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अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी से ईटीवी भारत की खास बातचीत - अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी

ईटीवी भारत ने अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी से बात की. एक विशेष साक्षात्कार में सोढ़ी ने विस्तार से बताया कि अमूल कोविड -19 संकट के खिलाफ लड़ने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है? उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे एफएमसीजी (तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएं) कंपनियों को इस संकट के समय में लड़ने की रणनीति बनानी चाहिए. पढ़ें यह खास इंटरव्यू...

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Published : Apr 25, 2020, 9:24 PM IST

Updated : Apr 25, 2020, 10:17 PM IST

नई दिल्ली : पूरा देश इस समय कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहा है. अलग-अलग संस्थाएं आम जनता को जरूरी सेवाएं मुहैया कराने की कोशिश कर रही हैं. इसी कड़ी में शामिल है गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) (संक्षेप में अमूल). ईटीवी भारत ने अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी से बात की. एक विशेष साक्षात्कार में सोढ़ी ने विस्तार से बताया कि अमूल कोविड -19 संकट के खिलाफ लड़ने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है? उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे एफएमसीजी (तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएं) कंपनियों को इस संकट के समय में लड़ने की रणनीति बनानी चाहिए. पढ़ें यह खास इंटरव्यू....

देखें खास इंटरव्यू

सवाल - कोरोना के बावजूद अमूल ने इस साल यानी वित्तीय वर्ष 2020 में काफी ग्रोथ किया है. आखिर आप किस तरह से इसका प्रबंधन कर रहे हैं.

जवाब - हमारा बिजनेस 36 लाख किसानों पर निर्भर है. उनसे हम दूध प्राप्त करते हैं. अभी कोरोना की वजह से छोटे वेंडर्स ने दूध लेना बंद कर दिया है. इसका मतलब है कि हम किसानों से पहले के मुकाबले 15 फीसदी अधिक दूध खरीद रहे हैं. शुरुआत में हमने कुछ समस्याओं का सामना किया था. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं. सबसे बड़ी बात है कि हमारा सप्लाई चेन प्रभावित नहीं हुआ है. हम उपभोक्ता तक लगातार पहुंच रहे हैं.

सवाल - कोविड के खिलाफ लड़ाई में कुछ दिशा निर्देश निर्धारित किए गए हैं. आप इसे कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं, खासकर संग्रहण और वितरण में.

जवाब - हम मार्च 2017 से ही कई दिशा निर्देशों का पालन करते आ रहे हैं. सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. तब 18500 गुजरात के केन्द्रों पर बड़े-बड़े बैनर लगवाए गए थे. इसमें सुरक्षा के निर्देश बड़े स्पष्ट तौर पर लिखे हुए थे. जहां से दूध का संग्रहण होता है, वहां पर गाइडलाइन का पालन करवाया जाता था. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तब भी होता था. हाथों को बार-बार धोने के लिए कहा जाता था. वो भी साबुन से. दूध के टैंकरों को सैनिटाइज किया जाता रहा है. ड्राइवर और साफ सफाई करने वालों को पीपीई पहनना अनिवार्य रहा है. हम जानते हैं कि सुरक्षा के कदम हमारे लिए कितना जरूरी है. खासकर क्योंकि यह खाद्य आइटम है. इसी तरह का पालन हम आज भी कर रहे हैं, बल्कि और अधिक सजगता और गंभीरता से कर रहे हैं.

सवाल - लॉकडाउन के दौरान अन्य संस्थाओं की तरह आपने भी लेबर की समस्याओं का सामना किया होगा. अमूल ने इससे कैसे निजात पाया. आपने कैसे इसे दूर किया.

जवाब - हां, गुजरात के अलावा हमने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में हमने लेबर की समस्याओं का सामना किया. हमें जितने लेबर की जरूरत होती है, उससे 30 फीसदी कम पर काम चला रहे हैं. हालांकि, धीरे-धीरे ये समस्या भी खत्म हो रही है. शुरुआत में हमने वेयर हाउस को लेकर भी कठिनाइयों का सामना किया था, उसे अब ठीक कर लिया गया है.

सवाल - क्या हाउसहोल्डिंग खरीदारी के पैटर्न में कोई बदलाव आया है? लोग घबराहट में जमाखोरी कर रहे हैं या सिर्फ वही खरीद रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है?

जवाब - हां, शुरुआती दिनों में दूध बिक्री को लेकर ग्राहकों के बीच घबराहट थी और इसी वजह से दूध और इसके उत्पादों की बिक्री 30% तक बढ़ गई थी. इसके बाद मिठाई की दुकाने और चाय की दुकानों के बंद होने से हमारी बिक्री में 15% की गिरावट आई. लेकिन आज दूध की बिक्री 7% नीचे है. हालांकि, घरेलू खपत बढ़ी है और घी, मक्खन, पनीर जैसे उत्पादों की भी मांग बढ़ी है. यहां तक कि आइसक्रीम की भी मांग बढ़ गई है लेकिन वितरण करना समस्या है.

सवाल - क्या आपने पहले कभी इस तरह की अभूतपूर्व स्थिति का सामना किया है या यह आपके लिए पहली चुनौती है?

जवाब - मैंने 80 के दशक में पूर्वी अहमदाबाद में कर्फ्यू देखा है. तब मिल्कवैन से हम कर्फ्यू वाले इलाकों में दूध पहुंचाते थे और मैं ट्रांसपोर्ट पास की व्यवस्था करता था. आज फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार पूरा देश तालाबंदी में है. दूध सभी के लिए जरूरी है. 25 मार्च को गृह मंत्रालय के विभिन्न मुख्य सचिवों ने हमसे कहा कि दूध की आपूर्ति में कोई कमी नहीं होनी चाहिए.

सवाल - क्या अमूल ने किसी ऑनलाइन डिस्ट्रीब्यूटर के साथ गठजोड़ किया है और क्या इससे आपकी कंपनी को फायदा हुआ है?

जवाब - अमूल की ऑनलाइन उपलब्ध है. शुरूआत में हमने देखा कि ऑनलाइन वितरण में गिरावट आई थी, लेकिन धीरे-धीरे इसने अपनी रफ्तार पकड़ ली. अब हमारी ऑनलाइन बिक्री पहले की तुलना में 35-40% अधिक है. सामान्य व्यापार हमारी बहुत मदद कर रहा है.

सवाल - क्या आपको लगता है महामारी का संकट अमूल को प्रभावित करेगा?

जवाब - हम मुख्य रूप से अपने मजदूरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. जहां तक दूध प्रसंस्करण, संग्रहण और वितरण का सवाल है, मुझे कोई समस्या नजर नहीं आती. हम प्रतिदिन किसानों को लगभग 120 करोड़ रुपये दे रहे हैं. राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दुग्ध संग्रह दोगुना हो गया है.

सवाल - हमने सुना है कि अमूल अब ऑनलाइन चालान प्रक्रिया में स्थानांतरित हो गया है. तकनीक ने आपको किस प्रकार मदद की है.

जवाब - प्रौद्योगिकी और इंटरनेट ने हमारी बहुत मदद की है. इससे केवल न्यूनतम लोगों को कार्यालय में आने की आवश्यकता है. घर से चालान भी किया जा रहा है. केवल मजदूर ही प्लांट और गोदामों में काम कर रहे हैं. हम दुनिया भर में किसी के साथ भी संवाद करने में सक्षम हैं. लेकिन पुराने दिनों में हमें स्वास्थ्य संबंधी खतरा नहीं था और हम लोगों को कार्यालय लाने में सक्षम थे.

सवाल - आपको क्या लगता है, लॉकडाउन खत्म होने के बाद एफएमजीसी के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां होंगी.

जवाब - उपभोक्ताओं ने पहले ही सब कुछ खरीदा हुआ है. लिहाजा, अब एफएमसीजी कंपनियां यह देखेंगी कि इस पाइपलाइन को कितनी तेजी से भरा जा सकता है. मुझे लगता है कि इस महामारी के बाद उपभोक्ता अधिक कीमत और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाएंगे. आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने के बाद निर्माताओं को यह देखना होगा कि किस प्रकार सभी को लूप में रखा जा सकता है. प्रत्येक कंपनी को मल्टी-टास्किंग, मल्टी-सेगमेंट और उत्पादन सुविधाओं को सीखना होगा. कंपनियों को भी कुशल नेताओं को खोजने की जरूरत है, जो इस संकट के समय उभर कर आ सके.

नई दिल्ली : पूरा देश इस समय कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहा है. अलग-अलग संस्थाएं आम जनता को जरूरी सेवाएं मुहैया कराने की कोशिश कर रही हैं. इसी कड़ी में शामिल है गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) (संक्षेप में अमूल). ईटीवी भारत ने अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी से बात की. एक विशेष साक्षात्कार में सोढ़ी ने विस्तार से बताया कि अमूल कोविड -19 संकट के खिलाफ लड़ने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है? उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे एफएमसीजी (तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएं) कंपनियों को इस संकट के समय में लड़ने की रणनीति बनानी चाहिए. पढ़ें यह खास इंटरव्यू....

देखें खास इंटरव्यू

सवाल - कोरोना के बावजूद अमूल ने इस साल यानी वित्तीय वर्ष 2020 में काफी ग्रोथ किया है. आखिर आप किस तरह से इसका प्रबंधन कर रहे हैं.

जवाब - हमारा बिजनेस 36 लाख किसानों पर निर्भर है. उनसे हम दूध प्राप्त करते हैं. अभी कोरोना की वजह से छोटे वेंडर्स ने दूध लेना बंद कर दिया है. इसका मतलब है कि हम किसानों से पहले के मुकाबले 15 फीसदी अधिक दूध खरीद रहे हैं. शुरुआत में हमने कुछ समस्याओं का सामना किया था. लेकिन अब धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं. सबसे बड़ी बात है कि हमारा सप्लाई चेन प्रभावित नहीं हुआ है. हम उपभोक्ता तक लगातार पहुंच रहे हैं.

सवाल - कोविड के खिलाफ लड़ाई में कुछ दिशा निर्देश निर्धारित किए गए हैं. आप इसे कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं, खासकर संग्रहण और वितरण में.

जवाब - हम मार्च 2017 से ही कई दिशा निर्देशों का पालन करते आ रहे हैं. सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. तब 18500 गुजरात के केन्द्रों पर बड़े-बड़े बैनर लगवाए गए थे. इसमें सुरक्षा के निर्देश बड़े स्पष्ट तौर पर लिखे हुए थे. जहां से दूध का संग्रहण होता है, वहां पर गाइडलाइन का पालन करवाया जाता था. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तब भी होता था. हाथों को बार-बार धोने के लिए कहा जाता था. वो भी साबुन से. दूध के टैंकरों को सैनिटाइज किया जाता रहा है. ड्राइवर और साफ सफाई करने वालों को पीपीई पहनना अनिवार्य रहा है. हम जानते हैं कि सुरक्षा के कदम हमारे लिए कितना जरूरी है. खासकर क्योंकि यह खाद्य आइटम है. इसी तरह का पालन हम आज भी कर रहे हैं, बल्कि और अधिक सजगता और गंभीरता से कर रहे हैं.

सवाल - लॉकडाउन के दौरान अन्य संस्थाओं की तरह आपने भी लेबर की समस्याओं का सामना किया होगा. अमूल ने इससे कैसे निजात पाया. आपने कैसे इसे दूर किया.

जवाब - हां, गुजरात के अलावा हमने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में हमने लेबर की समस्याओं का सामना किया. हमें जितने लेबर की जरूरत होती है, उससे 30 फीसदी कम पर काम चला रहे हैं. हालांकि, धीरे-धीरे ये समस्या भी खत्म हो रही है. शुरुआत में हमने वेयर हाउस को लेकर भी कठिनाइयों का सामना किया था, उसे अब ठीक कर लिया गया है.

सवाल - क्या हाउसहोल्डिंग खरीदारी के पैटर्न में कोई बदलाव आया है? लोग घबराहट में जमाखोरी कर रहे हैं या सिर्फ वही खरीद रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है?

जवाब - हां, शुरुआती दिनों में दूध बिक्री को लेकर ग्राहकों के बीच घबराहट थी और इसी वजह से दूध और इसके उत्पादों की बिक्री 30% तक बढ़ गई थी. इसके बाद मिठाई की दुकाने और चाय की दुकानों के बंद होने से हमारी बिक्री में 15% की गिरावट आई. लेकिन आज दूध की बिक्री 7% नीचे है. हालांकि, घरेलू खपत बढ़ी है और घी, मक्खन, पनीर जैसे उत्पादों की भी मांग बढ़ी है. यहां तक कि आइसक्रीम की भी मांग बढ़ गई है लेकिन वितरण करना समस्या है.

सवाल - क्या आपने पहले कभी इस तरह की अभूतपूर्व स्थिति का सामना किया है या यह आपके लिए पहली चुनौती है?

जवाब - मैंने 80 के दशक में पूर्वी अहमदाबाद में कर्फ्यू देखा है. तब मिल्कवैन से हम कर्फ्यू वाले इलाकों में दूध पहुंचाते थे और मैं ट्रांसपोर्ट पास की व्यवस्था करता था. आज फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार पूरा देश तालाबंदी में है. दूध सभी के लिए जरूरी है. 25 मार्च को गृह मंत्रालय के विभिन्न मुख्य सचिवों ने हमसे कहा कि दूध की आपूर्ति में कोई कमी नहीं होनी चाहिए.

सवाल - क्या अमूल ने किसी ऑनलाइन डिस्ट्रीब्यूटर के साथ गठजोड़ किया है और क्या इससे आपकी कंपनी को फायदा हुआ है?

जवाब - अमूल की ऑनलाइन उपलब्ध है. शुरूआत में हमने देखा कि ऑनलाइन वितरण में गिरावट आई थी, लेकिन धीरे-धीरे इसने अपनी रफ्तार पकड़ ली. अब हमारी ऑनलाइन बिक्री पहले की तुलना में 35-40% अधिक है. सामान्य व्यापार हमारी बहुत मदद कर रहा है.

सवाल - क्या आपको लगता है महामारी का संकट अमूल को प्रभावित करेगा?

जवाब - हम मुख्य रूप से अपने मजदूरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. जहां तक दूध प्रसंस्करण, संग्रहण और वितरण का सवाल है, मुझे कोई समस्या नजर नहीं आती. हम प्रतिदिन किसानों को लगभग 120 करोड़ रुपये दे रहे हैं. राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दुग्ध संग्रह दोगुना हो गया है.

सवाल - हमने सुना है कि अमूल अब ऑनलाइन चालान प्रक्रिया में स्थानांतरित हो गया है. तकनीक ने आपको किस प्रकार मदद की है.

जवाब - प्रौद्योगिकी और इंटरनेट ने हमारी बहुत मदद की है. इससे केवल न्यूनतम लोगों को कार्यालय में आने की आवश्यकता है. घर से चालान भी किया जा रहा है. केवल मजदूर ही प्लांट और गोदामों में काम कर रहे हैं. हम दुनिया भर में किसी के साथ भी संवाद करने में सक्षम हैं. लेकिन पुराने दिनों में हमें स्वास्थ्य संबंधी खतरा नहीं था और हम लोगों को कार्यालय लाने में सक्षम थे.

सवाल - आपको क्या लगता है, लॉकडाउन खत्म होने के बाद एफएमजीसी के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां होंगी.

जवाब - उपभोक्ताओं ने पहले ही सब कुछ खरीदा हुआ है. लिहाजा, अब एफएमसीजी कंपनियां यह देखेंगी कि इस पाइपलाइन को कितनी तेजी से भरा जा सकता है. मुझे लगता है कि इस महामारी के बाद उपभोक्ता अधिक कीमत और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाएंगे. आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने के बाद निर्माताओं को यह देखना होगा कि किस प्रकार सभी को लूप में रखा जा सकता है. प्रत्येक कंपनी को मल्टी-टास्किंग, मल्टी-सेगमेंट और उत्पादन सुविधाओं को सीखना होगा. कंपनियों को भी कुशल नेताओं को खोजने की जरूरत है, जो इस संकट के समय उभर कर आ सके.

Last Updated : Apr 25, 2020, 10:17 PM IST
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