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उत्तराखंड : सबसे बड़ी GST चोरी, 'कागजी' कम्पनियों ने लगाया आठ हजार करोड़ का चूना

GST टीम ने उत्तराखंड में टैक्स चोरी करने वाले कई व्यापारियों को चिह्नित किया है, जो करीब 70 से ज्यादा फर्म और कम्पनियां बनाकर ईवे बिल जनरेट कर रहे थे. ये लोग सरकार को अब तक करीब आठ हजार करोड़ रुपये का चूना लगा चुके हैं.

gst tax evasion by fake companies
सबसे बड़ी GST चोरी
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Published : Dec 16, 2019, 11:58 PM IST

देहरादून : उत्तराखंड में टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया है. वित्त सचिव अमित नेगी के निर्देश पर जीएसटी देहरादून की 55 टीमों ने प्रदेश के 70 व्यापार स्थलों पर छापा मारकर करीब आठ हजार करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है.

जीएसटी टीमों की जांच में सामने आया कि कुछ व्यापारी फर्जी तरीके से पंजीयन कराकर ईवे बिल के जरिये करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहे थे. हालांकि, इस घोटाले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

केंद्र और राज्य की संयुक्त जीएसटी टीम पिछले दो महीने ने प्रदेश में अभियान चला रही थी. इस अभियान के बाद टैक्स चोरी के जो आंकड़े सामने आए, वो बेहद चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों को देखकर उत्तराखंड की जीएसटी आयुक्त सौजन्या भी हैरत में पड़ गईं.

उत्तराखंड में टैक्स चोरी की जानकारी देतीं जीेएसटी आयुक्त सौजन्या.

पढ़ें- नोएडा: चालान और टोल टैक्स से बचने के लिए लगाई नकली नंबर प्लेट, अरेस्ट

जीएसटी आयुक्त की मानें तो उत्तराखंड में टैक्स चोरी का एक बड़ा खेल खेला जा रहा था. टीम ने प्रदेश में टैक्स चोरी करने वाले कई व्यापारियों को चिह्नित किया है, जो करीब 70 से ज्यादा फर्म और कम्पनियां बनाकर ईवे बिल जनरेट कर रहे थे. ये लोग सरकार को अब तक करीब आठ हजार करोड़ रुपये का चूना लगा चुके हैं.

पढ़ें- संसद ने कराधान विधि संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

GST आयुक्त के मुताबिक, उनकी टीम इन फर्जी कम्पनियों पर पिछले दो महीने से नजर रखे हुए थी. इन कम्पनियों के मालिक अलग-अलग नामों से ये कम्पनियां और फर्म चला रहे थे. इतना ही नहीं, उन्होंने फर्जी फर्म बनाने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट भी तैयार किए थे.

जांच में सामने आया है कि 70 में से 34 कम्पनियां दिल्ली से मशीनरी और कम्पाउंड दोनों की खरीद के ईवे बिल बना रही थीं, जिनका भुगतान लगभग 1200 करोड़ रुपये है. ये कम्पनियां आपस में खरीद व बिक्री दिखा रही थीं. इस तरह ये फर्म टैक्स चोरी कर रही थी. बता दें कि जीएसटी चोरी का उत्तराखंड में ये अब तक का सबसे बड़ा मामला है.

देहरादून : उत्तराखंड में टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया है. वित्त सचिव अमित नेगी के निर्देश पर जीएसटी देहरादून की 55 टीमों ने प्रदेश के 70 व्यापार स्थलों पर छापा मारकर करीब आठ हजार करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है.

जीएसटी टीमों की जांच में सामने आया कि कुछ व्यापारी फर्जी तरीके से पंजीयन कराकर ईवे बिल के जरिये करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहे थे. हालांकि, इस घोटाले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

केंद्र और राज्य की संयुक्त जीएसटी टीम पिछले दो महीने ने प्रदेश में अभियान चला रही थी. इस अभियान के बाद टैक्स चोरी के जो आंकड़े सामने आए, वो बेहद चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों को देखकर उत्तराखंड की जीएसटी आयुक्त सौजन्या भी हैरत में पड़ गईं.

उत्तराखंड में टैक्स चोरी की जानकारी देतीं जीेएसटी आयुक्त सौजन्या.

पढ़ें- नोएडा: चालान और टोल टैक्स से बचने के लिए लगाई नकली नंबर प्लेट, अरेस्ट

जीएसटी आयुक्त की मानें तो उत्तराखंड में टैक्स चोरी का एक बड़ा खेल खेला जा रहा था. टीम ने प्रदेश में टैक्स चोरी करने वाले कई व्यापारियों को चिह्नित किया है, जो करीब 70 से ज्यादा फर्म और कम्पनियां बनाकर ईवे बिल जनरेट कर रहे थे. ये लोग सरकार को अब तक करीब आठ हजार करोड़ रुपये का चूना लगा चुके हैं.

पढ़ें- संसद ने कराधान विधि संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

GST आयुक्त के मुताबिक, उनकी टीम इन फर्जी कम्पनियों पर पिछले दो महीने से नजर रखे हुए थी. इन कम्पनियों के मालिक अलग-अलग नामों से ये कम्पनियां और फर्म चला रहे थे. इतना ही नहीं, उन्होंने फर्जी फर्म बनाने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट भी तैयार किए थे.

जांच में सामने आया है कि 70 में से 34 कम्पनियां दिल्ली से मशीनरी और कम्पाउंड दोनों की खरीद के ईवे बिल बना रही थीं, जिनका भुगतान लगभग 1200 करोड़ रुपये है. ये कम्पनियां आपस में खरीद व बिक्री दिखा रही थीं. इस तरह ये फर्म टैक्स चोरी कर रही थी. बता दें कि जीएसटी चोरी का उत्तराखंड में ये अब तक का सबसे बड़ा मामला है.

Intro:उत्तराखंड राज्य में टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया है वित्त सचिव अमित नेगी के निर्देश में जीएसटी देहरादून की 55 टीमों ने प्रदेश के 70 व्यापार स्थलों पर छापा मारकर करीब 8000 करोड के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। यही नहीं खुलासा किया गया है कि उत्तराखंड राज्य में कुछ लोगों द्वारा जीएसटी के तहत फर्जी तरीके से पंछियों को लेकर करोड़ों रुपए का ईवे बिल के माध्यम से कारोबार किया जा रहा है। हालांकि इस मसले में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।





Body:अभी तक आपने सिर्फ फिल्मों में सुना और देखा होगा कि कैसे टैक्स चोरी करने के लिए फर्जी फर्म और कम्पनी बनाकर सरकार को चुना लगाया जाता है। लेकिन आज हम आपको इस हकीकत से रूबरू कराने जा रहा है जी हाँ मामला उत्तराखंड का है जहां केंद्र और राज्य की कम्बाइंड जीएसटी टीम ने ऐसी ही टैक्स चोरियों को पकड़ने के लिए 2 महीने तक एक अभियान चलाया। 

इस अभियान के बाद टैक्स चोरी के जो आंकड़े सामने आए वो बेहद चौंकाने वाले है। जी हां राज्य जीएसटी आयुक्त सौजन्या ने मीडिया से रूबरू होकर को तथ्य सामने रखे है वो आपको भी हैरत में डाल देंगे। कर आयुक्त सौजन्या की माने तो राज्य में टैक्स चोरी का एक बड़ा खेल खेला जा रहा था। राज्य में कई लोगो को टीम ने चिन्हित किया है जो लगभग 70 फर्जी फर्म और कम्पनियां बनाकर ईवे बिल जनरेट कर रहे थे। जिससे अब तक 8000 करोड़ के फर्जी बिल बनाकर सरकार को टैक्स का चूना लगाया गया है।

बाइट - सौजन्या , राज्य कर आयुक्त उत्तराखंड 


जीएसटी की टीम ने इन फर्जी कंपनियों पर पिछले दो महीने से नजर रखी हुई थी। इन कंपनियों के मालिक कुछ ही लोग है जो अलग अलग नाम से ये कम्पनियां और फर्म चला रहे है इतना ही नहीं फर्जी फर्म बनाने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट भी तैयार किए गए थे। टीम ने जब इन 70 कम्पनियों की गहनता से जांच शुरू की तो पता चला कि इन 70 कम्पनियों और फर्मों में से 34 फार्म दिल्ली से मशीनरी और कम्पाउन्ड दोनों की खरीद के ई- वे बिल बना रही थी। जिनका मुक्त लगभग 1200 करोड़ है । जिसके बाद इन कंपनियों द्वारा आपस ने है खरीद बिक्री और राज्य के बाहर के प्रांतो में भी खरीद बिक्री दिखाई जा रही थी। इस तरह ये फर्म टैक्स चोरी कर रही थी। 

बाइट - अमित गुप्ता , ज्वाइंट कमिश्नर जीएसटी केंद्र सरकार 





Conclusion:जीएसटी चोरी का उत्तराखंड में ये इतना बड़ा पहला मामले सामने आया है इसके बाद राज्य के जीएसटी अधिकारी और केंद्र सरकार के जीएसटी अधिकारी इस मामले में कार्यवाही करने में जुट गए है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर इतनी बड़ी टैक्स चोरी में कितने लोग संलिप्त है और उनके खिलाफ किस तरह कि कार्यवाही जीएसटी के अधिकारी करते है।


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