नई दिल्ली : भारत और दक्षिण और मध्य एशिया क्षेत्र में फेसबुक की सार्वजनिक नीति निदेशक आंखी दास ने फेसबुक से इस्तीफा दे दिया है. आंखी दास हाल ही में डेटा सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित मुद्दे पर एक संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश हुई थीं.
आंखी दास ने कथित तौर पर ऐसे फेसबुक अकाउंट्स को बंद करने से मना कर दिया था, जिसके माध्यम से भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी नेताओं की ओर से कठोर भाषा और नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट की जा रही थी. इन आरोपों के सामने आने के बाद आंखी दास विवादों में घिर गई थीं.
आंखी के इस्तीफे पर फेसबुक के प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने मंगलवार को एक बयान में कहा, 'सार्वजनिक सेवा में अपनी रुचि पर काम करने के लिए आंखी दास ने फेसबुक छोड़ने का फैसला लिया है. आंखी भारत में हमारे शुरुआती कर्मचारियों में से एक थीं और पिछले 9 वर्षों में उन्होंने फेसबुक और इसकी सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मोहन ने कहा, 'वह पिछले दो साल से मेरी टीम का हिस्सा थी. उन्हें जो भूमिका दी गयी थी, उन्होंने शानदार योगदान दिया. हम उनकी सेवा के आभारी हैं और उन्हें भविष्य के लिये शुभकामनाएं देते हैं.'
फेसबुक ने उनके इस्तीफे को विवादस्पद मामले से नहीं जोड़ा है. लेकिन कहा है कि कंपनी में मंगलवार उनका आखिरी दिन था.
गौरतलब है कि आंखी दास पर फेसबुक कर्मचारियों के इम्पलॉई ग्रुप में कई वर्षों तक भाजपा के समर्थन में पोस्ट करने के आरोप लगे हैं. उनके ऊपर कंपनी की उन नीतियों को लागू करने का विरोध करने का भी आरोप है, जिनके तहत भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी नेताओं के घृणा फैलाने वाले फेसबुक पोस्ट को ब्लॉक करने से इनकार कर दिया गया.
वहीं, दास ने कहा कि उन्होंने फेसबुक से इस्तीफा देने का निर्णय किया है ताकि जन सेवा में अपनी व्यक्तिगत रूचि के अनुसार काम कर सके.
हालांकि फेसबुक ने उनके इस्तीफे को विवादस्पद मामले से नहीं जोड़ा है. लेकिन कहा है कि कंपनी में मंगलवार उनका आखिरी दिन था.
दास को लेकर विवाद 15 अगस्त को वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ. रिपोर्ट में उन पर आरोप लगाया गया कि अंखी दास ने भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं के नफरत फैलाने वाली टिप्पणियों के खिलाफ कार्रवाई को बाधित किया.
रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के एक दिन पहले दास ने लिखा था, 'हमने उनके सोशल मीडिया अभियान की हवा निकाल दी और बाकी निश्चित रूप से इतिहास है.'
उन्होंने यह भी लिखा कि नरेंद्र मोदी मजबूत नेता हैं, जिन्होंने पूर्व सत्तारूढ़ दल के किले को ध्वस्त कर दिया.
वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अंखी दास ने 2012 के विधानसभा चुनावों के लिये भाजपा को सोशल मीडिया अभियान के लिये प्रशिक्षित किया.
प्रशिक्षण के बाद उन्होंने लिखा, 'हमारे गुजरात अभियान में सफलता.'
आंखी दास ने गंभीर आरोप लगने के लगभग ढाई महीने के बाद अपने पद से इस्तीफा दिया है. गौरतलब है कि 40 से अधिक मानवाधिकारों और इंटरनेट वॉचडॉग संगठनों ने भी आंखी दास को छुट्टी पर भेजने की मांग की थी. इस्तीफे की मांग करने वाले लोगों का कहना था कि जब तक कंपनी भारत में अपने संचालन का ऑडिट पूरा नहीं करा लेती, तब तक आंखी दास को फेसबुक की ओर से छुट्टी पर भेजा जाए.
दिल्ली और छत्तीसगढ़ पुलिस के पास आंखी दास के मामले
बता दें कि इससे पहले अगस्त महीने में आंखी दास ने ऑनलाइन धमकी मिलने के बाद साउथ दिल्ली पुलिस को इसकी शिकायत की थी. आंखी दास ने अपनी शिकायत में ट्विटर और फेसबुक हैंडल का भी जिक्र किया है, जिसके जरिए उनको धमकी दी गई है. इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस की साइबर सेल जांच कर रही है.
आंखी दास के खिलाफ रायपुर के कबीर नगर थाने में भी केस दर्ज हुआ है. FIR में अंखी दास के अलावा फेसबुक के दो यूजर्स के नाम भी शामिल हैं. तीनों पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगे हैं. कबीर नगर थाना में एफआईआर दर्ज किया गया है.
पढ़ें - फेसबुक अधिकारी अंखी दास समेत तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर
पुलिस के मुताबिक आवेश तिवारी जो कि पेशे से पत्रकार हैं. उनकी शिकायत पर कबीर नगर थाना में केस दर्ज किया गया है. एफआईआर में अंखी दास के अलावा छत्तीसगढ़ के मुंगेली के रहने वाले राम साहू और इंदौर के विवेक सिन्हा के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई है.
पढ़ें - फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर को मिल रहीं धमकियां
तीनों पर लोगों को भड़काने की कोशिश जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. तीनों के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने, डराने, धमकाने और मानहानि के आरोप लगाए गए हैं.