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इमरजेंसी में ही कोरोना रोगियों के ईएनटी ऑपरेशन किए जाएं: स्वास्थ्य मंत्रालय - ईएनटी सर्जिकल

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि कोरोनो रोगियों का केवल इमरजेंसी मामलों में ही निर्धारित किए गए ऑपरेशन थिएटरों में ऑपरेशन किया जाए. ईएनटी डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, सहायक कर्मचारियों, रोगियों और उनके परिचारकों के बीच कोरोना संक्रमण को कम करने के लिए ये दिशानिर्देश दिए गए हैं.

इमरजेंसी में ही कोरोना रोगियों के ईएनटी ऑपरेशन
इमरजेंसी में ही कोरोना रोगियों के ईएनटी ऑपरेशन
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Published : Jun 5, 2020, 5:31 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 8:20 PM IST

नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि कोरोना रोगियों की ईएनटी सर्जिकल प्रक्रिया जोखिम भरी है इससे डॉक्टर और अन्य स्टाफ के भी कोरोना से संक्रमित हो जाने का खतरा है इसलिए कोरोनोवायरस से संक्रमित रोगियों को केवल आपातकालीन स्थिति में ही निर्धारित किए गए ऑपरेशन थिएटरों में ऑपरेशन किये जाएं.

मंत्रालय ने कहा कि कान, नाक, गला (ईएनटी) एक जोखिम भरा मामला है. ये डॉक्टर्स के विवेक पर है कि वो देखे कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति का ऑपरेशन 14 दिनों तक स्थगित किया जा सकता है या नहीं. यदि स्थगित किया जाता है तो मरीज की सेहत पर कैसा असर पड़ेगा. यदि इमरजेंसी ऑपरेशन की जरूरत है तो फिर निर्धारित ऑपरेशन थिएटर में ही ऑपरेशन किया जाए.

इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये परामर्श देना बेहतर होगा. मंत्रालय ने कहा कि ईएनटी ओपीडी में प्रवेश करने वाले सभी रोगियों की जांच की जाए और उनकी थर्मल स्क्रीनिंग भी की जाए.

स्क्रीनिंग का उद्देश्य कर्मचारियों और रोगियों के संपर्क को कम करना है. ईएनटी के रोगियों में अगर कोरोना के लक्षण होने का शक होता है तो उन्हें ईएनटी के ओपीडी में नहीं देखा जाएगा. उनके लिए एक अलग कोविड 19 स्क्रीनिंग क्लीनिक का इंतजाम किया गया है जहां उन्हें देखा जाएगा.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ईएनटी ओपीडी कक्ष हवादार होना चाहिए और डॉक्टरों को चैंबर में लेवल I पीपीई किट (N95 मास्क, गाउन, दास्ताने, काले चश्मे / फेस शील्ड) पहनना होगा. उन्हें नियमित ओपीडी में एंडोस्कोपी करने से बचना चाहिए लेकिन अगर यह सब करना है तो डॉक्टर्स को लेवल टू पीपीई किट पहनना होगा.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ईएनटी, सिर और गर्दन की सर्जरी के वॉर्ड के कुछ प्रोटोकॉल्स हैं जिनका उद्देश्य वार्ड को कोविड फ्री रखना है. यदि इन रोगियों में कोरोना संदिग्ध होने का पता चलता है तो इनका अलग वार्ड में इलाज किया जाएगा और उन्हें नॉर्मल वॉर्ड में तभी शिफ्ट किया जाएगा जब उनका कोरोना टेस्ट रिजल्ट निगेटिव होगा.

अस्पताल में भर्ती होने से पहले मरीजों की COVID 19 की स्क्रीनिंग की जानी चाहिए. कोरोना संदिग्ध होने पर या कोरोना की पुष्टि होने पर उन मरीजों को अलग रखा जाना चाहिए और सारे बचाव के तरीके जैसे जैसे मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना और शारीरिक दूरी का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.

रोगियों के बिस्तरों के बीच में कम से कम दो मीटर की दूरी अनिवार्य है. उच्च एरोसोल पैदा करने वाले रोगियों के वार्ड अलग होने चाहिए. ईएनटी में ट्रेकियोस्टोमाइज्ड रोगी सबसे ज्यादा एयरोसोल पैदा करने वाले होते हैं.

ईएनटी वार्ड को पानी और डिटर्जेंट से साफ किया जाना चाहिए और वार्डों को COVID मुक्त रखने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कीटाणुनाशक सोडियम हाइपोक्लोराइट को प्रयोग में लाना चाहिए.

नई दिल्लीः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि कोरोना रोगियों की ईएनटी सर्जिकल प्रक्रिया जोखिम भरी है इससे डॉक्टर और अन्य स्टाफ के भी कोरोना से संक्रमित हो जाने का खतरा है इसलिए कोरोनोवायरस से संक्रमित रोगियों को केवल आपातकालीन स्थिति में ही निर्धारित किए गए ऑपरेशन थिएटरों में ऑपरेशन किये जाएं.

मंत्रालय ने कहा कि कान, नाक, गला (ईएनटी) एक जोखिम भरा मामला है. ये डॉक्टर्स के विवेक पर है कि वो देखे कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति का ऑपरेशन 14 दिनों तक स्थगित किया जा सकता है या नहीं. यदि स्थगित किया जाता है तो मरीज की सेहत पर कैसा असर पड़ेगा. यदि इमरजेंसी ऑपरेशन की जरूरत है तो फिर निर्धारित ऑपरेशन थिएटर में ही ऑपरेशन किया जाए.

इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये परामर्श देना बेहतर होगा. मंत्रालय ने कहा कि ईएनटी ओपीडी में प्रवेश करने वाले सभी रोगियों की जांच की जाए और उनकी थर्मल स्क्रीनिंग भी की जाए.

स्क्रीनिंग का उद्देश्य कर्मचारियों और रोगियों के संपर्क को कम करना है. ईएनटी के रोगियों में अगर कोरोना के लक्षण होने का शक होता है तो उन्हें ईएनटी के ओपीडी में नहीं देखा जाएगा. उनके लिए एक अलग कोविड 19 स्क्रीनिंग क्लीनिक का इंतजाम किया गया है जहां उन्हें देखा जाएगा.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ईएनटी ओपीडी कक्ष हवादार होना चाहिए और डॉक्टरों को चैंबर में लेवल I पीपीई किट (N95 मास्क, गाउन, दास्ताने, काले चश्मे / फेस शील्ड) पहनना होगा. उन्हें नियमित ओपीडी में एंडोस्कोपी करने से बचना चाहिए लेकिन अगर यह सब करना है तो डॉक्टर्स को लेवल टू पीपीई किट पहनना होगा.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ईएनटी, सिर और गर्दन की सर्जरी के वॉर्ड के कुछ प्रोटोकॉल्स हैं जिनका उद्देश्य वार्ड को कोविड फ्री रखना है. यदि इन रोगियों में कोरोना संदिग्ध होने का पता चलता है तो इनका अलग वार्ड में इलाज किया जाएगा और उन्हें नॉर्मल वॉर्ड में तभी शिफ्ट किया जाएगा जब उनका कोरोना टेस्ट रिजल्ट निगेटिव होगा.

अस्पताल में भर्ती होने से पहले मरीजों की COVID 19 की स्क्रीनिंग की जानी चाहिए. कोरोना संदिग्ध होने पर या कोरोना की पुष्टि होने पर उन मरीजों को अलग रखा जाना चाहिए और सारे बचाव के तरीके जैसे जैसे मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना और शारीरिक दूरी का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.

रोगियों के बिस्तरों के बीच में कम से कम दो मीटर की दूरी अनिवार्य है. उच्च एरोसोल पैदा करने वाले रोगियों के वार्ड अलग होने चाहिए. ईएनटी में ट्रेकियोस्टोमाइज्ड रोगी सबसे ज्यादा एयरोसोल पैदा करने वाले होते हैं.

ईएनटी वार्ड को पानी और डिटर्जेंट से साफ किया जाना चाहिए और वार्डों को COVID मुक्त रखने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कीटाणुनाशक सोडियम हाइपोक्लोराइट को प्रयोग में लाना चाहिए.

Last Updated : Jun 5, 2020, 8:20 PM IST
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