चेन्नई : उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं भारतीय विधि आयोग के पूर्व प्रमुख न्यायमूर्ति एआर लक्ष्मणन का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. उन्होंने 78 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. न्यायमूर्ति लक्ष्मणन के निधन से दो दिन पहले ही उनकी पत्नी मीनाक्षी आची का 24 अगस्त को निधन हो गया था.
परिजनों ने गुरुवार को बताया कि बुधवार रात साढ़े 11 बजे तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया. उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं.
न्यायमूर्ति लक्ष्मणन के बेटे एवं वरिष्ठ अधिवक्ता एआरएल सुरंदरेसन ने कहा, 'बुधवार सुबह 11 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें कराईकुडी के एक अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत स्थिर की गई और फिर उन्हें तिरुचिरपल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सीय प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उनका निधन हो गया.'
न्यायमूर्ति एआर लक्ष्मणन मुल्लापेरियार बांध पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकार प्राप्त समिति में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य थे.
तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के देवाकोट्टई के रहने वाले न्ययामूर्ति लक्ष्मणन का जन्म 22 मार्च, 1942 में हुआ था और वह मद्रास लॉ कॉलेज से स्नातक थे और 1968 में उनका अधिवक्ता के तौर पर नामांकन हुआ था.
यह भी पढ़ें- उच्चतम न्यायालय ने मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग को किया खारिज
उन्होंने तमिलनाडु सरकार की तरफ से सरकारी अभियोजक के तौर पर सेवा दी और बैंकों के स्थाई वकील भी रहे जिसके बाद उन्हें 14 जून, 1990 को मद्रास हाईकोर्ट का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया.
उन्होंने केरल हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और राजस्थान हाईकोर्ट तथा आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भी सेवा दी. उन्हें 20 दिसंबर, 2002 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वह 22 मार्च, 2007 को सेवानिवृत्त हुए.
सेवानिवृत्ति के बाद वह विधि आयोग (18वें विधि आयोग) के प्रमुख रहे.