पटना : बिहार में जहां कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप है, तो वहीं हर साल आने वाली बाढ़ भी सितम ढाने लगी है. ऐसे में सुपौल के निर्मली अनुमंडल स्थित कोविड केयर सेंटर से एक ऐसी तस्वीर आई है, जो धरती के डॉक्टरों के जज्बे को सलाम करने को मजबूर कर रही है और सरकार से हालातों पर सवाल खड़ा कर रही है.
भारी बारिश और कोसी की सहायक नदी तिलयुगा के उफनाने के बाद निर्मली अनुमंडल में जलजमाव की स्थिति बन गई है. ऐसे में यहां स्थित कोविड केयर सेंटर भी इससे अछूता नहीं रहा.
रिक्शा से कोविड सेंटर पहुंच रहे डॉक्टर
कोरोना काल के दौरान जहां डॉक्टरों के लिए आसमान से फूल बरसाये गए थे. वहीं, बिहार में अब बाढ़ की बहार है, जिसके चलते राहों में कांटे बिछे नजर आ रहे हैं. लेकिन ये डॉक्टरों का जज्बा है कि वो इस बाढ़ में भी अपनी ड्यूटी पूरी करने घर से निकल रहे हैं.
घुटने भरे पानी से खुद को बचाने के लिए डॉक्टर और नर्स रिक्शा का सहारा ले रहे हैं. इसी के जरिए वो कोविड केयर सेंटर आते-जाते हैं.
तीन दिनों से भरा है सेंटर में पानी
ड्यूटी पर कार्यरत चिकित्सक डॉ. अमरेंद्र कुमार रिक्शा पर बैठकर ऐसे ही जाते दिखाई दिये. इस बाबत जब उनसे बातचीत की गई. तो उन्होंने बताया कि विगत दो-तीन दिनों से परिसर में घुटने भर से अधिक पानी है. ऐसी स्थिति में किस प्रकार अंदर जाएं, इसके लिए ये विकल्प निकाला गया है.
उन्होंने बताया कि नर्स को भी अंदर जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. हम लोग रिक्शे पर ही परिसर में जमा पानी को पार कर अंदर जाते हैं.
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डॉ. अमरेंद्र ने बताया कि कोविड केयर सेंटर में फिलहाल दो मरीज हैं. वहीं, कोरोना सेंटर की ओर अगर रुख करें, तो दूर से ही ये किसी वीरान खंडर जैसा लगता है.
जलजमाव के बाद यहां मच्छरों का प्रकोप भी फैलेगा, ये कहना गलत न होगा. बहरहाल, कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच कोविड केयर सेंटर की ऐसी दुर्दशा कहीं से भी अनुकूल नहीं दिखाई दी. आलाधिकारियों को इस मसले पर गंभीरता के साथ निर्णय लेने की जरूरत है.