नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर कक्षाएं एवं परीक्षाएं स्थगित होने के बीच राज्यों के प्रशासन ने शैक्षणिक संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे अपने खाली हॉस्टलों को 'क्वारंटाइन सेंटर' के तौर पर उपयोग करने की अनुमति दें.
प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बम्बई ऐसा पहला संस्थान है, जिसने इस आग्रह को स्वीकार किया है और इसके चार हॉस्टलों एवं गेस्ट हाउस को 'क्वारंटाइन सेंटर' के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
आईआईटी बम्बई की आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, 'कार्यकारी आदेश के माध्यम से कलेक्टर ने परिसर की कई इमारतों को सी श्रेणी के संदिग्धों के, अर्थात जो संक्रमित नहीं हैं और विदेश से लौटे हैं, लिए अधिग्रहित किया है.' इसमें कहा गया है कि इन अधिग्रहित इमारतों में वन विहार गेस्ट हाउस, एच-18 के साथ एच-8 (बी विंग) तथा एमटीएनएल गेस्ट रूम शामिल हैं.
हालांकि, दिल्ली प्राधिकार की ओर से किए गए इसी प्रकार के एक आग्रह को आईआईटी दिल्ली ने अस्वीकार कर दियाा था और कहा था कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के छात्र अपने घरों को चले गए हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय छात्र हॉस्टल में मौजूद हैं. बहरहाल, तेलंगाना के मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों के विरोध के बावजूद 'क्वारंटाइन सेंटर' स्थापित किया गया है. वहीं उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में गौतम बुद्ध विश्विवद्यालय ने कोविड-19 के संदिग्ध एवं पुष्ट मामलों के लिए 'क्वारंटाइन सेंटर' खोले हैं, जहां 150 लोगों को रखा जा सकता है.
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इसी प्रकार डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय औरंगाबाद ने भी इसी प्रकार सुविधा केंद्र खोला है.
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता संजा शिंदे ने कहा, 'जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस के मद्देनजर विश्वविद्यालय के हॉस्टल को 'क्वारंटाइन सेंटर' के रूप में उपयोग करने के बारे में सम्पर्क किया था और हम इस पर आगे बढ़ रहे हैं.'
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में कक्षाएं एवं परीक्षाएं 31 मार्च तक स्थगित हैं.
इससे पहले सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नवोदय विद्यालयों को निर्देश दिया था कि वे अपने खाली हॉस्टलों को चिकित्सा सुविधा उपयोग के लिए स्थानीय प्रशासन को दें.