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लॉकडाउन में बढ़ा हाथियों का शिकार, तस्करों ने उठाया गलत फायदा

कोरोना वायरस संकट के बाद देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन का हाथी तस्करों और शिकारियों ने गलत फायदा उठाया. इस दौरान तस्करों ने बड़ी संख्या में दांत और अन्य अंगों के लिए हाथियों का शिकार किया है. पढ़ें पूरी खबर...

elephant hunt during lockdown
लॉकडाउन में बढ़ा हाथियों का शिकार
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Published : Jul 24, 2020, 11:08 PM IST

नोएडा : कोरोना लॉकडाउन के दौरान देशभर में हाथियों के शिकार की घटनाएं सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा हुई हैं. केंद्र सरकार के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, तस्करों और शिकारियों ने लॉकडाउन का गलत फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में दांत और अन्य अंगों के लिए हाथियों का शिकार किया है.

नोएडा के सामाजिक कार्यकर्ता और वकील रंजन तोमर द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, 'इस साल अभी तक देशभर में 11 हाथियों का शिकार हुआ है. पहला मामला फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश में आया. उसी दिन गोवा में भी एक हाथी को मारा गया था.'

तोमर का कहना है कि केरल में गर्भवती हथिनी के मरने की हृदय विदारक घटना के बाद उन्होंने इस संबंध में सरकार से सूचना मांगी थी.

आरटीआई से मिली सूचना के अनुसार, लॉकडाउन से पहले जनवरी से मार्च तक करीब तीन महीने में तीन हाथियों का शिकार हुआ था, लेकिन मार्च से अभी तक नौ हाथी मारे गए हैं.

आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा चार हाथी ओडिशा में मारे गए हैं और इनमें से तीन को तो महज आठ दिन के भीतर मारा गया. छत्तीसगढ़ में तीन हाथी मारे गए हैं जिनमें से दो को नौ जून को जबकि तीसरे को 11 जून को मारा गया.

तोमर ने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले वर्ष देश में शिकारियों ने 43 हाथियों का शिकार किया था.

नोएडा : कोरोना लॉकडाउन के दौरान देशभर में हाथियों के शिकार की घटनाएं सामान्य दिनों के मुकाबले ज्यादा हुई हैं. केंद्र सरकार के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, तस्करों और शिकारियों ने लॉकडाउन का गलत फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में दांत और अन्य अंगों के लिए हाथियों का शिकार किया है.

नोएडा के सामाजिक कार्यकर्ता और वकील रंजन तोमर द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, 'इस साल अभी तक देशभर में 11 हाथियों का शिकार हुआ है. पहला मामला फरवरी महीने में उत्तर प्रदेश में आया. उसी दिन गोवा में भी एक हाथी को मारा गया था.'

तोमर का कहना है कि केरल में गर्भवती हथिनी के मरने की हृदय विदारक घटना के बाद उन्होंने इस संबंध में सरकार से सूचना मांगी थी.

आरटीआई से मिली सूचना के अनुसार, लॉकडाउन से पहले जनवरी से मार्च तक करीब तीन महीने में तीन हाथियों का शिकार हुआ था, लेकिन मार्च से अभी तक नौ हाथी मारे गए हैं.

आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा चार हाथी ओडिशा में मारे गए हैं और इनमें से तीन को तो महज आठ दिन के भीतर मारा गया. छत्तीसगढ़ में तीन हाथी मारे गए हैं जिनमें से दो को नौ जून को जबकि तीसरे को 11 जून को मारा गया.

तोमर ने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले वर्ष देश में शिकारियों ने 43 हाथियों का शिकार किया था.

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