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कोरोना संक्रमित डॉक्टर को किसी भी अस्पताल ने नहीं किया एडमिट, हो गई मौत

कर्नाटक के बेंगलुरु में कोरोना संक्रमित एक डॉक्टर की मौत हो गई. कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं होने के चलते डॉक्टर को अस्पताल प्रबंधन ने भर्ती नहीं किया और सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हो गई.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Jul 24, 2020, 8:27 AM IST

Updated : Jul 24, 2020, 10:40 AM IST

बेंगलुरु : कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज नहीं मिलने के चलते बेंगलुरु से लगभग 50 किलोमीटर दूर रामनगर जिले के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में पदस्थ डॉ. मंजूनाथ की मौत हो गई.

डॉ. मंजूनाथ कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी और वे बीमार हो गए, तब उन्हें इलाज नहीं मिला. जिससे उनकी मौत हो गई. इलाज के लिए वे तीन अस्पताल में भटके पर डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया, क्योंकि उनके पास कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं थी.

डॉक्टर मंजूनाथ के रिश्तेदार नागेंद्र भी बीबीएमपी के डॉक्टर हैं और अस्पताल के बिस्तर आवंटित करने के प्रभारी हैं, लेकिन वो भी मदद नहीं पाए. उनके पूरे परिवार को भी कोरोना था, उनकी मां की संक्रमण के चलते मौत हो गई. वहीं उनकी पत्नी और बेटे का इलाज चल रहा है.

25 जून को डॉ. मंजूनाथ के परिवार ने दयानंद सागर परिसर के बाहर फुटपाथ पर विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद उन्हें सागर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वे वेंटिलेटर पर थे जिसके बाद उनको बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में शिफ्ट किया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि डॉ. मंजूनाथ को 9 जुलाई को छुट्टी दे दी गई थी क्योंकि वह प्लाज्मा थेरेपी करवाना चाहते थे.

पढ़ें :- कोरोना संकट के दौर में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही, दो बुजुर्गों की मौत

वहीं अस्पतालों को इस तरह के प्रमाण पत्र के बिना भी मरीजों को भर्ती करने का निर्देश दिया गया है. उन अस्पतालों को नोटिस भेजे गए हैं जो इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं. साथ ही मरीज को भर्ती नहीं करने पर दो निजी अस्पतालों की ओपीडी को 48 घंटे के लिए सील कर दिया गया है.

बेंगलुरु : कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज नहीं मिलने के चलते बेंगलुरु से लगभग 50 किलोमीटर दूर रामनगर जिले के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में पदस्थ डॉ. मंजूनाथ की मौत हो गई.

डॉ. मंजूनाथ कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने लगी और वे बीमार हो गए, तब उन्हें इलाज नहीं मिला. जिससे उनकी मौत हो गई. इलाज के लिए वे तीन अस्पताल में भटके पर डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया, क्योंकि उनके पास कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं थी.

डॉक्टर मंजूनाथ के रिश्तेदार नागेंद्र भी बीबीएमपी के डॉक्टर हैं और अस्पताल के बिस्तर आवंटित करने के प्रभारी हैं, लेकिन वो भी मदद नहीं पाए. उनके पूरे परिवार को भी कोरोना था, उनकी मां की संक्रमण के चलते मौत हो गई. वहीं उनकी पत्नी और बेटे का इलाज चल रहा है.

25 जून को डॉ. मंजूनाथ के परिवार ने दयानंद सागर परिसर के बाहर फुटपाथ पर विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद उन्हें सागर अस्पताल में भर्ती कराया गया. वे वेंटिलेटर पर थे जिसके बाद उनको बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में शिफ्ट किया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि डॉ. मंजूनाथ को 9 जुलाई को छुट्टी दे दी गई थी क्योंकि वह प्लाज्मा थेरेपी करवाना चाहते थे.

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वहीं अस्पतालों को इस तरह के प्रमाण पत्र के बिना भी मरीजों को भर्ती करने का निर्देश दिया गया है. उन अस्पतालों को नोटिस भेजे गए हैं जो इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं. साथ ही मरीज को भर्ती नहीं करने पर दो निजी अस्पतालों की ओपीडी को 48 घंटे के लिए सील कर दिया गया है.

Last Updated : Jul 24, 2020, 10:40 AM IST
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