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आम्रपाली मामला : सुप्रीम कोर्ट ने जेपी मोर्गन की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया

आम्रपाली मामले में उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि वह जेपी मोर्गन की भारत में स्थित संपत्तियां जब्त करे. दरअसल उसपर आरोप है कि वह आम्रपाली समूह से मकान खरीदारों के धन की हेरा फेरी में संलिप्त थी. पढ़ें पूरी खबर...

SC orders on Amrapali case
फाइल फोटो
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Published : Jan 13, 2020, 9:50 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि आम्रपाली मामले में फेमा उल्लंघन के लिये जेपी मोर्गन की भारत में स्थित संपत्तियां जब्त की जाएं. आरोप है कि जेपी मोर्गन फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) और एफडीआई के नियमों का उल्लंघन करते हुए आम्रपाली समूह से मकान खरीदारों के धन की हेरा फेरी में संलिप्त थी. आम्रपाली कंपनी दिवालिया हो गई है.

प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय के समक्ष कहा कि पहली नजर में उसे पता चला है कि मूल रूप से अमेरिका की कंपनी जेपी मोर्गन ने फेमा मानकों का उल्लंघन किया है और इस संबंध में शिकायत दर्ज की गई है.

शेयर क्रय समझौते के अनुसार जेपी मोर्गन 20 अक्टूबर, 2010 को 85 करोड़ रूपए निवेश का एक करार किया था, जिसमें लाभ में वरीयता के आधार पर 75 फीसदी हिस्सेदारी जेपी मोर्गन की और 25 प्रतिशत आम्रपाली होम्स परियोजना प्रा लि और अल्ट्रा होम के प्रवर्तकों की रखी गई थी.

बाद में जेपी मोर्गन से इन शेयरों को आम्रपाली के वैधानिक आडिटर अनिल मित्तल के एक चपरासी और कार्यालय के एक अन्य व्यक्ति के स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स नीलकंठ और मेसर्स रूद्राक्ष ने 140 करोड़ रूपए में वापस खरीद लिया था.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ को प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने सूचित किया कि इस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने यह धन वापस अमेरिका में जमा करा दिया.

पीठ ने कहा, 'उनकी (जेपी मोर्गन) की भारत में बहुत संपत्ति है. हम चाहते हैं कि आप इसी धनराशि के समतुल्य उनके कार्यालय और निगमित संपत्तियों को जब्त करें. इसके बाद ही वे हमारे पास आएंगे और हम इसे देखेंगे.'

इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे सिंह ने कहा कि फर्म के खिलाफ कानूनी प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही शुरू कर दी गई है.

पढ़ें-'गुमशुदा की तलाश' पर सनी देओल का जवाब- यह मेरे प्रतिद्वंद्वियों की साजिश

पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को अब ठप हो चुके इस समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा और दो अन्य निदेशकों शिव प्रिय और अजय कुमार को हिरासत में लेने की अनुमति प्रदान कर दी. शीर्ष अदालत के आदेश पर ये धन शोधन के अपराध के सिलसिले में पूछताछ के लिए सलाखों के पीछे हैं.

न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय उन्हें तत्काल हिरासत में ले सकता है और पूछताछ पूरी होने के बाद उन्हें वापस जेल पहुंचा दिया जाए.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि आम्रपाली मामले में फेमा उल्लंघन के लिये जेपी मोर्गन की भारत में स्थित संपत्तियां जब्त की जाएं. आरोप है कि जेपी मोर्गन फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) और एफडीआई के नियमों का उल्लंघन करते हुए आम्रपाली समूह से मकान खरीदारों के धन की हेरा फेरी में संलिप्त थी. आम्रपाली कंपनी दिवालिया हो गई है.

प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय के समक्ष कहा कि पहली नजर में उसे पता चला है कि मूल रूप से अमेरिका की कंपनी जेपी मोर्गन ने फेमा मानकों का उल्लंघन किया है और इस संबंध में शिकायत दर्ज की गई है.

शेयर क्रय समझौते के अनुसार जेपी मोर्गन 20 अक्टूबर, 2010 को 85 करोड़ रूपए निवेश का एक करार किया था, जिसमें लाभ में वरीयता के आधार पर 75 फीसदी हिस्सेदारी जेपी मोर्गन की और 25 प्रतिशत आम्रपाली होम्स परियोजना प्रा लि और अल्ट्रा होम के प्रवर्तकों की रखी गई थी.

बाद में जेपी मोर्गन से इन शेयरों को आम्रपाली के वैधानिक आडिटर अनिल मित्तल के एक चपरासी और कार्यालय के एक अन्य व्यक्ति के स्वामित्व वाली कंपनी मेसर्स नीलकंठ और मेसर्स रूद्राक्ष ने 140 करोड़ रूपए में वापस खरीद लिया था.

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ को प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने सूचित किया कि इस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने यह धन वापस अमेरिका में जमा करा दिया.

पीठ ने कहा, 'उनकी (जेपी मोर्गन) की भारत में बहुत संपत्ति है. हम चाहते हैं कि आप इसी धनराशि के समतुल्य उनके कार्यालय और निगमित संपत्तियों को जब्त करें. इसके बाद ही वे हमारे पास आएंगे और हम इसे देखेंगे.'

इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे सिंह ने कहा कि फर्म के खिलाफ कानूनी प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही शुरू कर दी गई है.

पढ़ें-'गुमशुदा की तलाश' पर सनी देओल का जवाब- यह मेरे प्रतिद्वंद्वियों की साजिश

पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को अब ठप हो चुके इस समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा और दो अन्य निदेशकों शिव प्रिय और अजय कुमार को हिरासत में लेने की अनुमति प्रदान कर दी. शीर्ष अदालत के आदेश पर ये धन शोधन के अपराध के सिलसिले में पूछताछ के लिए सलाखों के पीछे हैं.

न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय उन्हें तत्काल हिरासत में ले सकता है और पूछताछ पूरी होने के बाद उन्हें वापस जेल पहुंचा दिया जाए.

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SC-LD AMRAPALI
SC orders ED to attach corporate properties of JP Morgan for violation of FEMA in Amrapali case
(Eds: Adds details)
         New Delhi, Jan 13 (PTI) The Supreme Court asked the Enforcement Directorate (ED) on Monday to attach Indian properties of JP Morgan, which engaged in a transaction with the now-defunct Amrapali Group to allegedly siphon off home buyers' money in violation of the Foreign Exchange Management Act (FEMA) and FDI norms.
         The ED said it had prima facie found violations of FEMA norms by the US-based JP Morgan and that a complaint in this regard was lodged.
         The Supreme Court also allowed the ED to take into custody the defunct group's CMD, Anil Kumar Sharma, and two other directors, Shiv Priya and Ajay Kumar, who are behind bars on the top court's order, for interrogation as regards alleged money-laundering offences.
         It said the central agency could take them into custody immediately and once their interrogation was over, they could be sent back to a prison here.
         According to the share subscription agreement between JP Morgan and Amrapali Group, the US-based firm had invested Rs 85 crore on October 20, 2010 to have a preferential claim on profits in the ratio of 75 per cent to JP Morgan and 25 per cent to the promoters of Amrapali Homes Project Private Limited and Ultra Home.
         Later, the same number of shares was bought back from JP Morgan for Rs 140 crore by two companies -- M/s Neelkanth and M/s Rudraksha -- owned by a peon and an office boy of Amrapali's statutory auditor Anil Mittal.
         A bench of justices Arun Mishra and U U Lalit was told by ED Joint Director Rajeshwar Singh, who is supervising the probe against JP Morgan, that the MNC remitted the money back to the United States.
         "They (JP Morgan) have a lot of properties in India. We want you to attach their office or corporate properties of a like amount. Then they will come running to us and we will see to it," the bench said.
         Singh said the adjudication process against the firm had begun in accordance with law.
         On December 2 last year, the ED had informed the top court that it had prima facie found evidence of violation of FEMA by the multi-national firm and recorded the statements of the country head of the company with regard to dealings with the Amrapali Group.
         It had said though the investigation was underway, prima facie it appeared that there were also violations of the provisions of the Prevention of Money Laundering Act (PMLA) and that appropriate actions were being taken.
         The apex court had then directed the ED that the investigation should be carried out impartially, properly and expeditiously within a period of three months.
         On July 23 last year, the Supreme Court had cracked its whip on errant builders for breaching the trust of home buyers, ordered cancellation of Amrapali Group's registration under real estate law RERA and ousted it from its prime properties in the NCR by nixing the land leases.
         It had ordered a probe by the ED into allegations of money laundering and to look into the charge of FEMA violation by JP Morgan.
         "The money of the home buyers has been diverted. The directors diverted the money by the creation of dummy companies, realising professional fees, creating bogus bills, selling flats at an undervalued price, payment of excessive brokerage etc. They obtained investment from JP Morgan in violation of FEMA and FDI norms," the top court had said.
         It had said the equity shares of the group were purchased at an exorbitant price to suit the requirements of JP Morgan and the Amrapali Zodiac Developers Pvt Ltd had diverted home buyers' funds.
         "The shares were overvalued for making payments to JP Morgan. It was adopted as a device for siphoning off the money of the home buyers to foreign countries," the top court had said as it accepted the reports of forensic auditors.
         It had also noted that the shares of Amrapali Zodiac from JP Morgan were ultimately purchased for Rs 140 crore by M/s Neelkanth and M/s Rudraksha, shell companies owned by a peon and an office boy respectively.
         "The transactions of Amrapali Zodiac Developers Pvt Ltd with JP Morgan were clearly in order to avoid the provisions of the Companies Act," it had said.
         The Supreme Court had said it was apparent that M/s Rudraksha was created for money laundering as its two directors and shareholders had no income. PTI MNL ABA
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