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1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा डीआरडीओ : जी. सतीश - डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी

डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ 1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा है. मेक इन इंडिया को लेकर भी उन्होंने बयान दिया है.

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डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी
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Published : Feb 10, 2020, 9:40 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 8:14 PM IST

लखनऊ : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ 1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा है. आधुनिक तकनीकों पर काम करके अब तक कई हथियार तैयार किए जा चुके हैं. ये हथियार जल्द ही सेना को सौंप दिए जाएंगे. नई तकनीक पर काम करने का सिलसिला जारी रहेग.

ईटीवी भारत के कृष्णानंद त्रिपाठी के साथ एक विशेष बातचीत में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी. सतेश रेड्डी ने कहा कि देश अगले 5-10 वर्षों में 75% स्वदेशीकरण हासिल करेगा.

चेयरमैन रेड्डी ने कहा, 'डीआरडीओ के लिए मेक इन इंडिया एक सुअवसर है. यह देशी तकनीक पर काम करता है. अभी तक हमने कई इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर अनेक रक्षा उत्पादों का विनिर्माण किया है. आकाश मिसाइल का 2500 करोड़ का विनिर्माण इसका बड़ा उदाहरण है. इसके साथ हम 1800 इंडस्ट्रीज के साथ काम कर रहे हैं.'

डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी से बातचीत

उन्होंने कहा, 'ये उद्योग हमसे कुछ न कुछ तकनीक लेकर टायर-1, टायर-2, टायर-3 टाइप की इंडस्ट्रीज चला रहे हैं. अभी तक हम 900 से ज्यादा तकनीक इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित कर चुके हैं. आपने देखा होगा कि 1500 तकनीक 17 इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित की गई हैं. इस साल भी अभी तक 40 तकनीक हमने भारतीय इंडस्ट्रीज को ट्रांसफर की है.'

रेड्डी ने कहा, 'हमारी तकनीक लेकर इंडस्ट्री रक्षा उत्पादों का विनिर्माण करती है, यही मेक इन इंडिया है. इसलिए भारत में डीआरडीओ का काम आगे बढ़ता जाएगा. हम कई नई तकनीक डेवलप करने पर भी काम कर रहे हैं, जिससे बेहतर रक्षा उत्पादों का विनिर्माण हो सके. इन उच्च कोटि के रक्षा उत्पादों को तैयार करके भारतीय सेना को उससे लैस करने का लक्ष्य है. इसके बाद उन्हें विदेशियों को भी निर्यात करने का भी लक्ष्य है.'

डीआरडीओ के नए उत्पाद के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे यहां एक समय में कई प्रोजेक्ट चलते रहते हैं. अभी एलसीए मॉर्क-2, भारतीय नौसेना के लिए एलसीए, टैंक तकनीक, रडार तकनीक, नवीन तकनीक से लैस एंटी टैंक मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आदि पर काम चल रहा है. कुछ ऐसे छोटे-छोटे रक्षा उत्पाद भी हैं, जिनपर काम किया जा रहा है. इनमें एसडीआर, लेजर प्रोडक्ट आदि कई प्रोजेक्ट शामिल हैं.'

उन्होंने बताया कि हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने लिए भी तकनीक विकसित की जा रही है. डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है, जो सशस्त्र बलों को सौंपी जाएगी.

स्पेश वार से निपटने की तैयारी पर रेड्डी ने कहा, 'आपने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना होगा. उनका मानना है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और हमें स्पेस यानी अंतरिक्ष में मार करने वाले शस्त्रों की जरूरत को कम करना है. जहां तक बचाव का प्रश्न है, हम इन तकनीकों का सकारात्मक प्रयोग कर समाज की भलाई का काम करेंगे.'

उन्होंने कहा, 'डीआरडीओ के 500 से अधिक रक्षा उत्पाद बेहद खास हैं. छोटी-छोटी तकनीक से बड़ी मिसाइल तैयार होती है. हमने यहां मिशन शक्ति मिसाइल, निर्भय मिसाइल समेत कई मिसाइल और रडार मॉडल को भी प्रदर्शनी में शामिल किया है. इसके अलावा टारपीडो टेक्नॉलाजी को विशेष रूप से डिस्प्ले किया है. ये सब तकनीक विश्व से आने वाले विदेशी मेहमानों को आकर्षित कर रही हैं. प्रदर्शनी में प्रदर्शित हथियारों को लेकर बहुत से लोग काफी उत्सुकता दिखा रहे हैं. यह सकारात्मक रुझान है.'

(एक्सट्रा इनपुट- आईएएनएस)

लखनऊ : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ 1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा है. आधुनिक तकनीकों पर काम करके अब तक कई हथियार तैयार किए जा चुके हैं. ये हथियार जल्द ही सेना को सौंप दिए जाएंगे. नई तकनीक पर काम करने का सिलसिला जारी रहेग.

ईटीवी भारत के कृष्णानंद त्रिपाठी के साथ एक विशेष बातचीत में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी. सतेश रेड्डी ने कहा कि देश अगले 5-10 वर्षों में 75% स्वदेशीकरण हासिल करेगा.

चेयरमैन रेड्डी ने कहा, 'डीआरडीओ के लिए मेक इन इंडिया एक सुअवसर है. यह देशी तकनीक पर काम करता है. अभी तक हमने कई इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर अनेक रक्षा उत्पादों का विनिर्माण किया है. आकाश मिसाइल का 2500 करोड़ का विनिर्माण इसका बड़ा उदाहरण है. इसके साथ हम 1800 इंडस्ट्रीज के साथ काम कर रहे हैं.'

डीआरडीओ प्रमुख जी सतीश रेड्डी से बातचीत

उन्होंने कहा, 'ये उद्योग हमसे कुछ न कुछ तकनीक लेकर टायर-1, टायर-2, टायर-3 टाइप की इंडस्ट्रीज चला रहे हैं. अभी तक हम 900 से ज्यादा तकनीक इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित कर चुके हैं. आपने देखा होगा कि 1500 तकनीक 17 इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित की गई हैं. इस साल भी अभी तक 40 तकनीक हमने भारतीय इंडस्ट्रीज को ट्रांसफर की है.'

रेड्डी ने कहा, 'हमारी तकनीक लेकर इंडस्ट्री रक्षा उत्पादों का विनिर्माण करती है, यही मेक इन इंडिया है. इसलिए भारत में डीआरडीओ का काम आगे बढ़ता जाएगा. हम कई नई तकनीक डेवलप करने पर भी काम कर रहे हैं, जिससे बेहतर रक्षा उत्पादों का विनिर्माण हो सके. इन उच्च कोटि के रक्षा उत्पादों को तैयार करके भारतीय सेना को उससे लैस करने का लक्ष्य है. इसके बाद उन्हें विदेशियों को भी निर्यात करने का भी लक्ष्य है.'

डीआरडीओ के नए उत्पाद के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे यहां एक समय में कई प्रोजेक्ट चलते रहते हैं. अभी एलसीए मॉर्क-2, भारतीय नौसेना के लिए एलसीए, टैंक तकनीक, रडार तकनीक, नवीन तकनीक से लैस एंटी टैंक मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आदि पर काम चल रहा है. कुछ ऐसे छोटे-छोटे रक्षा उत्पाद भी हैं, जिनपर काम किया जा रहा है. इनमें एसडीआर, लेजर प्रोडक्ट आदि कई प्रोजेक्ट शामिल हैं.'

उन्होंने बताया कि हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने लिए भी तकनीक विकसित की जा रही है. डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है, जो सशस्त्र बलों को सौंपी जाएगी.

स्पेश वार से निपटने की तैयारी पर रेड्डी ने कहा, 'आपने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना होगा. उनका मानना है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और हमें स्पेस यानी अंतरिक्ष में मार करने वाले शस्त्रों की जरूरत को कम करना है. जहां तक बचाव का प्रश्न है, हम इन तकनीकों का सकारात्मक प्रयोग कर समाज की भलाई का काम करेंगे.'

उन्होंने कहा, 'डीआरडीओ के 500 से अधिक रक्षा उत्पाद बेहद खास हैं. छोटी-छोटी तकनीक से बड़ी मिसाइल तैयार होती है. हमने यहां मिशन शक्ति मिसाइल, निर्भय मिसाइल समेत कई मिसाइल और रडार मॉडल को भी प्रदर्शनी में शामिल किया है. इसके अलावा टारपीडो टेक्नॉलाजी को विशेष रूप से डिस्प्ले किया है. ये सब तकनीक विश्व से आने वाले विदेशी मेहमानों को आकर्षित कर रही हैं. प्रदर्शनी में प्रदर्शित हथियारों को लेकर बहुत से लोग काफी उत्सुकता दिखा रहे हैं. यह सकारात्मक रुझान है.'

(एक्सट्रा इनपुट- आईएएनएस)

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1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा डीआरडीओ : जी. सतीश



लखनऊ, 10 फरवरी (आईएएनएस)| रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ 1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा है. आधुनिक तकनीकों पर काम करके अब तक कई हथियार तैयार किए जा चुके हैं. ये हथियार जल्द ही सेना को सौंप दिए जाएंगे. नई तकनीक पर काम करने का सिलसिला जारी रहेगा.



चेयरमैन रेड्डी ने कहा, 'डीआरडीओ के लिए मेक इन इंडिया एक सुअवसर है. यह देशी तकनीक पर काम करता है. अभी तक हमने कई इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर अनेक रक्षा उत्पादों का विनिर्माण किया है. आकाश मिसाइल का 2500 करोड़ का विनिर्माण इसका बड़ा उदाहरण है. इसके साथ हम 1800 इंडस्ट्रीज के साथ काम कर रहे हैं.'



उन्होंने कहा, 'ये उद्योग हमसे कुछ न कुछ तकनीक लेकर टायर-1, टायर-2, टायर-3 टाइप की इंडस्ट्रीज चला रहे हैं. अभी तक हम 900 से ज्यादा तकनीक इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित कर चुके हैं. आज (रविवार को) भी आपने देखा होगा कि 1500 तकनीक 17 इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित की गई हैं. इस साल भी अभी तक 40 तकनीक हमने भारतीय इंडस्ट्रीज को ट्रांसफर की है.'



रेड्डी ने कहा, 'हमारी तकनीक लेकर इंडस्ट्री रक्षा उत्पादों का विनिर्माण करती है, यही मेक इन इंडिया है. इसलिए भारत में डीआरडीओ का काम आगे बढ़ता जाएगा. हम कई नई तकनीक डेवलप करने पर भी काम कर रहे हैं, जिससे बेहतर रक्षा उत्पादों का विनिर्माण हो सके. इन उच्च कोटि के रक्षा उत्पादों को तैयार करके भारतीय सेना को उससे लैस करने का लक्ष्य है. इसके बाद उन्हें विदेशियों को भी निर्यात करने का भी लक्ष्य है.'



डीआरडीओ के नए उत्पाद के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे यहां एक समय में कई प्रोजेक्ट चलते रहते हैं. अभी एलसीए मॉर्क-2, भारतीय नौसेना के लिए एलसीए, टैंक तकनीक, रडार तकनीक, नवीन तकनीक से लैस एंटी टैंक मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आदि पर काम चल रहा है. कुछ ऐसे छोटे-छोटे रक्षा उत्पाद भी हैं, जिनपर काम किया जा रहा है. इनमें एसडीआर, लेजर प्रोडक्ट आदि कई प्रोजेक्ट शामिल हैं.'



उन्होंने बताया कि हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने लिए भी तकनीक विकसित की जा रही है. डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है, जो सशस्त्र बलों को सौंपी जाएगी.



स्पेश वार से निपटने की तैयारी पर रेड्डी ने कहा, 'आपने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना होगा. उनका मानना है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और हमें स्पेस यानी अंतरिक्ष में मार करने वाले शस्त्रों की जरूरत को कम करना है. जहां तक बचाव का प्रश्न है, हम इन तकनीकों का सकारात्मक प्रयोग कर समाज की भलाई का काम करेंगे.'



उन्होंने कहा, 'डीआरडीओ के 500 से अधिक रक्षा उत्पाद बेहद खास हैं. छोटी-छोटी तकनीक से बड़ी मिसाइल तैयार होती है. हमने यहां मिशन शक्ति मिसाइल, निर्भय मिसाइल समेत कई मिसाइल और रडार मॉडल को भी प्रदर्शनी में शामिल किया है. इसके अलावा टारपीडो टेक्नॉलाजी को विशेष रूप से डिस्प्ले किया है. ये सब तकनीक विश्व से आने वाले विदेशी मेहमानों को आकर्षित कर रही हैं. प्रदर्शनी में प्रदर्शित हथियारों को लेकर बहुत से लोग काफी उत्सुकता दिखा रहे हैं. यह सकारात्मक रुझान है.'



(आईएएनएस)


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Last Updated : Feb 29, 2020, 8:14 PM IST
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