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एफएसएल अधिकारी अजय सोनी ने बनाया अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक

कोरोना महामारी से आज पूरी दुनिया लड़ रही है, ऐसे में लोग हर दिन बचाव के लिए नई-नई मशीनें इजाद कर रहे हैं. भिंड में पदस्थ फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) अधिकारी डॉक्टर अजय सोनी ने एक अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक तैयार किया है. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि कैसे यह ट्रंक काम करता है और कहां कारगर साबित हो सकता है.

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अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक
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Published : Apr 16, 2020, 11:28 AM IST

भिंड : कोरोना महामारी छूने मात्र से फैल रही है, इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को सेनिटाइज करने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में तमाम वैज्ञानिक अपने अपने तरीके से उसके बचाव के उपाय खोजने में लगे हैं, तो कई एटीट्यूट और टीका बनाने में. भिंड पुलिस विभाग में पदस्थ जिला वैज्ञानिक अधिकारी और स्पेशल डॉक्टर अजय सोनी द्वारा खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट करने के लिए एक अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक बनाया गया है.

किस तरह तैयार किया सेनिटाइजेशन ट्रंक
इस ट्रंक को तैयार करने के लिए डॉक्टर अजय सोनी को भिंड एसपी नागेंद्र सिंह से प्रेरणा मिली, जिनके कहने पर ही उन्होंने इस पर काम शुरू किया. डॉक्टर सोनी ने इसके लिए संदूक का इस्तेमाल किया, इसमें एक यूवी लाइट लगाई गई है. जिससे एक एडॉप्टर के माध्यम से पावर सप्लाई दी जाती है. इस यूवी ट्रंक को तैयार करने में महज ढाई हजार रुपये का खर्च आया है.

अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक के बारे में जानकारी देते डॉ. अजय सोनी

किस तरह काम करता है
यह ट्रंक एक अल्ट्रावॉयलेट रेज बेस्ड सेनिटाइजेशन ट्रंक है. ये सभी जानते हैं कि अल्ट्रावॉयलेट किरणें किसी भी तरह के वायरस को नष्ट करने में कारगर हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संदूक में एक यूवी लाइट ट्यूब लगाई गई है, इसकी मदद से जिस भी चीज को सेनिटाइज करना होता है, उसे संदूक में रख कर दस मिनट के लिए पावर ऑन कर दिया जाता है और दस मिनट बाद लाइट बंद कर अगले 10 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है. इस 20 मिनट की अवधि में संदूक में रखे सामान पर मौजूद सभी तरह के कीटाणु या वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं.

पढ़ें: कोविड- 19 : भारत ने मॉरिशस और सेशेल्स को भेजीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवाएं

इन वस्तुओं पर कारगर है ट्रंक
इस ट्रक में अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट किया जा रहा है. महज 10 मिनट ट्रक में रखने के बाद वस्तुओं का उपयोग किया जा सकता है. 10 मिनट में ही इसमें रखी हुई वस्तुएं अल्ट्रावॉयलेट किरणों से पूरी तरह सेनिटाइज हो जाती हैं क्योंकि इसमें किरणों का उपयोग होता है, इसलिए वस्तुओं के गीले होने का भी कोई डर नहीं रहता, इनमें फल, सब्जियां, मोबाइल फोन, चार्जर रिमोट, बेल्ट, खाने के पैकेट, चिप्स, बिस्किट के पैकेट रखकर सेनिटाइज किया जा सकता है.

अल्ट्रावॉयलेट किरण इंसानों के लिए घातक होती हैं, इसलिए इनके संपर्क में आने से बचना चाहिए. डॉक्टर सोनी ने बताया कि यूवी किरण के संपर्क में आने पर कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा बना रहता है, इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक ही किया जाना चाहिए. इस सेनिटाइजेशन ट्रंक को पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के उपयोग के लिए रखवाया गया है.

डॉक्टर सोनी का कहना है, 'यह मध्यप्रदेश में पहला प्रोटोटाइप भिंड में ही तैयार किया गया है, इससे पहले आईआईटी ने भी इस तरह की मशीन बनाई थी, लेकिन हमारा प्रोटोटाइप उनसे बेहतर है.'

भिंड : कोरोना महामारी छूने मात्र से फैल रही है, इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को सेनिटाइज करने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में तमाम वैज्ञानिक अपने अपने तरीके से उसके बचाव के उपाय खोजने में लगे हैं, तो कई एटीट्यूट और टीका बनाने में. भिंड पुलिस विभाग में पदस्थ जिला वैज्ञानिक अधिकारी और स्पेशल डॉक्टर अजय सोनी द्वारा खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट करने के लिए एक अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक बनाया गया है.

किस तरह तैयार किया सेनिटाइजेशन ट्रंक
इस ट्रंक को तैयार करने के लिए डॉक्टर अजय सोनी को भिंड एसपी नागेंद्र सिंह से प्रेरणा मिली, जिनके कहने पर ही उन्होंने इस पर काम शुरू किया. डॉक्टर सोनी ने इसके लिए संदूक का इस्तेमाल किया, इसमें एक यूवी लाइट लगाई गई है. जिससे एक एडॉप्टर के माध्यम से पावर सप्लाई दी जाती है. इस यूवी ट्रंक को तैयार करने में महज ढाई हजार रुपये का खर्च आया है.

अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक के बारे में जानकारी देते डॉ. अजय सोनी

किस तरह काम करता है
यह ट्रंक एक अल्ट्रावॉयलेट रेज बेस्ड सेनिटाइजेशन ट्रंक है. ये सभी जानते हैं कि अल्ट्रावॉयलेट किरणें किसी भी तरह के वायरस को नष्ट करने में कारगर हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संदूक में एक यूवी लाइट ट्यूब लगाई गई है, इसकी मदद से जिस भी चीज को सेनिटाइज करना होता है, उसे संदूक में रख कर दस मिनट के लिए पावर ऑन कर दिया जाता है और दस मिनट बाद लाइट बंद कर अगले 10 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है. इस 20 मिनट की अवधि में संदूक में रखे सामान पर मौजूद सभी तरह के कीटाणु या वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं.

पढ़ें: कोविड- 19 : भारत ने मॉरिशस और सेशेल्स को भेजीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवाएं

इन वस्तुओं पर कारगर है ट्रंक
इस ट्रक में अल्ट्रावॉयलेट किरणों की मदद से खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट किया जा रहा है. महज 10 मिनट ट्रक में रखने के बाद वस्तुओं का उपयोग किया जा सकता है. 10 मिनट में ही इसमें रखी हुई वस्तुएं अल्ट्रावॉयलेट किरणों से पूरी तरह सेनिटाइज हो जाती हैं क्योंकि इसमें किरणों का उपयोग होता है, इसलिए वस्तुओं के गीले होने का भी कोई डर नहीं रहता, इनमें फल, सब्जियां, मोबाइल फोन, चार्जर रिमोट, बेल्ट, खाने के पैकेट, चिप्स, बिस्किट के पैकेट रखकर सेनिटाइज किया जा सकता है.

अल्ट्रावॉयलेट किरण इंसानों के लिए घातक होती हैं, इसलिए इनके संपर्क में आने से बचना चाहिए. डॉक्टर सोनी ने बताया कि यूवी किरण के संपर्क में आने पर कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा बना रहता है, इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक ही किया जाना चाहिए. इस सेनिटाइजेशन ट्रंक को पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के उपयोग के लिए रखवाया गया है.

डॉक्टर सोनी का कहना है, 'यह मध्यप्रदेश में पहला प्रोटोटाइप भिंड में ही तैयार किया गया है, इससे पहले आईआईटी ने भी इस तरह की मशीन बनाई थी, लेकिन हमारा प्रोटोटाइप उनसे बेहतर है.'

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