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पीपीई किट्स से डॉक्टर्स भी परेशान, जानें क्यों..

कोरोना वायरस के दौरान लोगों की सेहत का ख्याल रखने वाले डॉक्टर्स पीपीई किट्स के कारण खुद भी कई दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. इसी कड़ी में एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिसिटेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने विस्तार से जानकारी दी.

पीपीई किट्स
पीपीई किट्स
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Published : Jun 25, 2020, 12:21 AM IST

नई दिल्ली : पीपीई किट पहनकर लंबे समय तक ड्यूटी करने को लेकर एम्स में जमकर बवाल हुआ. आखिर हेल्थ वर्कर्स, जिनकी सुरक्षा पीपीई किट है उसी के विरोध में क्यों हो गए. क्या यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. सवाल बहुत सारे हैं.

कोरोना वायरस की भयावहता और इसके फैलने की रफ्तार और ऊपर से इसकी कोई वैक्सीन का उपलब्ध ना होना ये सारी चीजें मिलकर पीपीई किट की अहमियत को बढ़ा देती हैं.

एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने बताया कि पीपीई किट कोविड से सुरक्षा के लिए जरूरी है लेकिन इसे पहनकर सीमित गतिविधियों के साथ काम करना बहुत मुश्किल है.

जानकारी देते असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमरिंदर सिंह.

गर्मी में पीपीई किट्स पहनना मुश्किल

डॉ अमरिंदर सिंह बताते हैं कि गर्मी का महीना चल रहा है. पीपीई किट प्लास्टिक और नाइलोन की बनी होती है. इससे पूरे शरीर को ढकना होता है ताकि हवा भी प्रवेश ना कर पाए.

ऐसे में उस व्यक्ति की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है जो इसके अंदर पल-पल घुट रहा है और हवा के लिए तरस रहा है. पानी तक नहीं पी सकता जबकि उसके शरीर का बूंद-बूंद पानी पसीने के रूप में बाहर निकल आता है.

पढ़ें-भारत में कोरोना : पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 15,968 पॉजिटिव केस, 465 लोगों की मौत

महिला हेल्थ वर्कर्स की हालत और भी ज्यादा खराब ही जाती है. ऊपर से अगर वो माहवारी की तकलीफ से गुजर रही हो तो फिर उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती है. पीपीई किट के अंदर ब्लीडिंग हो जाती है और इससे जब बाहर आती तो वो अपना होश खो देती है.

पीपीई किट पहनने के बाद होती हैं कई दिक्कतें

डॉ. अमरिंदर बताते हैं कि पीपीई किट पहनना नॉन कोविड हेल्थ वर्कर्स की भी मजबूरी है. क्योंकि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं होता है कि कौन बिना लक्षणों वाला कोविड मरीज उन्हें कोरोना का इन्फेक्शन दे जाए.

उन्होंने आगे बताया कि पीपीई किट पहनने के बाद ठीक से दिखाई नहीं देता है. पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो जाता है. इसे पहनने वाला इतना एक्सहॉस्टेड हो जाता है कि उनका फिजिकल और मेंटल ब्रेकडाउन हो जाता है. कुछ लोग तो बेहोश होकर गिर जाते हैं. इसे पहनने के बाद ना तो कुछ खा सकते हैं और ना पी सकते हैं.

नई दिल्ली : पीपीई किट पहनकर लंबे समय तक ड्यूटी करने को लेकर एम्स में जमकर बवाल हुआ. आखिर हेल्थ वर्कर्स, जिनकी सुरक्षा पीपीई किट है उसी के विरोध में क्यों हो गए. क्या यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. सवाल बहुत सारे हैं.

कोरोना वायरस की भयावहता और इसके फैलने की रफ्तार और ऊपर से इसकी कोई वैक्सीन का उपलब्ध ना होना ये सारी चीजें मिलकर पीपीई किट की अहमियत को बढ़ा देती हैं.

एम्स के कार्डियो-रेडियो विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरिंदर सिंह ने बताया कि पीपीई किट कोविड से सुरक्षा के लिए जरूरी है लेकिन इसे पहनकर सीमित गतिविधियों के साथ काम करना बहुत मुश्किल है.

जानकारी देते असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमरिंदर सिंह.

गर्मी में पीपीई किट्स पहनना मुश्किल

डॉ अमरिंदर सिंह बताते हैं कि गर्मी का महीना चल रहा है. पीपीई किट प्लास्टिक और नाइलोन की बनी होती है. इससे पूरे शरीर को ढकना होता है ताकि हवा भी प्रवेश ना कर पाए.

ऐसे में उस व्यक्ति की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है जो इसके अंदर पल-पल घुट रहा है और हवा के लिए तरस रहा है. पानी तक नहीं पी सकता जबकि उसके शरीर का बूंद-बूंद पानी पसीने के रूप में बाहर निकल आता है.

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महिला हेल्थ वर्कर्स की हालत और भी ज्यादा खराब ही जाती है. ऊपर से अगर वो माहवारी की तकलीफ से गुजर रही हो तो फिर उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती है. पीपीई किट के अंदर ब्लीडिंग हो जाती है और इससे जब बाहर आती तो वो अपना होश खो देती है.

पीपीई किट पहनने के बाद होती हैं कई दिक्कतें

डॉ. अमरिंदर बताते हैं कि पीपीई किट पहनना नॉन कोविड हेल्थ वर्कर्स की भी मजबूरी है. क्योंकि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं होता है कि कौन बिना लक्षणों वाला कोविड मरीज उन्हें कोरोना का इन्फेक्शन दे जाए.

उन्होंने आगे बताया कि पीपीई किट पहनने के बाद ठीक से दिखाई नहीं देता है. पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो जाता है. इसे पहनने वाला इतना एक्सहॉस्टेड हो जाता है कि उनका फिजिकल और मेंटल ब्रेकडाउन हो जाता है. कुछ लोग तो बेहोश होकर गिर जाते हैं. इसे पहनने के बाद ना तो कुछ खा सकते हैं और ना पी सकते हैं.

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