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देश के छात्रों से गुजरता है पांच ट्रीलियन अर्थव्यवस्था का रास्ता : निशंक

एनआईटी वारंगल के 18वें दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अब समय आ गया है जब छात्रों में भरोसा जगाया जाए कि देश में ही आज विश्वस्तरीय शिक्षा उपलब्ध है और यहां के छात्रों को कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं है.

education minister nishank address to 18 convocation of mit varangal
एनआईटी वारंगल
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Published : Oct 22, 2020, 11:20 PM IST

नई दिल्ली : एनआईटी वारंगल के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को कहा कि देश जब नई शिक्षा नीति के साथ आगे बढ़ रहा है, ऐसे में तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में भी बड़े अवसर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि आज न केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बल्कि इफेक्टिव इंटेलिजेंस की भी जरूरत है.

प्रभावी बुद्धिमत्ता के साथ बढ़ रहे आगे
केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा कि प्रभावी बुद्धिमत्ता के साथ हम ताकत के साथ आगे बढ़ेंगे. जिसमें प्रतिभा की पहचान भी की जाएगी, उसको विकसित भी किया जाएगा और उसका विस्तार भी करेंगे. शोध और अनुसंधान की महत्ता पर जोर देते हुए निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने के क्रम में राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन भी जल्द किया जाएगा.

नई शिक्षा नीति पर तेजी से चल रहा काम
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम शुरू हो गया है और इसके तहत शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार और बदलाव के साथ साथ बेहतर प्रदर्शन भी करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के आह्वान की चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत और समृद्ध भारत का रास्ता देश के करोड़ों युवाओं और छात्रों से होकर ही गुजरता है.

प्रतिवर्ष आठ लाख से ज्यादा छात्र जाते हैं विदेश
शिक्षा मंत्रालय की महत्वाकांक्षी पहल 'स्टडी इन इंडिया' का जिक्र करते हुए निशंक ने कहा कि इस योजना के तहत 50 हजार से ज्यादा दूसरे देशों के छात्रों ने इसमें पहले ही पंजीकरण करा लिया है और आगे 'स्टे इन इंडिया' मुहिम के तहत सरकार चाहती है कि छात्रों को बाहर देशों में पढ़ने जाने से रोका जा सके. प्रतिवर्ष आठ लाख से ज्यादा छात्र विदेशों में पढ़ने जाते हैं. जिसके कारण 1.5 लाख करोड़ रुपये देश से दुनिया के अन्य देशों में चले जाते हैं. इस तरह से न केवल देश का धन, बल्कि देश की प्रतिभा भी बाहर चली जाती है.

पढ़ें: नीट यूजी 2020 : नागरिकता में बदलाव के लिए आवेदन कर सकते हैं छात्र

छात्रों में भरोसा जगाने का आ गया समय
निशंक ने कहा कि अब समय आ गया है जब इन छात्रों में भरोसा जगाया जाए कि देश में ही आज विश्वस्तरीय शिक्षा उपलब्ध है और यहां के छात्रों को कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं है. भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. जिसमें 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय, 45000 डिग्री कॉलेज, 15 लाख से ज्यादा विद्यालय, एक करोड़ नौ लाख से अधिक अध्यापक और 33 करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं हैं.

उन्होंने कहा कि आज अमेरिका की आबादी हमारे देश के छात्र-छात्राओं से कम है और अगले 25 वर्षों तक हिंदुस्तान युवा देश रहने वाला है.

शिक्षा मंत्री ने एनआईटी वारंगल की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान देश के चार शीर्ष एनआईटी में शुमार है और इस तरह के संस्थान के साथ हम देश और दुनिया को नई दिशा दे सकते हैं.

नई दिल्ली : एनआईटी वारंगल के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को कहा कि देश जब नई शिक्षा नीति के साथ आगे बढ़ रहा है, ऐसे में तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में भी बड़े अवसर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि आज न केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बल्कि इफेक्टिव इंटेलिजेंस की भी जरूरत है.

प्रभावी बुद्धिमत्ता के साथ बढ़ रहे आगे
केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा कि प्रभावी बुद्धिमत्ता के साथ हम ताकत के साथ आगे बढ़ेंगे. जिसमें प्रतिभा की पहचान भी की जाएगी, उसको विकसित भी किया जाएगा और उसका विस्तार भी करेंगे. शोध और अनुसंधान की महत्ता पर जोर देते हुए निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने के क्रम में राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम का गठन भी जल्द किया जाएगा.

नई शिक्षा नीति पर तेजी से चल रहा काम
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में तेजी से काम शुरू हो गया है और इसके तहत शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार और बदलाव के साथ साथ बेहतर प्रदर्शन भी करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के आह्वान की चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत और समृद्ध भारत का रास्ता देश के करोड़ों युवाओं और छात्रों से होकर ही गुजरता है.

प्रतिवर्ष आठ लाख से ज्यादा छात्र जाते हैं विदेश
शिक्षा मंत्रालय की महत्वाकांक्षी पहल 'स्टडी इन इंडिया' का जिक्र करते हुए निशंक ने कहा कि इस योजना के तहत 50 हजार से ज्यादा दूसरे देशों के छात्रों ने इसमें पहले ही पंजीकरण करा लिया है और आगे 'स्टे इन इंडिया' मुहिम के तहत सरकार चाहती है कि छात्रों को बाहर देशों में पढ़ने जाने से रोका जा सके. प्रतिवर्ष आठ लाख से ज्यादा छात्र विदेशों में पढ़ने जाते हैं. जिसके कारण 1.5 लाख करोड़ रुपये देश से दुनिया के अन्य देशों में चले जाते हैं. इस तरह से न केवल देश का धन, बल्कि देश की प्रतिभा भी बाहर चली जाती है.

पढ़ें: नीट यूजी 2020 : नागरिकता में बदलाव के लिए आवेदन कर सकते हैं छात्र

छात्रों में भरोसा जगाने का आ गया समय
निशंक ने कहा कि अब समय आ गया है जब इन छात्रों में भरोसा जगाया जाए कि देश में ही आज विश्वस्तरीय शिक्षा उपलब्ध है और यहां के छात्रों को कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं है. भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. जिसमें 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय, 45000 डिग्री कॉलेज, 15 लाख से ज्यादा विद्यालय, एक करोड़ नौ लाख से अधिक अध्यापक और 33 करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं हैं.

उन्होंने कहा कि आज अमेरिका की आबादी हमारे देश के छात्र-छात्राओं से कम है और अगले 25 वर्षों तक हिंदुस्तान युवा देश रहने वाला है.

शिक्षा मंत्री ने एनआईटी वारंगल की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान देश के चार शीर्ष एनआईटी में शुमार है और इस तरह के संस्थान के साथ हम देश और दुनिया को नई दिशा दे सकते हैं.

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