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NMC कानून भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र विकास लाएगा : स्वास्थ्य विशेषज्ञ - नेशनल मेडिकल काउंसिल कानून

भारत सरकार ने नेशनल मेडिकल काउंसिल कानून को अमलीजामा पहना दिया है. हालांकि इस कानून को लेकर बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन भी हुआ है. इसपर स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि एनएमसी भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र विकास लाएगा. कानून का उद्देश्य देश में मेडिकल कॉलेजों को विनियमित करने की प्रक्रिया में कमियों को दूर करना भी है. जानें विस्तार से...

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स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी
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Published : Jan 2, 2020, 9:34 PM IST

नई दिल्ली : नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) कानून पर स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र विकास लाएगा.

दरअसल एनएमसी कानून का लंबे विरोध के बाद केंद्र सरकार ने कानूनी जामा पहना दिया है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि एनएमसी कानून निश्चित रूप से भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा.

डॉ. ज्ञानी के अनुसार, 'सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी थी. यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक लंबे समय से प्रतीक्षित सुधार था. यह दिक्कत थी कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) भारत में चिकित्सीय शिक्षा, पेशे और संस्थानों के सभी पहलुओं को विकसित करने और नियामक के तौर पर आवश्यक सुधार लाने में सक्षम नहीं था.'

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस विधेयक को भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में सबसे बड़े सुधार के रूप में मानते हैं. इस विधेयक ने एमसीआई के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 में संशोधन किया है. इसका उद्देश्य देश में मेडिकल कॉलेजों को विनियमित करने की प्रक्रिया में कमियों को दूर करना भी है.

इसे भी पढ़ें- NMC बिल के विरोध में डॉक्टरों का हल्लाबोल! सफदरजंग अस्पताल में मरीज हो रहे परेशान

बकौल डॉ. ज्ञानी, 'अब मेडिकल कॉलेजों में 75 प्रतिशत सीटें सरकार के मेडिकल कॉलेजों की फीस संरचनाओं के आधार पर लागू होंगी. अब निजी खिलाड़ी प्रशासनिक कोटा वाली 25 प्रतिशत सीटों पर ही प्रभाव डाल सकते हैं.'

इस धारा को, जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने की अनुमति दी गई है. लेकर चल रहे विरोध का उल्लेख करते हुए डॉ. ज्ञानी ने कहा कि किसी भी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता डॉक्टरों और विशेषज्ञों के स्तर पर नहीं पहुंच सकते.

इसे भी पढ़ें- आधुनिक दवाओं के उपयोग से पहले सामुदायिक स्वास्थ्य सेवकों की विशेषज्ञ जांच : डॉ. हर्षवर्धन

ज्ञानी ने कहा, 'वे केवल डॉक्टरों की सेवा में सहायता करेंगे और यह आश्वासन हमें स्वास्थ्य मंत्री से भी मिला है.'

इस विधेयक में सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं (सीएचपी) को परिभाषित करने की भी योजना है. इनमें व्यक्तियों को मध्यम स्तर पर चिकित्सीय अभ्यास करने का लाइसेंस दिया जाएगा.

गौरतलब है कि संसद द्वारा विधेयक पारित किए जाने के बाद एनएमसी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सहमति मिलने से एक कानून बन गया.

नई दिल्ली : नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) कानून पर स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र विकास लाएगा.

दरअसल एनएमसी कानून का लंबे विरोध के बाद केंद्र सरकार ने कानूनी जामा पहना दिया है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि एनएमसी कानून निश्चित रूप से भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा.

डॉ. ज्ञानी के अनुसार, 'सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी थी. यह भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक लंबे समय से प्रतीक्षित सुधार था. यह दिक्कत थी कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) भारत में चिकित्सीय शिक्षा, पेशे और संस्थानों के सभी पहलुओं को विकसित करने और नियामक के तौर पर आवश्यक सुधार लाने में सक्षम नहीं था.'

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस विधेयक को भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में सबसे बड़े सुधार के रूप में मानते हैं. इस विधेयक ने एमसीआई के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 में संशोधन किया है. इसका उद्देश्य देश में मेडिकल कॉलेजों को विनियमित करने की प्रक्रिया में कमियों को दूर करना भी है.

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बकौल डॉ. ज्ञानी, 'अब मेडिकल कॉलेजों में 75 प्रतिशत सीटें सरकार के मेडिकल कॉलेजों की फीस संरचनाओं के आधार पर लागू होंगी. अब निजी खिलाड़ी प्रशासनिक कोटा वाली 25 प्रतिशत सीटों पर ही प्रभाव डाल सकते हैं.'

इस धारा को, जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने की अनुमति दी गई है. लेकर चल रहे विरोध का उल्लेख करते हुए डॉ. ज्ञानी ने कहा कि किसी भी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता डॉक्टरों और विशेषज्ञों के स्तर पर नहीं पहुंच सकते.

इसे भी पढ़ें- आधुनिक दवाओं के उपयोग से पहले सामुदायिक स्वास्थ्य सेवकों की विशेषज्ञ जांच : डॉ. हर्षवर्धन

ज्ञानी ने कहा, 'वे केवल डॉक्टरों की सेवा में सहायता करेंगे और यह आश्वासन हमें स्वास्थ्य मंत्री से भी मिला है.'

इस विधेयक में सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं (सीएचपी) को परिभाषित करने की भी योजना है. इनमें व्यक्तियों को मध्यम स्तर पर चिकित्सीय अभ्यास करने का लाइसेंस दिया जाएगा.

गौरतलब है कि संसद द्वारा विधेयक पारित किए जाने के बाद एनएमसी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सहमति मिलने से एक कानून बन गया.

Intro:New Delhi: Amid unabated protest against National Medical Council (NMC) Bill, now an Act, experts in the field of health domain said that NMC will bring an overall development of India's health sector.


Body:Talking to ETV Bharat, Dr Giridhar Gyani, an health expert and director general of Association of Healthcare Providers said that the National Medical Council will certainly bring a sea change in India's health sector.

"There was lack of specialist doctors in community health centres too. It was a long waited reform in India's health sector. It was found that the Medical Council of India (MCI) was not able to bring the required reforms to develop and regulate all aspects of medical education, profession and institutions in India," said Dr Gyani.

Health experts suggests this bill as a biggest reform in India's health sector. This Bill amended the Indian Medical Council Act 1956 in the wake of allegations of corruptions against MCI. It is also aimed in addressing the shortcomings in the process of regulating medical colleges in the country.

"Now 75 percent of the seats in medical colleges will now be governed based on the fees structures of the government medical colleges...whereas private players could make an impact only in 25 percent of seats with administrative quotas," said Gyani.


Conclusion:Referring to the protest over the clause where community health providers has been allowed to practice modern medicine, Dr Gyani said that at no stage the community health providers could match the doctors and experts.

"They will only assist the doctors in the service...and this assurance we have received from the health minister too," said Dr Gyani.

The bill also envisages defining community health providers (CHPs) as persons granted a licence to practice medicine at mid level.

Interestingly, the Indian Medical Association (IMA) has also been opposing the introduction of National Exit Test (NEXT) by scrapping the NEET-PG and regulation of fees by the NMC.

After the bill was passed by the Parliament, NMC got President Ram Nath Kovind's assent making it into an Act.

end.
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