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अफगानिस्तान में भारत का अहम योगदान, जर्मनी के विशेष दूत ने दी जानकारी - अंतःअफगानिस्तान वार्ता

जर्मनी के विशेष दूत इंट्रा-अफगानिस्तान वार्ता के बाद नई दिल्ली पहुंचे.उन्होंने कहा भारत का अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में अहम योगदान है. भारत, जर्मनी और यूरोपीय संघ का अफगानिस्तान को लेकर एक ही ध्येय है. पढ़ें पूरी खबर...

जर्मनी के विषेश दूत मार्कस पोटजेल
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Published : Jul 19, 2019, 11:11 PM IST

Updated : Jul 20, 2019, 12:12 AM IST

नई दिल्लीः जर्मनी के विशेष दूत मार्कस पोटजेल नई दिल्ली में हैं. बीते 7-8 जुलाई को दोहा में हुए इंट्रा-अफगान वार्ता के बाद भारत पहुंचे पोटजेल भारतीय वार्ताकारों को अफगानिस्तान में हुए शांति समझौते के बारे में बताएंगे.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मार्कस पोटजेल ने बताया कि भारत का अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में अहम योगदान है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का भी बहुत कुछ दांव पर लगा है.

पोटजेल ने कहा, 'मैं इंट्रा-अफगान वार्ता जो जर्मनी और कतर ने कराई है उसके बारे में भारतीय अधिकारियों को जानकारी दूंगा. हम यहां से आगे बढ़ने के नए रास्ते भी खोजना चाहते हैं.'

जानकारी देते जर्मनी के विशेष दूत मार्कस पोटजेल

पोटजेल ने कहा कि भारत, जर्मनी और यूरोपीय संघ का क्या योगदान होगा, इसके अलावा कैसे हम सब मिलकर इंट्रा-अफगान वार्ता को अफगान सरकार और तालिबान के बीच औपचारिक समझौते में बदल सकते हैं, जैसे सवालों पर भी विचार किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि वार्ता में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों का पहली बार एक मेज पर बैठना, उनकी उम्मीदों से परे था.

पढ़ें-भारत ने की इराक हमले की निंदा, तुर्की राजनयिक की हुई थी इसमें मौत

बता दें कि इससे पहले गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भी अफगान शांति प्रक्रिया पर जानकारी दी थी. उन्होंने इसे भारत के लिए भी काफी अहम करार दिया.
भारत का रुख साफ करते हुए रवीश ने कहा कि, 'हमारा मानना है कि, सभी पहलों और प्रक्रियाओं में अफगान समज के सभी वर्गों के साथ वैध रूप से चुनी गई सरकार का होना जरूरी है, प्रक्रियाओं को संवैधानिक परंपरा और राजनैतिक शासनादेश का सम्मान करना होगा, जिससे किसी भी आतंकी या उसके संगठन को पनपने का मौका न मिले.

नई दिल्लीः जर्मनी के विशेष दूत मार्कस पोटजेल नई दिल्ली में हैं. बीते 7-8 जुलाई को दोहा में हुए इंट्रा-अफगान वार्ता के बाद भारत पहुंचे पोटजेल भारतीय वार्ताकारों को अफगानिस्तान में हुए शांति समझौते के बारे में बताएंगे.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मार्कस पोटजेल ने बताया कि भारत का अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में अहम योगदान है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत का भी बहुत कुछ दांव पर लगा है.

पोटजेल ने कहा, 'मैं इंट्रा-अफगान वार्ता जो जर्मनी और कतर ने कराई है उसके बारे में भारतीय अधिकारियों को जानकारी दूंगा. हम यहां से आगे बढ़ने के नए रास्ते भी खोजना चाहते हैं.'

जानकारी देते जर्मनी के विशेष दूत मार्कस पोटजेल

पोटजेल ने कहा कि भारत, जर्मनी और यूरोपीय संघ का क्या योगदान होगा, इसके अलावा कैसे हम सब मिलकर इंट्रा-अफगान वार्ता को अफगान सरकार और तालिबान के बीच औपचारिक समझौते में बदल सकते हैं, जैसे सवालों पर भी विचार किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि वार्ता में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों का पहली बार एक मेज पर बैठना, उनकी उम्मीदों से परे था.

पढ़ें-भारत ने की इराक हमले की निंदा, तुर्की राजनयिक की हुई थी इसमें मौत

बता दें कि इससे पहले गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भी अफगान शांति प्रक्रिया पर जानकारी दी थी. उन्होंने इसे भारत के लिए भी काफी अहम करार दिया.
भारत का रुख साफ करते हुए रवीश ने कहा कि, 'हमारा मानना है कि, सभी पहलों और प्रक्रियाओं में अफगान समज के सभी वर्गों के साथ वैध रूप से चुनी गई सरकार का होना जरूरी है, प्रक्रियाओं को संवैधानिक परंपरा और राजनैतिक शासनादेश का सम्मान करना होगा, जिससे किसी भी आतंकी या उसके संगठन को पनपने का मौका न मिले.

Intro:After facilitating the first intra-Afghan dialogue in Doha on July 7-8, Germany's special envoy Markus Potzel is in New Delhi to brief Indian interlocutors about the peace negotiations there.


Body:The German envoy on Afghanistan while talking exclusively to ETV Bharat claimed that India has a major role to play in Afghanistan peace process as it too have a lot stakes involved.

Potzel Markus said, 'India is a major Global player you have given more than $2 bn aid to Afghan people for the last 17 to 18 years. India, Germany and EU have almost similar interest. We also want this to be a Afghan led peace process. We also want rights to maintained including rights of minorities, human rights and rights of women. We want state institutions and constitution to be in place. We want elections to happen in Afghanistan. These are the same interests we share with India.'

Regarding the purpose of his visit, the German envoy Potzel Markus said, 'will brief Indian officials about the intra-Afghan dialogue in Doha which was facilitated by Germany and Qatar. We would also like to explore ways to proceed from here. What role India, Germany and EU can play? How we can join forces to actually transfer intra-Afghan dialogues into formal negotiations between Afghan government and Taliban.'





Conclusion:On Thursday, during its weekly press briefing the MEA spokesperson Raveesh Kumar claimed that Afghanistan peace process upholds a lot significance for India as well.

Reiterating India's stand, he said, 'we believe that all initiatives and processes must include all sections of the Afghan society including legitimately elected government. Any process should respect the constitutional Legacy and political mandate and should not lead to any ungoverned spaces where terrorist and their proxies can relocate.'

German envoy on Afghanistan asserted that the intra-Afghan dialogue, where representatives from Afghanistan government and Taliban sat at one table for the first time went beyond his expectations.

Last Updated : Jul 20, 2019, 12:12 AM IST
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