बेंगलुरुः कर्नाटक के शिमोगा जिले के पर्यावरणविद् बी वेंकटगिरी वर्ष की उम्र में 500 बहुत ही दुर्लभ हर्बल पौधों का संरक्षण कर रहे हैं सिर्फ इतना ही नहीं उनके घर में 1500 किस्म में बीज भी हैं.
सच है अगर आप में कुछ करने का जज्बा है तो उम्र की बेड़िया भी नहीं रोक पाती है. इस बात को 73 वर्षीय बी वेंकटगिरी ने सच साबित कर दिखाया है. वेंकटगिरी ने इतनी उम्र में 1500 किस्म में दुर्लभ बीज भी है.
बी वेंकटगिरी ने व्यापक उद्यान का निर्माण करके पर्यावरण के प्रति समर्पण का उदाहरण पेश किया है. इसके साथ ही यह पर्यावरणविद् पूरे कर्नाटक में हर्बल पौधों के बारे में शिक्षा देने के लिए सफर करता है. इसके अलावा इनके घर पर पर्यावरण से जुड़े प्रोफेसर, लेक्चरर, और छात्र और अन्य लोग इन हर्बल पौधों के बारे में शिक्षा लेन के लिए आते है.
उन्होंने कहा, 'मैनें इन दुर्लभ पौधों का संरक्षण इसलिए किया है, क्योंकि मैं इस ज्ञान को आने वाली पीढ़ियों तक हस्तांतरित करना चाहता था.'
उन्होंने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ऑफिस और आयुर्वेदिक कॉलेज के लिए कई हर्बल गार्डन भी बनाए हैं.
उन्होंने बताया कि वो पश्चिमी घाटों के जैव जीवन पर कई सालों से रिसर्च कर रहे हैं. साथ ही कहा कि वे अपने घर में पौधों की विलुप्त हो चुकी प्रजातियों के पौधों को इकट्ठा करने में हमेशा लगे रहते हैं.
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बी वेंकटगिरी ने बताया कि वे इन सभी दुर्लभ प्रजातियों के पौधों को अपने घर में उगाने की कोशिश में लगे रहते हैं और इन पौधों को उगाने के लिए पारंपरिक तरीका अपनाते हैं. इतना ही नहीं धर्म ग्रंथों में बताए गए कई पौधे को हमने उगाया है. इनमें नवग्रहवन, नंदनवन, नक्षत्रवान, पवित्रा वाना, अश्विनी वाना जैसे हर्बल पौधें शामिल हैं.