवार के बारे में कोई अहम सुराग मिल जाए.'

मराठवाड़ा या तेलंगाना हो सकता है गीता का मूल निवास

पुरोहित के मुताबिक इशारों की जुबान में गीता से कई दौर की बातचीत के दौरान संकेत मिले हैं कि उसका मूल निवास स्थान मराठवाड़ा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाकों में हो सकता है, जहां वह लगभग दो दशक पहले अपने परिवार से बिछड़कर रेल से पाकिस्तान पहुंच गई थी.

महेश बाबू की जबर्दस्त प्रशंसक है गीता

अधिकारियों ने बताया कि गीता की नाक दांई ओर छिदी है और मूक-बधिर युवती के मुताबिक उसके पैतृक गांव में गन्ना, चावल और मूंगफली की खेती होती है. वह तेलुगु फिल्मों के मशहूर नायक महेश बाबू की जबरदस्त प्रशंसक है और इशारों की जुबान में उसका कहना है कि उसके घर में इडली-डोसा जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजन पकते थे. बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उसका यह भी कहना है कि उसके गांव के पास एक रेलवे स्टेशन था और गांव में नदी के तट के पास देवी का मंदिर था.

यह भी पढ़ें:

20 परिवार गीता को बता चुके हैं अपनी लापता बेटी

गीता की देखरेख करने वाली संस्था के अधिकारियों के मुताबिक गुजरे पांच साल में देश के अलग-अलग इलाकों के करीब 20 परिवार गीता को अपनी लापता बेटी बता चुके हैं. लेकिन सरकार की जांच में इनमें से किसी भी परिवार का मूक-बधिर युवती पर दावा साबित नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि फिलहाल गीता की उम्र 30 साल के आस-पास आंकी जाती है. वह बचपन में गलती से रेल में सवार होकर सीमा लांघने के कारण करीब 20 साल पहले पाकिस्तान पहुंच गई थी. पाकिस्तानी रेंजर्स ने गीता को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. उस समय उसकी उम्र आठ साल के आस-पास रही होगी. मूक-बधिर लड़की को पाकिस्तान की सामाजिक संस्था ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था.

कैसे सामने आया गीता का मामला ?

  • भारत में गीता के वकील मोमिन मलिक के मुताबिक 18 फरवरी 2007 को पानीपत में समझौता ब्लास्ट हुए था. जो लोग उसमें मरे थे, उनके मुआवजे का केस उन्होंने लड़ा था.
  • पाकिस्तान के ऐसे कई लोग थे जो इस हादसे का शिकार हुए थे. इसलिए मोमिन को पाकिस्तान जाना पड़ा था. इसी दौरान उन्हें गीता के बारे में पता चला.
  • पाकिस्तान के सोशल एक्टिविस्ट अंसार बर्नी ने मोमिन को बताया था कि एक भारतीय बच्ची ईधी फाउंडेशन में है, जो बोल नहीं सकती.

गीता को खोजने के लिए क्या किया?

  • 22 अक्टूबर, 2012 को अंसार बर्नी के भारत आने पर हमने ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उसी दिन गीता का मामला पहली बार उठा था. इस दौरान पंजाब के सोशल एक्टिविस्ट एचएस पवार भी मौजूद थे.
  • मोमिन मलिक ने ऐलान किया था कि जो आदमी भी गीता के बारे में बताएगा उसे एक लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा. इसके बाद मोमिन मलिक ने पाकिस्तान हाईकमीशन को गीता को लेकर लेटर भेजा था.
  • 7 जनवरी, 2015 को हाईकमीशन से मिला और सोशल साइट पर गीता की स्टोरी डाल दी.

कौन है गीता ?

  • गीता 14 साल तक पाकिस्तान में रही. गलती से सीमा पार करने के बाद उसे पाकिस्तान के पंजाब में रेंजर्स ने देखा था.
  • रेंजर्स पहले उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गए थे.
  • बाद में कराची में इसी संगठन के एक शेल्टर होम में उसे भेज दिया गया.
  • कराची में ‘मदर ऑफ पाकिस्तान' के नाम से मशहूर बिलकिस ईदी ने इस लड़की का नाम गीता रखा.
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