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असम में 23 लुप्तप्राय गिद्धों की जहरीला मांस खाने से मौत - बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी

असम के तिनसुकिया जिले के ढोला इलाके में 23 लुप्तप्राय गिद्धों की दो मवेशियों का जहरीला मांस खाने से मौत हो गई, जबकि 12 गिद्धों को बचा लिया गया है.

लुप्तप्राय गिद्ध
लुप्तप्राय गिद्ध
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Published : Jan 19, 2021, 7:00 PM IST

Updated : Jan 19, 2021, 8:25 PM IST

गुवाहाटी : असम के तिनसुकिया जिले के ढोला इलाके में 23 लुप्तप्राय गिद्धों की दो मवेशियों का जहरीला मांस खाने से मौत हो गई. एक आधिकारी ने बताया कि रविवार को तलाप वन रेंज में गिद्ध मृत पाए गए.

अधिकारी ने कहा कि हालांकि वन अधिकारियों ने गंभीर हालत में 12 गिद्धों को बचाया है और उनका इलाज किया जा रहा है. मृत गिद्ध श्वेत-समर्थित और दुबली-पतली प्रजातियों के थे . शुक्र है कि हमारी टीम 12 को बचाने में सफल रही. हालांकि हम अभी यह नहीं बता सकते कि जहर का कितना असर हुआ है. फिलहला मृत गिद्धों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.

लुप्तप्राय गिद्धों की जहरीला मांस खाने से मौत

1990 में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और के अन्य संगठनों के एक अध्ययन में पाया गया कि हिमालयन ग्रिफॉन के जिप्स समूह की श्वेत-समर्थित और स्लेंडप बिल्ड प्रजातियों में से एक है.

पढ़ें- बैलगाड़ी दौड़ के दौरान चपेट में आए लोग, देखें कैसे मौत के मुंह से बचे

भारत और नेपाल में इसकी संख्या में 40 मिलियन से गिरावट आई है. इनमें से 99.9 फीसदी पिछले दो दशकों में देखने को मिली है.

गुवाहाटी : असम के तिनसुकिया जिले के ढोला इलाके में 23 लुप्तप्राय गिद्धों की दो मवेशियों का जहरीला मांस खाने से मौत हो गई. एक आधिकारी ने बताया कि रविवार को तलाप वन रेंज में गिद्ध मृत पाए गए.

अधिकारी ने कहा कि हालांकि वन अधिकारियों ने गंभीर हालत में 12 गिद्धों को बचाया है और उनका इलाज किया जा रहा है. मृत गिद्ध श्वेत-समर्थित और दुबली-पतली प्रजातियों के थे . शुक्र है कि हमारी टीम 12 को बचाने में सफल रही. हालांकि हम अभी यह नहीं बता सकते कि जहर का कितना असर हुआ है. फिलहला मृत गिद्धों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.

लुप्तप्राय गिद्धों की जहरीला मांस खाने से मौत

1990 में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और के अन्य संगठनों के एक अध्ययन में पाया गया कि हिमालयन ग्रिफॉन के जिप्स समूह की श्वेत-समर्थित और स्लेंडप बिल्ड प्रजातियों में से एक है.

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भारत और नेपाल में इसकी संख्या में 40 मिलियन से गिरावट आई है. इनमें से 99.9 फीसदी पिछले दो दशकों में देखने को मिली है.

Last Updated : Jan 19, 2021, 8:25 PM IST
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