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सुशांत को न्याय मिला तो और कलाकारों को बचाया जा सकेगा : सपना चौधरी

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Published : Jul 2, 2020, 6:47 PM IST

Updated : Jul 2, 2020, 8:17 PM IST

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था. इस दौरान बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारे घरों में कैद हो गए थे और अपने परिवार के साथ वक्त गुजार रहे थे. हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी भी इस लॉकडाउन में अपने घरवालों के साथ ही थी. इस पूरे दौर में उन्होंने क्या-क्या किया? और उनकी करियर को लेकर क्या योजनाएं हैं. ऐसे ही कई सवालों के जवाब सपना चौधरी ने ईटीवी भारत के स्पेशल प्रोग्राम 'डिजिटल चेट' के दौरान दिए. आइए जानते हैं इस दौरान उन्होंने क्या कुछ कहा...

etv bharat talks with dancer sapna choudhary
सपना चौधरी से खास बातचीत

हैदराबाद/चंडीगढ़ : देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था. भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब फिल्मों की शूटिंग से लेकर रिलीज तक, हर किसी चीज पर रोक लगा दी गई थी. बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारे घरों में कैद हो गए थे और अपने परिवार के साथ वक्त गुजार रहे थे. हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी भी इस लॉकडाउन में अपने घरवालों के साथ ही थी. इस पूरे दौर में उन्होंने क्या-क्या किया? और उनकी करियर को लेकर क्या योजनाएं हैं. ऐसे ही कई सवालों के जवाब सपना चौधरी ने ईटीवी भारत के स्पेशल प्रोग्राम 'डिजिटल चेट' के दौरान दिए.

सवाल : कोरोना और लॉकडाउन में आपने अपना वक्त कैसे गुजारा? इस दौरान आप लोगों से कैसे जुड़ीं?

जवाब : पहले कलाकारों के पास फैंस से जुड़ने के लिए प्लेटफॉर्म नहीं होता था, लेकिन हमारे पास कई प्लेटफॉर्म्स हैं. हम इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्वीटर के जरिए अपने फैंस और चाहने वालों से जुड़ सकते हैं तो इसलिए इतनी मुश्किल नहीं आती है. ऑनलाइन कॉन्सर्ट भी किए, लेकिन वीक कनेक्शन की वजह से लोगों की गालियां भी सुनी है. मैं ऐसी पहली भारतीय महिला हूं जिसने ऑनलाइन कॉन्सर्ट किया है. इसके बाद काफी लोगों ने ये पहल की ऐसा कॉन्सर्ट्स करने की.

हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी से खास बातचीत

सवाल : दिल्ली के महिपालपुर से निकलकर माया नगरी मुंबई तक का सफर कैसा रहा? अपने संघर्ष की कहानी अपने फैंस को बताएं ताकि वो भी इससे प्रेरणा ले सकें.

जवाब : मेहनत हर काम के पीछे होती है. मेरा मानना है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप काम छोटा कर रहे हैं या बड़ा. फर्क इस बात से पड़ता है कि आप अपने काम को कितनी लगन से कर रहे हैं. मेरी कभी मशहूर होने की चाह नहीं थी. मैं सिर्फ सुबह से शाम तक काम करती थी ताकि पैसे मिल सके और घर की मदद हो पाए. हां ये जरूर है कि उस पैसे के साथ मैने हमेशा अपने काम को पूरी शिद्दत से किया है. मैं जब भी स्टेज पर गई तो मैने ये सोचा कि कि ये मेरा आखिरी शो है. बस यही है इसके बाद कुछ नहीं है. जब आप ये सोचकर काम करते हो तो आपके अंदर एक नई ऊर्जा आ जाती है और वो काम अपने आप अच्छा हो जाता है.

सवाल : जब आपने अपना पहला शो किया था तो उस वक्त आपको कितने पैसे मिले थे?

जवाब : मुझे मेरे पहले शो के लिए 1500 रुपये मिले थे. ये 2009 के अंत की बात है. 2008 में मेरे पिता की मौत के बाद मैने दिसंबर 2009 में पहला शो किया था.

सवाल : पहली सैलरी का आपने क्या किया था?

जवाब : मैने वो पैसे किसी को नहीं दिए. ये मेरी आदत नहीं थी कि जाकर पहली सैलरी किसी को दे दूं. पहली सैलरी आई तो हम सब ने कुछ खा लिया था. उस वक्त मेरे लिए 100-100 रुपये की कीमत होती थी, तब में शॉपिंग करने नजफगढ़ पैदल जाया करती थी ताकि 25 रुपये बच सके.

सवाल : आपके लिए हरियाणा जैसे प्रदेश से उठकर आगे आना कितना मुश्किल था? जहां आज भी ज्यादतर महिलाएं पर्दा करती हैं ?

जवाब : जब हमने शुरुआत की थी उस वक्त पूरे नॉर्थ इंडिया में महिलाएं शो देखने नहीं आया करती थी. सिर्फ पुरुष आया करते थे वो भी ये सोचकर कि ये अलग तरीके का शो है. तब हर चीज शो की फीमेल लीड को देखनी होती थी. वो डांस भी करेगी, गाएगी भी और फिर बाद में गालियां भी सुनेगी. वो चीज हमे हैंडल करनी पड़ती थी. तब हमे इसे भी पॉजिटिव वे में लेना पड़ता था कि चलिए छोड़िए ये हमारा ही काम है. आज ऐसा नहीं है. आज काफी बदलाव आया है. आज शो में बच्चे भी आते हैं. बूढ़े और महिलाएं भी आती हैं.

सवाल : हरियाणा में रागिनी एक मशहूर डांस फॉर्म है, जिसको हम अकसर सामाजिक कार्यक्रमों में देखते हैं, लेकिन आप जो गाती हैं और दिखाती हैं, उसको हम किस रूप में देखें, महज मनोरंजन या इसे कुछ और नाम दें?

जवाब : आप इसे रागिनी ही कहें. रागिनी हरियाणा की पहचान है जो हमेशा सदाबहार है. इसे आप कभी भी उठा कर देखें ये हमेशा आपको वैसे ही मिलेगी. कोई इंसान चाहे कितना बड़ा क्यों ना बन जाए. वो चाहे कितने भी घर क्यों बना ले, लेकिन उसके दिमाग से देसीपन कभी खत्म नहीं हो सकता. जो खुशी आपको ऑटो में सफर करने पर मिलती है वो आपको किसी भी महंगी गाड़ी में सफर के दौरान नहीं मिल सकती.

सवाल : सपना आगे बढ़ रही है उसे रोको. आपको कभी इस तरह के लोग मिले?

जवाब : मेरी मदद किसी ने कभी नहीं की. आज भी मेरी कोई मदद नहीं करता. हां मेरी मदद हमेशा मेरी पब्लिक ने की है. चार लोग आपको गलत रास्ता ही दिखाते हैं. मेरे ख्याल से आपको रास्ता कोई नहीं दिखाता है आपको खुद रास्ता बनाना पड़ता है.

सवाल : पिछले दिनों हमने देखा कि किस तरह से सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी जिंदगी समाप्त कर ली. आपको भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा?

जवाब : सुसाइड वाली जर्नी से मैं खुद निकलकर आई हूं. फर्क बस इतना है कि भगवान शायद चाहते नहीं थे उस वक्त कि मैं उनके पास आऊं, लेकिन ये फिलहाल सबसे कमजोर कदम हैं. आप सुसाइड तब करने की सोचते हो जब आपके पास कोई रास्ता नहीं बचता है. सुशांत की मौत के बाद मैंने रास्तों को अलग-अलग करके देखा है. सुशांत ने जैसे जिंदगी को जिया है मैने भी उसे वैसे ही जिया है. ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड के सिर्फ एक या दो रंग हैं. बॉलीवुड के बहुत से रंग हैं. सुशांत सिंह राजपूत के केस की सिर्फ इसलिए चर्चा हो रही है क्योंकि वो मशहूर थे, नहीं तो मुंबई में हर रोज सैंकड़ों आर्टिस्ट हैं जो सुसाइड करते हैं.

हां, मैं ये जरूर कह सकती हूं कि अगर सुशांत को इंसाफ मिलता है तो ये एक अच्छी पहल हो सकती है उन कलाकारों को बचाने के लिए जो हर रोज आत्महत्या करते हैं, लेकिन ये भी दो-चार दिन के चोचले होते हैं. ये मामला भी थोड़े दिन और चलेगा. फिर सब दोबारा से शांत बैठ जाएंगे. जब इंसान चला जाता है तो उसके पीछे सिर्फ बातें रह जाती हैं. इंसान के जाने के बाद हम कुछ भी बहस कर सकते हैं. कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन ये एक चीज महसूस नहीं कर सकते ही जब उन्होंने ये कड़ा कदम उठाया तो उनके दिल में क्या चल रहा था. जब सुशांत को सपोर्ट की जरूरत थी तब क्यों नहीं सपोर्ट मिला. अब उनके जाने के बाद बहस करते क्या मिल जाएगा.

सुशांत के बाद अब जाकर लोगों ने कंगना रनौत को भी सुनना शुरू किया है. वरना पहले उन्हें भी साइको और ना जाने क्या-क्या कहा जाता था, क्योंकि ये होता ही है. ये हमारा समाज ही ऐसा है. यहां चढ़ते हुए को सलाम और उतरते हुए को गालियां ही दी जाती हैं तो इस चीज से आप बच नहीं सकते हैं, इसलिए हमें इस वक्त सुशांत के बारे में कोई अफवाह नहीं फैलानी चाहिए, क्योंकि जब उनके पिता और बहनें वो सब सुनती होंगी तो उनपर क्या बीतती होती ये हम सोच भी नहीं सकते हैं.

सवाल : इस फील्ड में आने वाले नए लोगों को आप क्या बोलना चाहेंगी?

जवाब : ये लाइन ऐसी है जहां फुल स्टॉप नहीं है. ये लाइन ऐसी है जहां आप सिर्फ चल सकते हो. आपको कभी उम्मीद नहीं होनी चाहिए. मैं बिना उम्मीद के यहां तक आई हूं. आप कभी इस लाइन से कुछ नहीं मांग सकते हो, क्योंकि आपको नहीं पता कि आपको कब आपका क्रेडिट मिलेगा.

सवाल : आज लोग वेब सीरीज को काफी पंसद कर रहे हैं. आपकी क्या प्लानिंग है?

जवाब : मुझे बहुत सी फिल्मों के ऑफर आते हैं. अच्छी भी और बेकार भी, लेकिन जबतक कोई अच्छी स्क्रीप नहीं मिल जाती तबतक मैं कोई फिल्म नहीं कर सकती. मुझे अपने स्टेज से वरना बहुत प्यार है. वरना लालच करना भी बुरा होता है.

सवाल : स्वदेशी को लेकर आपके क्या विचार है? टिक टॉक को भी बंद कर दिया गया है, आप क्या सोचना है?

जवाब : सरकार ने जो ये फैसला लिया है मैं उनके साथ हूं. पहले तो लोग कहते हैं कि सरकार कुछ करती नहीं है और जब टिक टॉक बैन हो जाता है तो फिर बैठकर रोते हैं. फैंस कहीं नहीं जाते टिक टॉक नहीं तो कहीं और ही सही, लेकिन इस फैसले में हम सभी को सरकार का साथ देना चाहिए.

सवाल : कोरोना को लेकर लोगों से क्या अपील करेंगी ?

जवाब : कोरोना वायरस को कभी मजाक में मत लें. मास्क पहनकर निकले और जबतक जरूरी नहीं हो तो घर से ना निकलें. मैं भी घर से बाहर नहीं निकल रही हूं. सभी को मिलकर कोरोना से लड़ना हैं.

हैदराबाद/चंडीगढ़ : देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था. भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब फिल्मों की शूटिंग से लेकर रिलीज तक, हर किसी चीज पर रोक लगा दी गई थी. बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारे घरों में कैद हो गए थे और अपने परिवार के साथ वक्त गुजार रहे थे. हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी भी इस लॉकडाउन में अपने घरवालों के साथ ही थी. इस पूरे दौर में उन्होंने क्या-क्या किया? और उनकी करियर को लेकर क्या योजनाएं हैं. ऐसे ही कई सवालों के जवाब सपना चौधरी ने ईटीवी भारत के स्पेशल प्रोग्राम 'डिजिटल चेट' के दौरान दिए.

सवाल : कोरोना और लॉकडाउन में आपने अपना वक्त कैसे गुजारा? इस दौरान आप लोगों से कैसे जुड़ीं?

जवाब : पहले कलाकारों के पास फैंस से जुड़ने के लिए प्लेटफॉर्म नहीं होता था, लेकिन हमारे पास कई प्लेटफॉर्म्स हैं. हम इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्वीटर के जरिए अपने फैंस और चाहने वालों से जुड़ सकते हैं तो इसलिए इतनी मुश्किल नहीं आती है. ऑनलाइन कॉन्सर्ट भी किए, लेकिन वीक कनेक्शन की वजह से लोगों की गालियां भी सुनी है. मैं ऐसी पहली भारतीय महिला हूं जिसने ऑनलाइन कॉन्सर्ट किया है. इसके बाद काफी लोगों ने ये पहल की ऐसा कॉन्सर्ट्स करने की.

हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी से खास बातचीत

सवाल : दिल्ली के महिपालपुर से निकलकर माया नगरी मुंबई तक का सफर कैसा रहा? अपने संघर्ष की कहानी अपने फैंस को बताएं ताकि वो भी इससे प्रेरणा ले सकें.

जवाब : मेहनत हर काम के पीछे होती है. मेरा मानना है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप काम छोटा कर रहे हैं या बड़ा. फर्क इस बात से पड़ता है कि आप अपने काम को कितनी लगन से कर रहे हैं. मेरी कभी मशहूर होने की चाह नहीं थी. मैं सिर्फ सुबह से शाम तक काम करती थी ताकि पैसे मिल सके और घर की मदद हो पाए. हां ये जरूर है कि उस पैसे के साथ मैने हमेशा अपने काम को पूरी शिद्दत से किया है. मैं जब भी स्टेज पर गई तो मैने ये सोचा कि कि ये मेरा आखिरी शो है. बस यही है इसके बाद कुछ नहीं है. जब आप ये सोचकर काम करते हो तो आपके अंदर एक नई ऊर्जा आ जाती है और वो काम अपने आप अच्छा हो जाता है.

सवाल : जब आपने अपना पहला शो किया था तो उस वक्त आपको कितने पैसे मिले थे?

जवाब : मुझे मेरे पहले शो के लिए 1500 रुपये मिले थे. ये 2009 के अंत की बात है. 2008 में मेरे पिता की मौत के बाद मैने दिसंबर 2009 में पहला शो किया था.

सवाल : पहली सैलरी का आपने क्या किया था?

जवाब : मैने वो पैसे किसी को नहीं दिए. ये मेरी आदत नहीं थी कि जाकर पहली सैलरी किसी को दे दूं. पहली सैलरी आई तो हम सब ने कुछ खा लिया था. उस वक्त मेरे लिए 100-100 रुपये की कीमत होती थी, तब में शॉपिंग करने नजफगढ़ पैदल जाया करती थी ताकि 25 रुपये बच सके.

सवाल : आपके लिए हरियाणा जैसे प्रदेश से उठकर आगे आना कितना मुश्किल था? जहां आज भी ज्यादतर महिलाएं पर्दा करती हैं ?

जवाब : जब हमने शुरुआत की थी उस वक्त पूरे नॉर्थ इंडिया में महिलाएं शो देखने नहीं आया करती थी. सिर्फ पुरुष आया करते थे वो भी ये सोचकर कि ये अलग तरीके का शो है. तब हर चीज शो की फीमेल लीड को देखनी होती थी. वो डांस भी करेगी, गाएगी भी और फिर बाद में गालियां भी सुनेगी. वो चीज हमे हैंडल करनी पड़ती थी. तब हमे इसे भी पॉजिटिव वे में लेना पड़ता था कि चलिए छोड़िए ये हमारा ही काम है. आज ऐसा नहीं है. आज काफी बदलाव आया है. आज शो में बच्चे भी आते हैं. बूढ़े और महिलाएं भी आती हैं.

सवाल : हरियाणा में रागिनी एक मशहूर डांस फॉर्म है, जिसको हम अकसर सामाजिक कार्यक्रमों में देखते हैं, लेकिन आप जो गाती हैं और दिखाती हैं, उसको हम किस रूप में देखें, महज मनोरंजन या इसे कुछ और नाम दें?

जवाब : आप इसे रागिनी ही कहें. रागिनी हरियाणा की पहचान है जो हमेशा सदाबहार है. इसे आप कभी भी उठा कर देखें ये हमेशा आपको वैसे ही मिलेगी. कोई इंसान चाहे कितना बड़ा क्यों ना बन जाए. वो चाहे कितने भी घर क्यों बना ले, लेकिन उसके दिमाग से देसीपन कभी खत्म नहीं हो सकता. जो खुशी आपको ऑटो में सफर करने पर मिलती है वो आपको किसी भी महंगी गाड़ी में सफर के दौरान नहीं मिल सकती.

सवाल : सपना आगे बढ़ रही है उसे रोको. आपको कभी इस तरह के लोग मिले?

जवाब : मेरी मदद किसी ने कभी नहीं की. आज भी मेरी कोई मदद नहीं करता. हां मेरी मदद हमेशा मेरी पब्लिक ने की है. चार लोग आपको गलत रास्ता ही दिखाते हैं. मेरे ख्याल से आपको रास्ता कोई नहीं दिखाता है आपको खुद रास्ता बनाना पड़ता है.

सवाल : पिछले दिनों हमने देखा कि किस तरह से सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी जिंदगी समाप्त कर ली. आपको भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा?

जवाब : सुसाइड वाली जर्नी से मैं खुद निकलकर आई हूं. फर्क बस इतना है कि भगवान शायद चाहते नहीं थे उस वक्त कि मैं उनके पास आऊं, लेकिन ये फिलहाल सबसे कमजोर कदम हैं. आप सुसाइड तब करने की सोचते हो जब आपके पास कोई रास्ता नहीं बचता है. सुशांत की मौत के बाद मैंने रास्तों को अलग-अलग करके देखा है. सुशांत ने जैसे जिंदगी को जिया है मैने भी उसे वैसे ही जिया है. ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड के सिर्फ एक या दो रंग हैं. बॉलीवुड के बहुत से रंग हैं. सुशांत सिंह राजपूत के केस की सिर्फ इसलिए चर्चा हो रही है क्योंकि वो मशहूर थे, नहीं तो मुंबई में हर रोज सैंकड़ों आर्टिस्ट हैं जो सुसाइड करते हैं.

हां, मैं ये जरूर कह सकती हूं कि अगर सुशांत को इंसाफ मिलता है तो ये एक अच्छी पहल हो सकती है उन कलाकारों को बचाने के लिए जो हर रोज आत्महत्या करते हैं, लेकिन ये भी दो-चार दिन के चोचले होते हैं. ये मामला भी थोड़े दिन और चलेगा. फिर सब दोबारा से शांत बैठ जाएंगे. जब इंसान चला जाता है तो उसके पीछे सिर्फ बातें रह जाती हैं. इंसान के जाने के बाद हम कुछ भी बहस कर सकते हैं. कुछ भी बोल सकते हैं, लेकिन ये एक चीज महसूस नहीं कर सकते ही जब उन्होंने ये कड़ा कदम उठाया तो उनके दिल में क्या चल रहा था. जब सुशांत को सपोर्ट की जरूरत थी तब क्यों नहीं सपोर्ट मिला. अब उनके जाने के बाद बहस करते क्या मिल जाएगा.

सुशांत के बाद अब जाकर लोगों ने कंगना रनौत को भी सुनना शुरू किया है. वरना पहले उन्हें भी साइको और ना जाने क्या-क्या कहा जाता था, क्योंकि ये होता ही है. ये हमारा समाज ही ऐसा है. यहां चढ़ते हुए को सलाम और उतरते हुए को गालियां ही दी जाती हैं तो इस चीज से आप बच नहीं सकते हैं, इसलिए हमें इस वक्त सुशांत के बारे में कोई अफवाह नहीं फैलानी चाहिए, क्योंकि जब उनके पिता और बहनें वो सब सुनती होंगी तो उनपर क्या बीतती होती ये हम सोच भी नहीं सकते हैं.

सवाल : इस फील्ड में आने वाले नए लोगों को आप क्या बोलना चाहेंगी?

जवाब : ये लाइन ऐसी है जहां फुल स्टॉप नहीं है. ये लाइन ऐसी है जहां आप सिर्फ चल सकते हो. आपको कभी उम्मीद नहीं होनी चाहिए. मैं बिना उम्मीद के यहां तक आई हूं. आप कभी इस लाइन से कुछ नहीं मांग सकते हो, क्योंकि आपको नहीं पता कि आपको कब आपका क्रेडिट मिलेगा.

सवाल : आज लोग वेब सीरीज को काफी पंसद कर रहे हैं. आपकी क्या प्लानिंग है?

जवाब : मुझे बहुत सी फिल्मों के ऑफर आते हैं. अच्छी भी और बेकार भी, लेकिन जबतक कोई अच्छी स्क्रीप नहीं मिल जाती तबतक मैं कोई फिल्म नहीं कर सकती. मुझे अपने स्टेज से वरना बहुत प्यार है. वरना लालच करना भी बुरा होता है.

सवाल : स्वदेशी को लेकर आपके क्या विचार है? टिक टॉक को भी बंद कर दिया गया है, आप क्या सोचना है?

जवाब : सरकार ने जो ये फैसला लिया है मैं उनके साथ हूं. पहले तो लोग कहते हैं कि सरकार कुछ करती नहीं है और जब टिक टॉक बैन हो जाता है तो फिर बैठकर रोते हैं. फैंस कहीं नहीं जाते टिक टॉक नहीं तो कहीं और ही सही, लेकिन इस फैसले में हम सभी को सरकार का साथ देना चाहिए.

सवाल : कोरोना को लेकर लोगों से क्या अपील करेंगी ?

जवाब : कोरोना वायरस को कभी मजाक में मत लें. मास्क पहनकर निकले और जबतक जरूरी नहीं हो तो घर से ना निकलें. मैं भी घर से बाहर नहीं निकल रही हूं. सभी को मिलकर कोरोना से लड़ना हैं.

Last Updated : Jul 2, 2020, 8:17 PM IST
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